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बरेली के आला हजरत के उर्स में पहुंचे जायरीन
वाईबीएन संवाददाता
बरेली। आज आला हज़रत फ़ाज़िले बरेलवी का 107 वा उर्से रज़वी का आगाज़ परचम कुशाई की रस्म के साथ हो गया। रात में नातिया मुशायरा व हुज्जातुल इस्लाम के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। उर्स की सभी रस्में दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की सदारत और सय्यद आसिफ मियां की देखरेख में दरगाह परिसर व इस्लामिया मैदान में अदा की गई। नातिया मुशायरा देर रात तक जारी था।
उर्स में इन देशों से पहुंचे जायरीन....
उर्स ए रजवी में विदेश से आने वाले जायरीनों में दुबई, साउथ अफ्रीका,मलावी,बांग्लादेश,श्री लंका,नेपाल के अलावा अन्य कई देशों से जायरीन पहुंच चुके हैं। इनके अलावा अपने देश के भी कोने कोने से ज़ायरीन पहुंचे हैं। दरगाह से जुड़े उर्स ए रजवी के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि आज इस्लामिया मैदान में रज़वी परचम मुख्य गेट पर नसब कर दिया गया। रज़वी परचम लहराते ही विधिवत उर्स का आगाज़ हो गया। नारे तकबीर अल्लाह हो अकबर,मसलक-ए-आला हज़रत ज़िंदाबाद के नारों के बीच दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) ने अपने दस्ते मुबारक से (हाथों) सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां,सय्यद आसिफ मियां व देश-दुनिया से आये उलेमा की मौजूदगी में परचम कुशाई की रस्म अदा की। यहाँ फातिहा के बाद खुसूसी दुआ की गई । परचम कुशाई होते ही फ़िज़ा में आला हज़रत की लिखी नात व मनकबत गूँजने लगी। इससे पहले आजम नगर स्थित हाजी अल्लाह बख्श के निवास पर फातिहाख्वानी का एहतिमाम हुआ। लंगर के बाद परचमी जुलूस दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां की क़यादत में अपने रिवायती रास्तों से होकर गुजरा।
शहर के इन मार्गों से निकला उर्स का जुलूस
यह जुलूस कुमार टाकीज,इंदिरा मार्केट होते हुए बिहारीपुर के ढाल के रास्ते दरगाह पहुँचा। यहाँ सलामी देने के बाद जुलूस दरगाह से दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां की क़यादत में वापिस इस्लामिया मैदान पहुँचे। बाद नमाज़-ए- मग़रिब महफ़िल-ए-मिलाद हाजी गुलाम सुब्हानी व आसिम नूरी ने पेश की। रात में 10 बजकर 35 मिनट पर आला हज़रत के बड़े साहिबजादे हुज्जातुल इस्लाम मुफ्ती हामिद रज़ा खान (हामिद मियां) के कुल शरीफ की फातिहा मुफ्ती जईम रज़ा व मुफ्ती जमील ने पढ़ी। मुफ़्ती सलीम नूरी बरेलवी ने अपने खिताब में कहा कि शिक्षा के लिए आज प्रचार प्रसार किया जा रहा है लेकिन हुज्जातुल इस्लाम ने 1938 में मुरादाबाद में हुई एक बड़ी कॉन्फ्रेंस में मुसलमानों से अपने बच्चों तालीम दिलाने पर ज़ोर देते हुए अपने आप को आर्थिक रूप से मजबूत करने का आव्हान किया। दुनिया भर में सुन्नियत की पहचान कराने में अहम रोल अदा किया। आला हज़रत की वजह से बरेली सुन्नियत का केंद्र बन गया। उन्होंने कहा कि मुल्क की हिफाज़त और आपसी सौहार्द और हिंदू मुसलमानो में बड़ी दूरियों के खत्म करने के लिए प्रयास करे। इसके बाद नातिया मुशायरा हज़रत अहसन मियां की सदारत में मुफ़्ती आकिल रज़वी,मुफ्ती जमील,मुफ्ती सलीम नूरी,मुफ्ती सय्यद कफील हाशमी,मुफ्ती मोइनुद्दीन,मौलाना डॉक्टर एज़ाज़ अंजुम,मौलाना अख्तर,मुफ्ती कलीम उर रहमान कादरी की निगरानी में शुरू हुआ, जो देर रात तक जारी था।
तरही "पीते है तिरे दर का खाते है तिरे दर का....
