/young-bharat-news/media/media_files/2025/08/19/whatsapp-image-2025-08-19-19-02-28.jpeg)
बरेली आला हजरत उर्स में दरगाह की सजावट
बरेली, वाईबीएनसंवाददाता।
सुन्नी,सूफी,ख़ानक़ाही विचारधारा के बड़े धर्मगुरु आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान की बारगाह में खिराज़ पेश करने विश्व भर के ज़ायरीन समेत उलेमा बरेली पहुँच चुके है। उर्स स्थल इस्लामिया मैदान में सुबह 8 बजे अंतरराष्ट्रीय नामूस-ए-रिसालत,आपसी सौहार्द और मसलक-ए-आला हज़रत कॉन्फ्रेंस का आयोजन दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की सदारत व सय्यद आसिफ मियां की देखरेख में किया गया। इसी बीच सुबह मुफ़स्सिर-ए-आज़म व रेहान-ए-मिल्लत और देर रात मुफ्ती आज़म हिंद के कुल शरीफ की रस्म एक बजकर चालीस मिनट पर अदा की गई। प्रोग्राम देर रात तक जारी था।
राजनीतिक दलों के झांसे में आए बिना मुल्क से सच्ची मोहब्बत करें मुसलमान
मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि कॉन्फ्रेंस का आगाज़ मुफ्ती जईम रज़ा ने तिलावत-ए-कुरान से किया। हाजी गुलाम सुब्हानी, आसिम नूरी,अर्सलान आलम ने नात ओ मनकबत का नज़राना पेश किया। इसके बाद कॉन्फ्रेंस को खिताब करते हुए मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने कहा कि दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) का पैगाम देते हुए कहा कि दुनिया के मुल्कों के संविधान में सबसे खूबसूरत संविधान हमारे मुल्क का है। इस मुल्क में सभी को अपने मज़हबी कार्यक्रमों को करनी की पूरी आज़ादी है। राजनीतिक पार्टियों के झांसे में आए बिना अपने मुल्क से सच्ची मोहब्बत रखते हुए मुल्क की तरक्की और खुशहाली के लिए काम करे। क्योंकि राजनीतिक पार्टियों की हुकूमत आती है और चली जाती है। हमारे मुल्क का इतिहास बहुत पुराना है। इस मिट्टी में सभी का लहू शामिल है। सभी धर्मों के लोग इस मुल्क के निवासी है। राजनीतिक पार्टियों से इक्तेलाफ अलग चीज़ है। मुल्क से वफादारी अलग। हम अपने बच्चों को शरीयत के कानून के साथ मुल्क के कानून को भी पढ़ाए। मुसलमान के हर बच्चे को अपने देश का संविधान समझना ज़रूरी है।
हिंदू मुस्लिम गठजोड़ बनाने के लिए खानकाहों को आगे आना होगा
उर्स में यह पैगाम दिया गया कि आपसी सौहार्द के लिए मुल्क में सेकुलर हिंदू मुस्लिम मिलकर एक गठजोड़ बनाए इसके लिए हिंदुस्तान की खानकाहों को आगे आना होगा। आज हमारे मदरसों को शक की निगाह से देखा जाता है। कभी ये जांच कभी वो जांच ऐसे लोगों को ये नहीं मालूम आज़ादी के मतवालों ने इन्हीं मदरसों से तालीम हासिल की। फिर चाहे वो टीपू सुल्तान हों,बहादुर शाह जफर या फिर अल्लामा फ़ज़ले हक खैराबादी। मुसलमानों और मदरसों को देश भक्ति के लिए किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं। आगे कहा गया कि अमेरिका ने दुनिया के कितने मुल्कों को बर्बाद कर दिया। आज इजराइल अमेरिका की मदद से फिलिस्तीन को बर्बाद कर रहा है। पाकिस्तानी यू ट्यूबर उलेमा से दीन न सीखे। बल्कि सुन्नी उलेमा की किताबों से दीन सीखे। अपनी बहुओं बेटियों की हिफाज़त करें। नमाज़ो की पाबंदी करते हुए मालदार मुसलमान अपनी जकात की रकम से समाज से गरीबी दूर करे। कारी सखावत मुरादाबादी ने देश भर से आये उलेमा व मस्जिदों के इमामों से अपील करते हुए कहा कि वो जुमे की नमाज़ के खुतबे में आपसी सौहार्द को बढ़ावा देने,नफरत मिटाने और शरई दायरे में रहकर आपसी भाईचारे मज़बूत करने पर जोर दें।
बहावी विचारधारा से अपने आप को महफूज रखें
