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सपा जिलाध्यक्ष की कार्यशैली को लेकर पार्टी के अंदर दो फाड़ हो चुके हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री और विधायक ने जिलाध्यक्ष की खिलाफत शुरू कर दी है। नेताओं ने गोपनीय तरीके से शीर्ष नेतृत्व को पत्र भेजकर कार्यप्रणाली से अवगत कराया है। 
पार्टी से जुड़े सूत्रों के अनुसार भेजे गए पत्र में जिलाध्यक्ष आशीष यादव का पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें आशीष कहते हुए नजर आ रहे हैं कि समाजवादी पार्टी में सियासत करनी है तो उसको मेरी चौखट पर आकर सलाम करना होगा, जो नहीं करेगा, उसको मैं मजबूर करुंगा। नेताओं ने इस वीडियो का सैफई परिवार की तरफ होने का आरोप लगााया है। शेखूपुर विधानसभा के ककराला कांड पर मुस्लिम वोटरों पर जुल्म होता रहा, लेकिन जिलाध्यक्ष ने उनकी आवाज नहीं उठाई। इस वजह से वहां का मुस्लिम नाराज है। पत्र में यह भी जिक्र किया कि उझानी की मेंथा फैक्टरी में एक यादव समाज के व्यक्ति की जलकर मौत हो गई और गुलफाम नाम के एक व्यक्ति ने एसएसपी कार्यालय में आत्मदाह का बड़ा मुद्दा था, लेकिन जिलाध्यक्ष ने इन मुद्दे पर सामने नहीं आए। जबकि मुस्लिम और यादव पार्टी का बेस वोटर है। 
वर्ष 2020 में पार्टी के जिलाध्यक्ष पद से हटाए गए थे आशीष
सपा सरकार में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी सुरक्षित हो गई, तब सपा की मधु चंदा अध्यक्ष चुनी गईं। आशीष ने भाजपा नेताओं से मिलकर सपा की मधुचंदा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में मदद की। इस मामले की जांच प्रोफेसर रामगोपाल ने कराई तो विरोधी गतिविधियों में दोषी मानते हुए 2020 में जिलाध्यक्ष पद से हटा दिया गया। इसी तरह पार्टी से अपमानित होकर बिसौली विधायक आशुतोष मौर्या ने भी पार्टी को  छोड़ दिया था।
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