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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
समाजवादी पार्टी के एक माननीय चुनाव जीतने के बाद दस महीने तक तो क्षेत्र में नहीं निकले। न ही उन मतदाताओं का धन्यवाद करने क्षेत्र में गए, जिन्होंने उनको भाजपा के गढ़ में भगवा दल को हराकर चुनाव जिताया। क्षेत्र की जनता की तरफ से भी आवाजें उठने लगी कि भाजपा और उनके माननीय में कोई फर्क नहीं है। न वह चुनाव जीतने के बाद जनता का हाल पूछने आते थे। न ही सपा के माननीय ने चुनाव जीतने के बाद सुध ली। हालांकि इधर, बीते कुछ समय से माननीय अपनी लोकसभा क्षेत्र में अचानक ही कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो गए हैं। इसकी वजह जनता के दुर्ख-दर्द को साझा करना नहीं है बल्कि दो खास ठेकेदारों को विधानसभा चुनाव की तैयारी कराना है।
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने यूपी में बेहतरीन प्रदर्शन करके 37 सीटों पर जीत हासिल की थी। इनमें रुहेलखंड मंडल की दो लोकसभा सीटों पर भी सपा ने जीत का परचम फहराया था। चुनाव बाद सपा कार्यकर्ताओं के अंदर जीत की खुशी कुछ ही महीने में काफूर हो गई। जब उनके अपनी ही पार्टी के माननीय ने पीडीए के फार्मूले को ध्वस्त करते हुए मूल वोटर यादव बिरादरी पर ही परोक्ष हमले शुरु कर दिए।यहां तक कि मामूल झगड़े में यादव प्रधान पर ही एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश करनी कर दी।
आंवला के एक गांव में मौर्य और यादव बिरादरी के बीच हुए मामूली झगड़े में माननीय ने दोनों पक्षों के बीच समझौता न कराकर यादव बिरादरी के प्रधान समेत दो लोगों पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगा दिया। सपा के बड़े नेताओं ने हालांकि उनको बहुत हद तक रोकने की भी कोशिश की। मगर, माननीय तो ठहरे माननीय। उनको अगला चुनाव तो आंवला से लड़ना है या नहीं। ये अभी तय नहीं है। सपा के सूत्रों का तो यहां तक कि कहना है कि अगला चुनाव लड़ने के लिए न तो माननीय का क्षेत्र तय है, न ही पार्टी। क्योंकि उनकी दोस्ती भाजपा के बड़े नेताओं से भी बहुत गहरी है। माननीय के इस रवैये से सपा के उन नेताओं को चिंता सता रही है कि अगर उनका यही हाल रहा तो वह 2027 के विधानसभा चुनाव में जनता का सामना कैसे करेंगे।
खबर है कि इसी बीच माननीय बीते कुछ दिन से अपनी लोकसभा क्षेत्र की बिथरी चैनपुर और आंवला विधानसभा में अचानक सक्रिय हो गए हैं। अब वह गांव में जाकर मुस्कराते हुए जनता का हाल-चाल भी पूछने लगे हैं। हालांकि इस मुस्कराहट के पीछे क्या छिपा है? यह कोई नहीं जानता। अब सपा के नेता सोच रहे होंगे कि माननीय सुधर गए हैं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। दरअसल, माननीय के ऑफिस में उनके खास दो ठेकेदार हैं। इनमें एक लोध बिरादरी के हैं और दूसरे गैर लोध। माननीय ने दोनों को आश्वासन की घुट्टी पिला रखी है कि चिंता मत करो। सपा से आप दोनों को बिथरी और आंवला से विधानसभा का टिकट दिलाकर पूरी ताकत से चुनाव लड़ाएंगे और लखनऊ पहुंचाएंगे। अब इस आश्वासन के बाद दोनों ठेकेदार माननीय के साथ रात दिन लगे हैं। सूत्रों का तो यहां तक कि कहना है कि दोनों ठेकेदार माननीय के ऑफिस का पूरा खर्च भी उठा रहे हैं। दोनों को उम्मीद है कि माननीय के कंधे पर सवार होकर एक बार लखनऊ विधानसभा तक किसी तरह पहुंच गए तो उनका जीवन सफल हो जाएगा और वह नेता बन जाएंगे।
सपा के एक नेता का कहना है कि माननीय को चुनाव जीते हुए एक साल होने जा रहा है। लेकिन अब तक पांचों विधानसभा क्षेत्रों में से किसी एक में भी अपना कोई प्रतिनिधि नही बनाया। हालांकि प्रतिनिधि बनाना या न बनाना माननीय का विशेषाधिकार है। लेकिन सांसद या विधायक का कोई प्रतिनिधि रहता है तो क्षेत्र की जनता की समस्याओं को सुनकर उसका समाधान कराने में मदद मिलती है। मगर, माननीय का मानना है कि अगर उन्होंने सपा का कोई नेता अपना प्रतिनिधि बना दिया तो वह दलाली करने लगेगा। मतलब, वह पार्टी कार्यकर्ताओं पर लगातार शक करते रहते हैं। इस सवाल पर सपा के नेता कहते हैं कि जिन कार्यकर्ताओं ने उनको चुनाव जिताकर संसद पहुंचाया। उनके बारे में इतनी घटिया बात सोचना कितना गलत है। उनके अनुसार माननीय चाहते हैं कि सब कुछ उनके ऑफिस के ही लोग करें। सपा कार्यकर्ता सिर्फ उनकी दरी बिछाता रहे। वैसे भी सपा कार्यकर्ता अपनी पार्टी के प्रति निष्ठावान हैं। वह इन सबमें नहीं पड़ता है, जैसा वह सोचते हैं। प्रत्येक कार्यकर्ता चाहता है कि 2027 में पार्टी की सरकार बने।