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अब गोशाला भी चमकेंगी एलईडी लाइट से

खनन विभाग की शासी परिषद एवं प्रबंध समिति की बैठक में फैसला हुआ है कि जिले की गोशालाओं में एलईडी लाइटें लगाई जाएंगी। दूसरा निर्णय ऑडिट बिलों के भुगतान का हुआ है।

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Sudhakar Shukla
sans88
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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खनन विभाग की शासी परिषद एवं प्रबंध समिति की बैठक में फैसला हुआ है कि जिले की गोशालाओं में एलईडी लाइटें लगाई जाएंगी। दूसरा निर्णय ऑडिट बिलों के भुगतान का हुआ है। सोमवार को कलक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक में सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार और एमएलसी महाराज सिंह ने गोशालाओं में एलईडी लाइटें लगवाने का प्रस्ताव रखा। जिस पर डीएम अविनाश सिंह ने खनन अधिकारी को जिला खनिज फाउंडेशन न्याय की धनराशि से गोशालाओं में एलईडी लाइटें लगवाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सीडीओ से बातचीत कर गोशालाओं का विवरण मांग लें और वैकल्पिक ऊर्जा विभाग से समन्वय कर एलईडी लाइटों की व्यवस्था करें। इसी के साथ ही वर्ष 2017-18 से 2024-25 तक जिला खनिज फाउंडेशन न्याय के लेखों के हुए ऑडिट बिल के भुगतान को भी हरी झंडी मिली। ऑडिट बिल के चार्टेड एकाउंटेंट के 61 हजार रुपये बकाया चल रहे थे। बैठक में जन प्रतिनिधियों को ये भी बताया गया कि वर्तमान में जिला खनिज फाउंडेशन के पास 35 लाख रुपये हैं। इस मौके पर एडीएम वित्त एवं राजस्व संतोष कुमार सिंह, बीएसए संजय सिंह, डीपीआरओ कमल किशोर भी थे।

सात साल से नहीं हुए खनन के पट्टे

खनन विभाग का जिले में राजस्व प्राप्ति का मुख्य स्रोत मिट्टी खनन के लिए आने वाला आवेदन शुल्क है। चूंकि, मिट्टी खनन पर रायल्टी शून्य है। इसलिए केवल अनुमति पत्र वाले आवेदन पर विभाग को जो दो हजार रुपये शुल्क मिलता है, वही उसकी आमदनी है। इसके अलावा आय का दूसरा स्रोत उत्तराखंड से बजरी-रेता लेकर आने वाले वाहनों की निकासी का है। जिला खनन अधिकारी मनीष कुमार बताते हैं कि जिले में मीरगंज में रामगंगा नदी पर बालू खनन के दो क्षेत्र हैं, जहां वर्ष 2017-18 में पट्टे हुए थे। उसके बाद से अब इस बार पट्टा देने की प्रक्रिया शुरू हुई है। प्रस्तावों पर टेंडर हो गया है। पर्यावरण विभाग से एनओसी आनी बाकी है। खनन पट्टा अवधि 5 साल तक के लिए निर्धारित होती है। खनन अधिकारी को उम्मीद है कि वर्षाकाल के बाद से दोनों क्षेत्र में बालू का खनन शुरू होगा तो विभाग को 7-8 करोड़ रुपये का राजस्व मिल जाएगा।

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