Advertisment

नगर निगम : नाला सफाई में घपले पर तीन ठेकेदारों को नोटिस... ब्लैक लिस्टेड की वार्निंग

मानसून की पहली बारिश ने बरेली नगर निगम की तैयारियों की पोल खोल दी, जब शहर के कई इलाकों में गंभीर जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई। नालों की सफाई को लेकर किए गए दावों की असलियत सामने आते ही कार्यदायी एजेंसियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया।

author-image
Sudhakar Shukla
notice to nagar nigam
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

बरेली, वाईबीएन संवाददाता। मानसून की पहली ही बारिश ने बरेली नगर निगम की तैयारियों की पोल खोल दी, जब कई क्षेत्रों में जलभराव की गंभीर समस्या सामने आई। नालों की सफाई को लेकर किए गए दावों की हकीकत उजागर होते ही नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य ने सख्त कार्रवाई करते हुए तीन कार्यदायी एजेंसियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। आरोप है कि नाला सफाई का कार्य अनुबंध की निर्धारित शर्तों के अनुरूप नहीं किया गया। नगर आयुक्त ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि स्थिति में शीघ्र सुधार नहीं हुआ तो संबंधित एजेंसियों का भुगतान रोक दिया जाएगा और आवश्यकतानुसार उन्हें ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।

Advertisment

नाला सफाई में घोर लापरवाही, सतही काम कर निभाई औपचारिकता

नगर निगम की जांच रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे जंक्शन से लेकर पटेल कोनार्क होटल होते हुए सुभाषनगर तक नाले की सफाई की जिम्मेदारी मैसर्स हिमगिरी इंटरप्राइजेज को सौंपी गई थी। लेकिन सोमवार और मंगलवार को हुई बारिश के बाद जब नगर निगम की टीम ने मौके पर औचक निरीक्षण किया, तो नाले में भारी मात्रा में फ्लोटिंग मटेरियल जमा पाया गया। निरीक्षण से यह स्पष्ट हुआ कि नाले की गहराई तक सफाई नहीं की गई थी, बल्कि केवल सतही सफाई कर औपचारिकता निभाई गई थी। यह लापरवाही न केवल अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन है, बल्कि जनहित के साथ भी सीधा खिलवाड़ माना जा रहा है।

सांई कांट्रैक्टर और अन्य एजेंसियों पर लापरवाही का आरोप

Advertisment

इसी प्रकार, जोन 3 और 4 में नाले की सफाई का कार्य मैसर्स सांई कांट्रैक्टर को सौंपा गया था, जिसमें खुशलोक हॉस्पिटल के पीछे अंबेडकर नगर क्षेत्र में विजय बाल्मीकि के मकान से होते हुए सार्वजनिक शौचालय तक की सफाई शामिल थी। वहीं तीसरी एजेंसी को हजियापुर आश्रम गृह से संजय नगर संपवेल तक नाले की सफाई की जिम्मेदारी दी गई थी। जांच में सामने आया कि तीनों एजेंसियों ने न तो अनुबंध की शर्तों के अनुसार कार्य किया, न ही सफाई के लिए पर्याप्त संख्या में श्रमिकों की तैनाती की।

निरीक्षण में सफाई कर्मचारी नदारद, मॉनिटरिंग स्टाफ पर सवाल

स्वास्थ्य विभाग द्वारा आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त सफाई कर्मियों की संख्या भी मानकों से काफी कम पाई गई। निरीक्षण के दौरान कई स्थानों पर मजदूर पूरी तरह से अनुपस्थित मिले, जबकि मॉनिटरिंग स्टाफ द्वारा निरंतर सफाई कार्य पूर्ण होने की गलत रिपोर्टें भेजी जा रही थीं। यह लापरवाही न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि आम जनता के स्वास्थ्य और सुविधा के साथ गंभीर खिलवाड़ भी है।

Advertisment
Advertisment