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कुत्ता काटने के बाद एंटी रैबीज लगाने का प्रशिक्षण
बरेली, वाईबीएन संवाददाता।
कुत्ता काटने के बाद गहरा घाव होने पर एंटीरेबीज सीरम इंजेक्शन लगवाने के लिए अब लखनऊ या दिल्ली नही जाना पड़ेगा। अब बरेली मण्डल के चारों जिला अस्पताल में ही मरीजों को इसकी सुविधा मिलगी। समस्त जिला अस्पतालों को फिलहाल सीरम उपलब्ध करा दिए गए हैं। इसी क्रम में एंटी रेबीज सीरम प्रयोग किये जाने के सम्बन्ध में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका शुभारम्भ राज्य कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम डॉ. पंकज सक्सेना ने किया। प्रशिक्षण में 30 चिकित्सक और 20 फार्मासिस्ट ने प्रतिभाग किया |
इस साल जुलाई तक 75 हजार लोगों को कुत्ते ने काटा
राज्य कार्यक्रम अधिकारी ने कहा ने कहा कि मंडल में कुत्ता काटने के बाद गहरा जख्म होने पर पहले एंटी रेबिज सीरम नहीं लगाए जाते थे | यहां सिर्फ दो श्रेणी के ही इंजेक्शन उपलब्ध थे। जिला अस्पताल, बरेली में रेबीज की श्रेणी थ्री का एंटी रेबिज सीरम उपलब्ध हो गया है। इस टीके का नाम रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन है। अब शासन ने जिला अस्पताल को इस टीके को लगाने के लिए अधिकृत किया है। वहां कर्मियों को प्रशिक्षण देने के बाद और भी इंजेक्शन भेजे जाएंगे, जिससे मरीजों को वापस न लोटना पड़ें। अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. साधना अग्रवाल ने कहा कि मरीज को एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाकर सीरम लगवाने के लिए लखनऊ या दिल्ली रेफर कर दिया जाता था। अब मण्डल के चारों जिला अस्पताल में इसकी सुविधा की गई है। सीरम लगाने के लिए मरीजों को दिल्ली या लखनऊ नहीं जाना पड़ेगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विश्राम सिंह ने बताया कि साल 2023 में एक लाख 613 , वर्ष 2024 में 1 लाख 10 हज़ार 894 और वर्ष 2025 में जुलाई तक 75 हजार से अधिक लोगों को कुत्ते, बिल्ली, बंदर सियार, भेड़िया ने काटा।
रेबीज की होती हैं तीन केटेगरी:
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ प्रशांत रंजन के अनुसार रेबीज की तीन श्रेणी है। पहली श्रेणी में जानवर के चाटने पर साबुन से धुलाई की जाती है। दूसरी में कुत्ते या बंदर के काटने पर सामान्य टीका लगाया जाता है। तीसरी श्रेणी में जब जानवर काटता है और खून का बहाव नहीं रूकता तब इम्युनोग्लोबुलिन टीका लगाया जाता है।
24 घंटे में लगता है सीरम: श्रेणी-3 सीरम मरीजों को कुत्ता काटने के 24 घेंटे मे लगवाना होता है। वैसे जितनी जल्दी हो सके इसे लगवा लेना चाहिए। यह सीरम निजी अस्पताल में 18 हजार रूपये का मिलता है।
मण्डलीय सर्वेलेंस अधिकारी डॉ अखिलेश्वर सिंह नें इन छह बातों का ध्यान रखने को बताया
सबसे पहले घाब को धो लें। हल्के गुनगुने पानी और साबुन का प्रयोग करें।
साफ कपड़े की मदद से रक्तस्त्राव को कम करने की कोशिश करें।
प्राथमिक घरेलू उपायों के बाद तुरंत डाॅक्टर से मिलें।
चिकित्सक की सलाह पर रेबीज का इंजेक्शन लगवाएं।
कुत्ते के काटने के लक्षणों जैसे लालिमा, सूजन, दर्द और बुखार आदि पर विशेष ध्यान रखे।
कच्चा दूध पीने से रेबीज नहीं होता इसलिए यदि गाय या भैंस को कुत्ता काट ले और कोई उसका दूध पी ले तो इंजेक्शन ऐआरवी लगाने की कोई आवशयकता नहीं होती है। किसी चिकित्सक से सलाह जरूर लें। राज्य और मण्डल के चार जिलों के मास्टर ट्रेनर, जिला एपिडेमिलॉज़िस्ट डॉ मीसम अब्बास, डॉ बिपिन तथा चारों जिला सर्वेलेंस अधिकारी मौजूद थे।