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एक साल बाद महर्षि कश्यप जयंती पर भी छलका हार का दर्द.... जानिए पूरी ख़बर यंग भारत पर

अपने सांसद कार्यकाल में जमींदारों की नसबंदी कराने जैसा विवादित बयान देकर सुर्खियां बटोरने वाले एक पूर्व सांसद का दर्द लोकसभा चुनाव में हार के एक साल बाद भी कायम है।

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Sudhakar Shukla
pain of defeat
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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अपने सांसद कार्यकाल में जमींदारों की नसबंदी कराने जैसा विवादित बयान देकर सुर्खियां बटोरने वाले एक पूर्व सांसद का दर्द लोकसभा चुनाव में हार के एक साल बाद भी कायम है। कुछ दिन पहले इन पूर्व सांसद ने महर्षि कश्यप जयंती पर समारोह कराया। समारोह तो ठीक ठाक निपट गया। उसमें उनके जबरदस्ती मुस्कराते हुए फ़ोटो सोशल मीडिया पर जरुर पड़ गए। मगर, उस समारोह के बाद चंद समर्थकों के बीच पूर्व सांसद के मन में अपनी हार का दर्द छलक उठा। सूत्रों के मुताबिक महर्षि कश्यप जयंती के समारोह समापन के बाद पूर्व सांसद ने चंद समर्थकों के बीच कहा कि तुम सबकी बातों में आकर अगर मैंने अनावश्यक पंगेबाजी न की होती तो मै तीसरी बार सांसद बनता। मैं चंद लोगों की बातों में आकर चुनाव हार गया। वरना, इस बार भी मैं ही चुनाव जीतता। उसके बाद केंद्र सरकार में मंत्री बनता। 

अपने सांसद कार्यकाल में रुहेलखंड मंडल के एक पूर्व सांसद ने वीडियो के जरिए यह बयान देकर काफी सुर्खियां बटोरी थीं कि जमींदारों की हमने नसबंदी कर दी है। अब जमींदारों के खानदान से भविष्य में कोई नेता पैदा नहीं होगा। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन सांसद का यह वीडियो जब आम नागरिकों के बीच वॉयरल हुआ तो उनकी ही लोकसभा क्षेत्र के दूसरे पूर्व सांसद ने उनको हराने का संकल्प लिया। वह अपनी बिरादरी में तत्कालीन सांसद को हराने निकल पड़े। हालांकि इसका बहुत असर तो नहीं पड़ा। उनकी बिरादरी का वोट लाख कोशिश के बाद भी कमल निशान पर ही पड़ा।

पप्पू फैक्टर ने बिगाड़े जीत के समीकरण.....

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वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन सांसद से एक मीडिया इंटरव्यू में किसी ने सवाल पूछ लिया कि इस बार पप्पू आपके साथ नहीं हैं। कैसे चुनाव जीतोगे। उसके जबाव में तत्कालीन सांसद ने अपनी ही पार्टी के तीनों नेताओं पर तंज कसते हुए फिर से विवादित बयान दे डाला। वह यह कि पप्पू, डब्बू और बब्बू कुछ नहीं कर पाएंगे। हम तीन लाख वोटों से चुनाव जीतेंगे। खैर, जब वोटों की गिनती हुईं तो बीते दो चुनाव में एक लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीतने वाले तत्कालीन सांसद लगभग 16 हजार वोटों से चुनाव हार गए। सांसद को सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि वह लोकसभा का चुनाव हार जाएंगे। मगर, जब उनकी हार का रिजल्ट आया तो वह निराशा के गर्त में डूब गए। उनके राजनीतिक कैरियर पर फ़िलहाल विराम लग गया। 

एक साल बाद भी हार के सदमें से उबर नहीं पाए पूर्व सांसद 

भाजपा के एक सूत्र के अनुसार पूर्व सांसद लोकसभा चुनाव के एक साल बाद भी अपनी हार के सदमें से उबर नहीं पाए हैं। बीच में रह रहकर हार का दर्द छलक उठता है। पिछले महीने उन्होनें होली मिलन समारोह किया था। उस समारोह में कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा। मगर, प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उस होली मिलन समारोह में पूर्व सांसद ने एक ब्लॉक प्रमुख और एक बड़े नेता को अप्रत्यक्ष रूप से अपनी हार के लिए जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि तुम दोनों की वज़ह से ही मेरी लोकसभा चुनाव में हार हुईं। अगर, तुम्हारे ऊपर भरोसा न करके मैं अपने तरीके से चुनाव लड़ा होता तो मैं तीसरी बार न केवल सांसद बल्कि केंद्र सरकार में मंत्री भी होता।

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भारी पड़ी पप्पू की दुश्मनी, टिकट कटवाने का चुकाना पड़ा हिसाब 

भाजपा के अंदरुनी सू़त्रों का कहना है कि पूर्व सांसद को बीते लोकसभा चुनावों में पप्पू, डब्बू और बब्बू वाले विवादित बयान में से पप्पू से दुश्मनी बहुत भारी पड़ गई।  2019 के लोकसभा चुनावों में डब्बू और बब्बू तो कंट्रोल हो गए लेकिन पप्पू ने अपना हिसाब बराबर करने की जिद ठान ली। पप्पू ने 2019 में अपनी जिस बिथरी विधानसभा सीट से उनको लगभग 40 हजार वोटों सेचुनाव जिताकर भेजा था। वहीं 2024 के लोकसभा चुनावों में वह सपा प्रत्याशी के मुकाबले दो हजार वोटों से पिछड़ गए। इसके अलावा उनको फ़रीदपुर से भी बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा। आंवला और दातागंज में भी उनकी बढ़त काफी कम हो गई। इसके चलते भाजपा का गढ़ समझी जाने वाली सीट पर उनको सपा प्रत्याशी के मुकाबले हार मिली। भाजपा के कुछ सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि तीन साल पहले 2022 में एक तत्कालीन विधायक का टिकट कटवाने के पचड़े में पूर्व सांसद नहीं पड़ते तो वह ख़ुद भी पूर्व नहीं होते। टिकट कटने के बाद पूर्व विधायक ने तत्कालीन सांसद को भी पूर्व बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उसका नतीजा बीते साल उनकी हार के रूप में सामने आया। बहरहाल, अपनी हार का मलाल पूर्व सांसद को एक साल बाद भी है। उनका यह दर्द चंद समर्थकों के बीच अक्सर छलक उठता है।

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