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आला हज़रत के तीन दिवसीय उर्स के पहले दिन उलमा का दुनिया के मुसलमानों के लिए पैगाम

मुसलमानो में फैली बुराईयों के खिलाफ देश भर में होगा आंदोलन। मुसलमानों को दहेज़ लेना और शादी या पार्टी में खड़े होकर खाना गैर शरई। बुराईयों के खिलाफ होगा आंदोलन

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Sudhakar Shukla
आल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी

दुनिया के मुसलमानों को पैगाम देते आल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी

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मुसलमानो में फैली बुराईयों के खिलाफ देश भर में होगा आंदोलन...


बरेली, वाईबीएनसंवाददाता। 

आला हज़रत के उर्स के पहले दिन आल इंडिया मुस्लिम जमात के तत्वावधान मे देश भर से आए हुए उलमा की एक महत्वपूर्ण मीटिंग ग्रांड मुफ्ती हाउस स्थित सौदागरान बरेली मे हुई। मीटिंग मे उलमा ने संयुक्त रूप से कई अहम निर्णय लिए। उसकी जानकारी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने दी। मुस्लिम एजेंडा जारी करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस मे मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बताया कि मुस्लिम समाज मे बुराईयां बहुत ज्यादा बढ़ गई है।  जगह जगह से शिकायतें और बिगड़े हुए हालात की जानकारी मिल रही है। इसलिए मुसलमानो के दरमियान फैली हुई बुराईयों के खिलाफ आंदोलन चलाया जायेगा। मुस्लिम समाज को इस वक्त कुछ ऐसी बुराईयों से बचने की जरूरत है, जो समाजिक, धार्मिक, और नैतिक रूप से नुकसान पहुंचा सकतीं है। ये बुराईया आज के दौर की चुनौतियों और इस्लामिक मूल्यों के आधार पर देखी जा सकती हैं l

राजनीतिक क्षेत्र में मुसलमानों की भागेदारी कम 

मौलाना ने बताया कि समाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में बरेलवी मसलक बहुत पीछे हैं। बरेलवी उलमा ने सियासत को सीधे तौर पर पसंद नहीं किया। उससे नौजवानों को आगे बढ़ने का मौका नही मिल सका। मगर, अब देश के सियासी हालात के परिप्रेक्ष्य में जरुरत पेश आयी है कि बरेलवियों को भी राजनीति के मैदान मे कदम रखना चाहिए। इसलिए अब हर जिले मे बरेलवी क़यादत यानि लीडरशिप को उभारा जायेगा। राजनीतिक मैदान मे दम खम के साथ मुस्लिम समाज की नुमाइंदगी (प्रतिनिधित्व) किया जायेगा।
मौलाना ने यह भी बताया कि पैगम्बर ए इस्लाम ने शिक्षा हासिल करने पर जोर दिया है। कुरान शरीफ मे खुदा ने सबसे पहली आयत पैगम्बर ए इस्लाम पर नाजिल की। (उतारी )वो भी शिक्षा पर आधारित है। मुसलमान शिक्षा के क्षेत्र मे अभी भी दुसरी कौमों से बहुत पीछे है।  अगर यह कहा जाये कि मुसलमानो की हालत दलितों से ज्यादा बुरी है तो गलत न होगा। इसलिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों पर तकिया रखकर भरोसा करने की जरूरत नहीं है। बल्कि खुद मुसलमानो को अपनी नयी नस्ल(New generation )की तालीम और तरबियत के लिए खड़ा होना होगा, वरना पीछे ढकेल दिये जाओगे।

मुस्लिम समाज के लड़के लड़कियों की शादी विवाह में ये होंगे गैर शरई काम


1. इस्लाम ने शादी वीहा को बहुत आसान और कम खर्च वाला कार्य बनाया है। मगर, आज कल मुसलमानो ने शादी (वीहा) को बहुत महंगा कर दिया है ,जो गैर शरई है।

2. निकाह मे जो तरीका अपनाया जा रहा है, दुल्हा और और दुल्हन की तैयारियां में जो तौर तरीका अपनाया जाता है, वो सब गैर शरई है।

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3. शादियों में बारात का खाना, फिर वलीमे का खाना, फिर लड़की वालो कि तरफ से खाना, हाल की बुकिंग के साथ ही और दीगर चींजो मे फिजूल खर्ची की जाती है जो नाजायज है।
4. शादी के दिन लड़की वाले हाल मे दहेज़ की नुमाइश करते हैं, ये भी नाजायज है।
5. इस्लाम में दहेज के मांगने पर सख्त मनाही की है, मगर शादी की तारीख तय करते वक्त दुलेह की तरफ से दहेज के लिए जिन जिन चीजों का मुतालबा किया जाता है, वो सभ नाजायज कार्य है।
6. लडके वाले हो या लड़की वाले दोनों तरफ के खाने के इंतजाम मे खड़े होकर खाना खिलाने की व्यवस्था की जाती है, शरीयत की नजर में यह सख्त गुनाह का काम है। बैठकर खाना खिलाने कि व्यवस्था होनी चाहिए।

शिक्षा के मैदान मे कार्य

1. दीनी और दुनियावी शिक्षा के लिए स्कूल, कालेज, और विश्वविद्यालय मालदार मुसलमान खोलें। मौजूदा समय मे तकनीकी शिक्षा मे पीछे रहना भी समाज के लिए नुकसान देय है।
2. दुनियावी और धार्मिक शिक्षा मे संतुलन, और विज्ञान व तकनीक मे जागरूकता लाना भी जरूरी है।
3. उच्च शिक्षा के लिए IAS, IAF, IPS, PCS, PCS J आदि कोचिंग सेंटर खोले जायें। आर्थिक तौर पर ग़रीब व कमजोर छात्रों को फ्री कोचिंग करायी जाये।
4. मौजूदा हालात के पेशे नज़र लड़कियों के लिए अलहेदा स्कूल व कॉलेज खोले जायें, ताकि लड़कियों की शिक्षा अच्छे से अच्छे अन्दाज मे हो सकें, ताकि समाज के दरमियान वो भी तरक्की कर सकें। 

फिजूल खर्ची और नशा

1. आजकल अकसर नौजवान नशे के आदी हो चुके हैं, जिसकी वजह से उनकी सेहत के साथ परिवार में विवाद और मां बाप के लिए एक मुसीबत का सबव बन जाते हैं।
2. मस्जिद के इमामों और बुद्धिजीवियों को इस पर काम करना होगा।
3. मुसलमान शादी वीहा और दीगर कार्यक्रमो के साथ ही साथ जलसा, जुलूस, लगंर और उर्स मे बेपनाह फिजूल खर्ची करते हैं। इस फिजूल खर्ची से कोई सबाब नही हासिल होता, बचना जरूरी है।
4. मुसलमान पीरी मुरीदी को असल इस्लाम न समझे, बल्कि असल इस्लाम तोहिद, नमाज, रोज़ा, हज, जकात हैं। इनके करने से खुदा और रसूल खुश होंगे।

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प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौलाना अब्दुल हमीद नूरी, हाफिज नूर अहमद अजहरी, हाजी नाजिम बेग , मौलाना मुजाहिद हुसैन, मौलाना फारूख रजवी, मौलाना अकबर अली,  शाहिद रजवी, आदि उपस्थित थे।

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