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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। नगर निगम के एक बड़े अफसर ने पहले ब्लैक लिस्टेड फर्म को निर्धारित नियमों के विरुद्ध 5 करोड़ 28 लख रुपए के टेंडर दे दिए। अब जांच के नाम पर उस फर्म को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। अपना पक्ष रखने के लिए फर्म को फिर से एक नोटिस भेजा गया है। हालांकि नगर आयुक्त संजीव मौर्य का कहना है कि ब्लैकलिस्टेड फॉर्म को क्लीन चिट नहीं दी जाएगी।
आगरा की परमार कंस्ट्रक्शन फर्म को वर्ष 2023 में नगर निगम ने शहर के डिवाइडर, पार्क और रोड के किनारे पेड़ों के रखरखाव का ठेका 5 करोड़ 28 लाख रुपए में दिया था। इस फर्म को 125 श्रमिकों को लगाकर यह काम पूरा करना था। यह टेंडर प्रक्रिया 2 साल के लिए हुई थी। मगर, एक साल बीत जाने के बाद ही यह फर्जीवाड़ा पकड़ में आ गया। वह यह कि आगरा की फर्म को नियम विरुद्ध टेंडर मिल गए।
आगरा की फर्म को दस्तावेजों की जांच के दौरान यह मिला कि उस घपला करने की वजह से ब्लैक लिस्टेड किया गया था। उसके बाद भी साल 2023 में इसी फर्म को 5 करोड़ 28 लख रुपए का टेंडर नियम विरुद्ध मिल गया। सूत्रों के अनुसार आगरा की फर्म को नियम विरूद्ध टेंडर देने में शक की सुई अपर नगर आयुक्त सुनील कुमार यादव, सहायक लेखा अधिकारी हृदय नारायण, पर्यावरण अभियंता राजीव कुमार राठी की ओर घूम रही है। क्योंकि टेंडर प्रक्रिया में नगर निगम के यही अफ़सर शामिल थे। मगर, अब जांच के नाम पर नगर निगम के इंजीनियरों और अफसरों इके साथ ही ब्लैक लिस्टेड फर्म को बचाने की कोशिश की जा रही है। इस जांच कमेटी में उपनगर आयुक्त पूजा त्रिपाठी, मुख्य अभियंता मनीष अवस्थी और लेखा अधिकारी अनुराग सिंह शामिल हैं । मगर, यह सब न केवल नगर निगम के अधिकारियों को बचाने की कोशिश में जुटे हैं बल्कि इस पूरे मामले को ठंडा करके जांच में फर्म को क्लीन चिट देना चाहते हैं। नगर आयुक्त संजीव मौर्य का कहना है कि अभी जांच रिपोर्ट बनी नहीं है। ब्लैक लिस्ट प्लेटफार्म को क्लीन चिट ऐसे नहीं दी जाएगी। वह जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इस मसले पर कुछ कहेंगे।