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बरेली प्रकरण में हाउस अरेस्ट सपा महानगर अध्यक्ष शमीम खां सुल्तानी व अन्य
वाईबीएन संवाददाता बरेली।
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26 सितम्बर को जुमे की नमाज के बाद प्रशासनिक सख्ती के विरोध में अधिकारियों से मिलकर मुस्लिमों का दर्द जानने के लिए आने वाले सपा के नेताओं को उनके घर में ही नजरबंद कर लिया गया। सपा के 14 सदस्सीय प्रतिनिधि मंडल को बरेली आने की इज़ाज़त नहीं मिली। सपा के जिन नेताओं को घरों में नजरबंद किया गया, उनमें विधानसभा में विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडेय समेत कई सांसद और विधायक भी शामिल थे।
इस संबंध में जानकारी देतें हुए सपा के महानगर महासचिव पंडित दीपक शर्मा ने बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने 26 सितंबर को बरेली में हुई घटना के संबंध में 14 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल बरेली भेजा था। प्रतिनिधि मंडल को बरेली आकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा पीड़ित मुसलमानों से मिलकर उनका दुख दर्द जानना था। किंतु चार सितंबर को सुबह तड़के ही इस प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व करने वाले नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे को लखनऊ स्थित उनके आवास पर बरेली निकलने से पूर्व ही नजर बंद कर दिया गया। वहीं पर उनके साथ इस प्रतिनिधि मंडल में शामिल सपा के प्रदेश महासचिव एवं बहेड़ी विधायक अताउर रहमान भी मौजूद थे। उनको भी नजरबंद कर लिया गया। प्रतिनिधि मंडल में शामिल सांसद हरेंद्र मलिक, रामपुर सांसद मोहिव उल्लाह नदवी, सांसद इकरा हसन को दिल्ली बॉर्डर पर बरेली आते समय रोक लिया गया। बरेली में जिला अध्यक्ष शिवचरण कश्यप को उनके निवास पर कार्यकर्ताओं के साथ नजर बंद कर दिया गया। महानगर अध्यक्ष शमीम खाँ सुल्तानी को रामपुर रोड स्थित निवास पर हाउस अरेस्ट किया गया। इनके अलावा भोजीपुरा विधायक शहज़िल इस्लाम को उनके फ़ार्म हॉउस पर, पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार को भोजीपुरा में तथा पूर्व जिला अध्यक्ष कमलेश यादव को उनके निवास पर नजर बंद कर दिया गया। इस संबंध में प्रेस को जारी एक बयान में सपा के महानगर अध्यक्ष शमीम सुल्तानी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के इशारे पर पुलिस प्रशासन की तरफ से सपा के प्रतिनिधि मंडल को रोककर हाउस अरेस्ट किया गया है। यह लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। सपा के जनप्रतिनिधि और एवं संगठन पदाधिकारी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर शांतिपूर्ण तरीके से ज्ञापन देकर अधिकारियों के समक्ष अपनी बात रखना चाहते थे। मगर, संविधान को न मानने वाली भाजपा की सरकार तानाशाही वाला रवैया अपना कर विपक्ष की आवाज को दबा दिया। इस सब के पीछे हमारा उद्देश्य केवल निर्दोष और बेकसूर लोगों के लिए न्याय की आवाज उठाना मात्र है। हालांकि देर शाम प्रतिनिधि मंडल में शामिल लोगों को हाउस अरेस्ट से मुक्ति मिल गई। शहर विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी राजेश अग्रवाल, उपाध्यक्ष राजेश मौर्या, शेर सिंह गंगवार, गोविन्द सैनी, सिंपल कन्नौजिया, हसीब खान,हरिओम प्रजापति, पार्षद मो.आरिफ कुरैशी, पार्षद अलीम सुल्तानी, पार्षद इकबाल बिल्डर मौजूद थे।