कश्मीर रजौली से मुफ्ती अब्दुल रऊफ ने खिताब करते हुए कहा कि नामूस ए रिसालत पर पहरा देते हुए मसलक-ए-आला पर क़ायम रहे। वहाबी विचार धारा से अपने आप को महफूज़ रखे। मौलाना मुख़्तार बहेडवी ने कहा कि मुफ्ती ए आज़म हिंद ने देश के विभाजन के वक़्त अपने उम्दा क़िरदार और दुआ तावीज से दोनों समुदायों में नफ़रत की जो दीवार खिच गई थी उसे पाटने का काम किया। संचालन करते हुए कारी यूसुफ रज़ा सम्भली ने सामाजिक बुराई जैसे महिलाओं के साथ होने वाली जुल्म ज़्यादती,बढ़ती दुष्कर्म की घटनाए, आपसी लड़ाई झगड़े ,सूद के कारोबार,शराब,ज़िना(बलात्कार),नशाखोरी,शादियों में फुजूलखर्ची,डीजे ढोल बाजे,मुसलमानों के शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ेपन पर फिक्र ज़ाहिर करते हुए लोगो से ऐसी सामाजिक बुराइयों से दूर रहने का आव्हान किया। मौलाना कमर रज़ा ने आला हज़रत के वैज्ञानिक कारनामों पर रौशनी डाली।
जिसमें हम खाते हैं, उसमें कभी छेद नहीं करते
मौलाना जाहिद रज़ा और मुफ्ती बशीर उल क़ादरी ने कहा कि बरेली की पहचान दुनिया भर में आला हज़रत की वजह से है उन्होंने बरेली में आला हज़रत कॉरिडोर बनाने की मांग की। कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी ने कहा कि रेहान ए मिल्ल ने आला हज़रत के मिशन को फ़रोग देने के लिए बहुत से मुल्कों के दौरे किए। मुफ्ती अख़्तर ने शायराना अंदाज़ ने कहा कि जिसमें खाते है कभी छेद नहीं करते है,दर बदर झुकता नहीं है अपना माथा कही,हम तो खुद्दार है खुद्दारी शेवा है अपना। मौलाना असलम टनकपुरी,नेपाल से आए नसरुद्दीन रजवी,मॉरीशस से मुफ्ती नदीम,मुफ्ती रियाजुल हसन,मुफ्ती अय्यूब खां नूरी,मुफ्ती कलीम उर रहमान,मुफ्ती नवाज़िश अली,मुफ्ती मोइनुद्दीन बरकाती,मुफ्ती सय्यद कफील हाशमी आदि ने भी आला हज़रत को खिराज़ पेश किया। इसी बीच कुल शरीफ की फातिहा कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी ने शिजरा मुफ्ती जमील और मुल्क की तरक्की व मिल्लत की खुशहाली के लिए खुसूसी दुआ मुफ्ती आकिल रजवी ने की। मुफ्ती आकिल रजवी की लिखी इमदादुल कारी की नौवीं जिल्द का विमोचन दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां ने किया। कांफ्रेस दोपहर 12 बजे तक चली।आखिर में मुफ्ती अफ़रोज़ आलम को ख़िराज ए अकीदत पेश की गई।
इन्होंने संभाली उर्स की व्यवस्था
उर्स की व्यवस्था संभालने ने राशिद अली खान,औरंगज़ेब नूरी,ताहिर अल्वी,परवेज़ नूरी,नासिर कुरैशी,हाजी जावेद खान,अजमल नूरी,शाहिद नूरी,मंजूर रज़ा,मुजाहिद रज़ा,अब्दुल माजिद,नफीस खान,आलेनबी,सऊद रज़ा,फैजान रज़ा,इशरत नूरी,सय्यद माजिद अली,सय्यद एजाज़,सय्यद फैजान अली,शान रज़ा,नईम नूरी,तारिक सईद,हाजी अज़हर बेग,अब्दुल वाजिद नूरी,हाजी अब्बास नूरी,हाजी शरिक नूरी,फय्याज रज़ा,आसिफ रज़ा,युनुस गद्दी,शरिक बरकाती,काशिफ सुब्हानी,अश्मीर रज़ा,जुनैद चिश्ती, आसिम रज़ा,इरशाद रज़ा,साजिद नूरी,आदिल रज़ा,अरबाज रज़ा,शाद रज़ा,सलमान रज़ा,आरिफ नूरी,सबलू अल्वी,मुस्तकीम रज़ा, साकिब रज़ा, जीशान कुरैशी,अयान कुरैशी,रूमान खान,सय्यद असद अली,हाजी शकील नूरी,सय्यद फरहत, ग़ज़ाली रज़ा,सरताज बाबा,शहजाद पहलवान आदि रात दिन जुटे है।
उर्स का समापन आज
कार्यक्रम 20 अगस्त(बुद्धवार): बाद नमाज़ फज्र कुरानख्वानी। 8 बजे इस्लामिया मैदान में महफिल का आगाज़। दुनिया भर के उलेमा की तकरीर। दोपहर दो बजकर अड़तीस मिनट में कुल शरीफ की रस्म अदा की जाएगी। इसी के साथ तीन रोज़ा उर्स का समापन हो जाएगा।