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पंचगव्य से बनेगी स्किन केयर, बायोगैस से फर्राटा भरेंगी गाड़ियां

प्रदेश की गोशाला में कई तरह के नवाचार किए जाएंगे। पंचगव्य से स्किन केयर बनाने, बायोगैस से वाहन चलाने और जैविक उत्पादों से हरित खेती करने की योजना बनाई जा रही है। इसमें बरेली जिले में बायो फेंसिंग एवं सोलर शेड परियोजना भी शामिल है।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

प्रदेश की गोशाला में कई तरह के नवाचार किए जाएंगे। पंचगव्य से स्किन केयर बनाने, बायोगैस से वाहन चलाने और जैविक उत्पादों से हरित खेती करने की योजना बनाई जा रही है। इसमें बरेली जिले में बायो फेंसिंग एवं सोलर शेड परियोजना भी शामिल है।

प्रदेश की 75 चयनित गोशालाओं में प्रति वर्ष 25 लाख रुपए की स्व-अर्जन क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। यह नवाचार किसानों और पशुपालकों के लिए एक स्थायी आर्थिक मॉडल प्रस्तुत करेगा। इससे गोशालाएं सिर्फ संरक्षण केंद्र नहीं, बल्कि उत्पादन और शोध केंद्र के रूप में कार्य करेंगी। गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता ने बताया कि गो आधारित उत्पादों से किसानों और ग्रामीणों को कम लागत में अधिक लाभ मिलेगा। पंचगव्य, बायोगैस, जैविक कीटनाशक और बायो फेंसिंग से गांवों में नई आर्थिक ऊर्जा का संचार होगा।

यहां स्थापित होंगी यूनिट

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गोरखपुर– ड्यूल फीड बायोगैस संयंत्र की स्थापना

आगरा– पंचगव्य आधारित स्किन केयर यूनिट

अयोध्या– जैविक कीटनाशक निर्माण इकाई

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बरेली– बायो फेंसिंग एवं सोलर शेड परियोजना

चित्रकूट– बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए चारा बैंक

कानपुर– ''अर्बन काऊ एडॉप्शन'' मॉडल

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वाराणसी– गंगा बेसिन कार्बन ऑफसेट प्रोजेक्ट

झांसी– कैक्टस आधारित मिक्स्ड बायोगैस अनुसंधान केंद्र

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