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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
समाज में बदनामी का डर, आर्थिक तंगी या कोई और वजह...। करीब एक साल के मासूम को पुलिस लाइन के पीछे खंडहर में फेंक दिया गया। मॉर्निंग वॉक को निकलीं पूर्व लेफ्टिनेंट खुशबू पाटनी को खंडहर के अंदर से बच्चे के रोने की आवाज सुनी। उन्होंने जाकर देखा तो जमीन पर बच्चा अकेला पड़ा था। उसके आसपास अवारा कुत्ते और बंदर मंडरा रहे थे। इसे ईश्वर की कृपा ही कहेंगे जो जानवरों ने बच्चे को नोचा नहीं।
बच्चे को अकेला पड़ा देख खुशबू पाटनी दंग रह गईं। उन्होंने आसपास देखा तो कोई ऐसा नजर नहीं आया, जो बच्चे का हकदार हो। उन्होंने बच्चे के कपड़ों पर लगी मिट्टी झाड़ी और गोद में उठाकर अपने घर ले गईं। बच्चे को साफ सुथरे कपड़े पहनाए और दूध पिलाया। बाद में बच्चे को चाइल्ड लाइन के हवाले कर दिया गया। वह बोलीं- लानत है ऐसे मां-बाप पर, कोई अपने मासूम बच्चे को इस तरह खंडहर में छोड़ सकता है।
बच्चा किसका है और उसे खंडहर में किसने छोड़ा, इसका अब तक पता नहीं चल सका है। पुलिस और चाइल्ड लाइन की टीम आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है। बच्चे की उम्र लगभग एक साल बताई जा रही है। चाइल्ड लाइन के अधिकारियों का कहना है कि बच्चे की हालत ठीक है, और उसकी अच्छे से देखभाल की जा रही है।
यह मानवता को झकझोर देने वाली घटना है। मां-बाप बच्चे के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर देते हैं। वहीं, इस मासूम के माता-पिता को देखो, जिन्होंने नन्हीं सी जान को जानवरों को नोचकर खाने के लिए खंडहर में फेंक दिया। वहीं, पूर्व लेफटिनेंट खुशबू पाटनी ने बच्चे की जान बचाकर मानवता की मिसाल बन गईं।