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रुपयों और सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने के झांसे में आकर ईसाई बने सिख समुदाय के लोगों ने घर वापसी की राह पकड़ ली है। सिख संगठनों के लगातार प्रयासों से अब तक 1000 लोग घर वापसी कर चुके हैं। इसकी जानकारी मंगलवार को लखनऊ में हुई प्रेस वार्ता में दी गई।
लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष एवं ऑल इंडिया सिख पंजाबी वेलफेयर काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरपाल सिंह जग्गी ने प्रेस वार्ता में बताया कि पीलीभीत में सीमा नेपाल से सटी बैल्हा, टाटरगंज उर्फ सिंघाड़ा, वमनपुरी आदि करीब 12 ग्राम सभाओं में करीब 22 हजार की आबादी रहती है। इन ग्राम पंचायतों में अधिकांश आबादी राय सिख है। अंधविश्वास, अशिक्षा और मूलभूत सुविधाओं की कमी का फायदा उठाकर यहां बड़े स्तर पर धर्मांतरण कराया गया है। वर्ष 2020 से अब तक करीब 3000 सिखों का धर्मांतरण कराया गया। इसका पता चलने पर जांच के बाद ऑल इंडिया सिख पंजाबी वेलफेयर काउंसिल एवं लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने फरवरी 2025 में कार्यक्रम कर आयोजन कर लोगों की घर वापसी कराई। अब तक 1000 लोगों की घर वापसी हो चुकी है। इसके साक्ष्य भी हैं। घर वापसी के प्रयास जारी है। बताया कि धर्मांतरण की बड़ी वजह कमजोर आर्थिक स्थिति, अशिक्षा और मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।
हरपाल सिंह जग्गी ने बताया कि पीलीभीत के राय सिखों के अलावा लखीमपुर खीरी में गौरीफंटा, चंदन फाटक, तिकुनिया, निघासन आदि इलाकों में थारुओं का धर्मांतरण कराया गया। सिखों और थारुओं को पास्टर बना दिया गया। यह लोग दो तरह की सभा लगाते हैं। शनिवार को सभा लगाते हैं। दूसरे दिन थारुओं और हिंदुओं की सभा लगाते हैं।