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पीलीभीत : तीन हजार सिखों का कराया जा चुका धर्मांतरण

भारत-नेपाल सीमा के गांवों के करीब तीन हजार सिखों का पिछले कुछ समय में धर्मांतरण कराया जा चुका है। धर्मांतरण कराने वाले नेपाली पादरी क्षेत्र में बेहद सक्रिय हैं।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता 

भारत-नेपाल सीमा के गांवों के करीब तीन हजार सिखों का पिछले कुछ समय में धर्मांतरण कराया जा चुका है। धर्मांतरण कराने वाले नेपाली पादरी क्षेत्र में बेहद सक्रिय हैं। यह जानकारी ऑल इंडिया सिख पंजाबी वेलफेयर काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष व लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष हरपाल सिंह जग्गी ने दी। उन्होंने कहा कि लालच देकर जबरन लोगों का धर्मांतरण कराया गया है। ऐसे 160 परिवारों की सूची डीएम-एसपी को सौंपी गई है। उन्होंने कहा, फरवरी में गांव बैल्हा में हुए गुरमत समागम में 180 परिवारों ने घर वापसी कर ली।

नेपाल सीमा के गांवों में लगातार सिखों और हिंदुओं का धर्मांतरण कराया जा रहा

हरपाल सिंह जग्गी ने गुरुद्वारा श्री सिंह सभा में प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि नेपाल सीमा के गांवों में लगातार सिखों और हिंदुओं का धर्मांतरण कराया जा रहा है। गांव बैल्हा, टाटरगंज, बमनपुर भागीरथ में 20 हजार से अधिक आबादी है। नेपाल से आने वाले पादरी वर्ष 2020 से सिखों का जबरन धर्मांतरण करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मामले को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक, विधायक और सेवानिवृत पुलिस अफसर राजेश्वर सिंह, सांसद बृजलाल को भी जानकारी देकर निष्पक्ष जांच की मांग की गई। इसको लेकर तीन दिन पहले हजारा थाने में आठ नामजद और तीन से चार दर्जन अज्ञात पर रिपोर्ट दर्ज की गई है।

गरीबी और शिक्षा की कमी के कारण बदल रहे धर्म

स्थानीय सिख नेताओं ने क्षेत्र में शिक्षा की कमी और गरीबी को धर्मांतरण का प्रमुख कारण बताया है। उन्होंने सरकार से इस ओर विशेष ध्यान देने की मांग की है। कई सिख अब पादरी बन चुके हैं और वे भी दूसरों का धर्मांतरण करा रहे हैं। सिख नेताओं का कहना है कि विदेशी एजेंसियां नेपाल के रास्ते यह काम करा रही हैं। इससे देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

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