मुशायरा के मिसरा तरही "पीते है तिरे दर का खाते है तिरे दर का।" दूसरा मिसरा "हम तो खुद्दार है खुद्दारी है शेवाह अपना।"
पर शायरों ने अपने-अपने कलाम पेश किये। मुशायरा की निज़ामत संचालन कारी नाज़िर रज़ा बरेलवी ने किया। दूसरी तरफ दिन भर जिले भर से चादरों के जुलूस दरगाह पहुंचते रहे। रहपुरा से समी खान,अजमल खान,हफीज खान,उवैस खान, ठिरिया निजावत खा से वसीम खान,फहीम खान,रफत अली खान,राशिद खान,मुशाहिद खान स्वाले नगर से मुजाहिद रज़ा,सलमान रज़ा,वसीम रज़ा,आसिफ रज़ा आजम नगर से मजार शरीफ पर फूलों का सेहरा शहजाद कुरैशी,ज़ीशान कुरैशी,शहजाद कुरैशी,जीशान चिश्ती,जुनैद कुरैशी,फैज़ कुरैशी,वसीम कुरैशी,शोएब कुरैशी,वसीम कुरैशी सभासद आरिफ कुरैशी के अलावा किला,जसोली,फरीदापुर,आंवला,तिलयापुर,पुराना शहर से लेकर आए।
कल होंगे ये प्रोग्राम....
19 अगस्त (मंगल) बाद नमाज़ ए फ़ज़्र कुरानख्वानी। सुबह 9.58 मिनट पर रेहाने मिल्लत व 10.30 बजे मुफ़स्सिर-ए आज़म के कुल शरीफ की रस्म अदा की जाएगी। इसके बाद आपसी सौहार्द कॉन्फ्रेंस होगी। उलेमा नामूसे रिसालत,मिशन मसलक आला हज़रत,समाज सुधार,आपसी सौहार्द,देश मे बढ़ती हिन्दू-मुस्लिम दूरी,सामाजिक बुराई के खात्मे पर चर्चा करेगें। दिन में कार्यक्रम व चादरपोशी का सिलसिला जारी रहेगा। रात में दुनियाभर के मशहूर उलेमा की तक़रीर होगी। देर रात 1 बजकर 40 मिनट पर मुफ्ती आज़म-ए-हिन्द के कुल शरीफ की रस्म अदा होगी। उर्स की व्यवस्था में मौलाना सय्यद शबाहत अली, मौलाना ज़िक्रउल्लाह, राशिद अली खान,मौलाना अबरार उल हक,मौलाना ज़ाहिद रज़ा,मौलाना बशीर उल कादरी,परवेज़ नूरी,अजमल नूरी,ताहिर अल्वी,शाहिद नूरी,औरंगजेब नूरी,हाजी जावेद खान,नासिर क़ुरैशी,मंज़ूर रज़ा,आसिफ रज़ा,शान रज़ा,सय्यद फैज़ान रज़ा,यूनुस गद्दी,रईस रज़ा,मोहसिन रज़ा,तारिक सईद,मुजाहिद रज़ा,जुहैब रज़ा,आलेनबी,इशरत नूरी,इरशाद रज़ा,ज़ीशान कुरैशी,हाजी अब्बास नूरी,सय्यद माजिद अली,सय्यद एज़ाज़,नफीस खान, शरिक बरकाती,काशिफ सुब्हानी,अब्दुल माजिद,आरिफ रज़ा,फ़ारूक़ खान,सय्यद असद,साजिद नूरी,सबलू अल्वी,हाजी फय्याज,गफ़ूर पहलवान,सरताज बाबा,शहज़ाद पहलवान,आरिफ नूरी,एडवोकेट काशिफ रज़ा,अजमल खान,समी खान,सुहैल रज़ा,शाद रज़ा,अरबाज़ रज़ा,आदिल रज़ा,जावेद खान,अब्दुल माजिद,साकिब रज़ा,रोमान रज़ा,हाजी शकील नूरी,साकिब रज़ा,नईम नूरी,मुस्तक़ीम नूरी,इरशाद रज़ा, आसिम नूरी,अश्मीर रज़ा,फ़ैज़ी रज़ा,सय्यद जुनैद,सय्यद फरहत,जावेद खान,हाजी शारिक नूरी,हाजी अज़हर बेग,जुनैद चिश्ती,अब्दुल वाजिद नूरी,गजाली रज़ा आदि दिन रात व्यवस्था बनाने में जुटे है।
उर्स में विदेशी जायरीन भी पहुंचे....
उर्स ए रजवी में विदेशी जायरीन भी पहुंचे हैं। मॉरिशस से मुफ्ती नदीम मंजरी,मुफ्ती रियाजुल हसन,मुफ्ती इमरान,नेपाल मौलाना फूल मोहम्मद नेमत,मौलाना नसीरुद्दीन,मौलाना इरफान,साउथ अफ्रीका से मौलाना सलीम खुशतरी,दुबई से हबीब उर रहमान,कतर से मौलाना शफीक,ओमन से मौलाना सलमान भी बरेली पहुंच चुके है।