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मोहर्रम की आठ तारीख को ताजियेदारी शबाब पर रही। खास तौर से पुराना शहर के तमाम सुन्नी इमामबाड़ों से तख्तो ताजिये उठाए गए, जो जुलूस के रूप में दिन भर गश्त करते रहे। शाम को सभी शाहदाना चौक पर एकत्र हुए। जहां तमाम इलाकों से अकीदतमंद पहुंचे और मन्नतो मुराद मांगी।
मोहर्रम के सिलसिले में शुक्रवार को सुबह से ही काफी हलचल रही। शहर के तमाम इलाकों से जुलूसों अलम निकलना शुरू हो गए थे। पुराना शहर में इमामबाड़ा मदीना शाह कांकर टोला से निकाली गई भिश्तियों का सबील के साथ क्षेत्र के तमाम इलाकों के तख्त ताजिये जुलूस के रूप में निकाले गए। इसमें रोहली टोला से हसन राजा की सबील, फहीम मियां का तखत, नईबस्ती जगतपुर से शानू अंसारी का तखत, कोट की सबील, जियापुर से जले भुने का तख्त, कोट की सबील, सहित नवादा शेखान, मोहन तालाब, हजियापुर, मीरा की पैंठ, सूफी टोला आदि मोहल्लों जुलूस रहे।
यह सभी तख्त व ताजिए शाम को शाहदाना चौक पर कुछ समय रुके। जहां अकीदतमंदों ने जियारत कर नियाज नजर के साथ मेवा, फूल सहित कई चढ़ावें भी चढ़ाए और मन्नतो मुराद मांगी। इसके बाद यह सभी तख्तो ताजिये अपने-अपने् इमामबाड़ों पर रात तक पहुंच गए। शनिवार नौ मोहर्रम को जियारत के रखा जाएगा। इसी तरह उधर मोहल्ले जखीरा, मलूकपुर, बिहारीपुर आसपास के इमामबाड़ों से तख्त अलम और छड़े निकाली गईं।
जरीदों के जुलूस में अजादारों ने जिस्म को किया लहूलुहान
मुस्लिम शिया समुदाय में आठ मोहर्रम का ऐतिहासिक जरीदों का जुलूस निकाला गया। इसमें लहराते अलम परचम और ढ़ोल नगाड़े जहां कर्बला की जंग का एहसास कर रहे थे। कुमार टाकीज चौक पर एकत्र अजादारों ने जंजीरों, छुरियों से मातम कर रहे थे। जिस्म लहूलुहान था, जुबां पर या हुसैन की सदाएं गूंज रही थीं।
जुलूस दोपहर में इमामबाड़ा फतेह अली शाह काला इमामबाड़ा से निकला गया। इसकी मजलिस को खिताब करते हुए दिल्ली से आए मौलाना नेमत अली कुम्मी ने हजरत इमाम हुसैन के भाई, हजरत अब्बास की शहादत का जिक्र करते हुए मसायब बयान किए, जिसे सुनकर मोमिन रो पड़े। इसके बाद जुलूस रवाना हुआ, जो किला, जामा मस्जिद रोड, जखीरा, जसोली से मलुकपुर इमामबाड़ा फतेह निशान पहुंचा, जहां अंजुमनों ने नौहख्वानी की। उसके बाद जुलूस अपने रास्तों बिहारीपुर, इंदिरा मार्किट होता हुआ कुमार टाकीज गली जज साहब के इमामबाड़े पहुंचा। यहां भी अंजुमनों ने नौहख्वानी की। यहां से वापसी में कुमार टाकीज चौक पर रात में अंजुमन शमशीर-ए-हैदरी और अंजुमन ऑल इंडिया गुलदस्ता-ए-हैदरी ने जंजीर और कमा का मातम किया। इससे पूरा जिस्म लहुलुहान हो गया।