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बरेली,वाईबीएनसंवाददाता
बरेली। एक अभूतपूर्व फैसले में कोर्ट ने राज्य भंडारण निगम में काम करने वाले तकरीबन 117 मजदूरों को उनको 828 दिन की मजदूरी न देने पर 96 लाख 87 हजार 600 रूप्ए के दस गुने की क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया। इसके अलावा कोर्ट ने जिलाधिकारी को उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम के उत्तरदायी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ जांच करने और दंडित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि जिम्मेदार लोगों से श्रमिको को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति वसूली करे।
कोर्ट में 117 श्रमिको की ओर से दाखिल किए गए अपने वादपत्र में इन लोगों ने कहा कि राज्य भंडारण के परसा खेड़ा स्थित गोदाम पर 26 जून 2010 से 30 सितंबर 2012 तक 828 दिन एक रूप्या बोरी प्रतिदिन की दर से खा़घान्न के लोडिंग अन लोडिंग का उन्होंने काम किया जिसका कुल परिश्रामिक 82800 रूप्ये हुआ लेकिन राज्य भंडारण निगम भुगतान मे टालमटोल करता रहा और मजदूरों को भुगतान नहीं किया। इन लोगों की ओर से कोर्ट से प्रार्थना की गई उन्हें कुल धनराशि मुबल्लिग 96 लाख 87 हजार 600 रूप्ए की दस गुना क्षतिपूर्ति दिलवाई जाए।
निगम ने ठेकेदारों से पल्ला झाड़ा, मजदूरों को नहीं माना कर्मचारी
राज्य भंडारण निगम ने कोर्ट में इन लोगो के मजदूर होने की बात से सिरे से इंकार कर दिया। उसकी ओर से कहा गया कि इन लोगों से उसका कोई स्वामी सेवक का सबंध नहीं था। गोदामों में लोडिंग अन लोडिंग का काम का टेंडर के माध्यम से ठेका दिया जाता है और भंडारण निगम का उन ठेकेदारों पर कोई नियंत्रण नहीं होता है। निचली अदालत ने श्रमिकों के पक्ष में फैसला देते हुए उनको क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी माना। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ एडीजे ज्ञानेंद्र त्रिपाठी की अदालत में अपील की गई । एडीजे ने भी मजदूरों के हक मै फैसला देते हुए कहा कि यह आश्चर्यजनक है और जांच का विषय है कि उत्त्र प्रदेश राज्य भंडारण निगम जैसे विधिक निकाय की ओरसे आमंत्रित निविदा में अपंजीकृत ठेकेदारों की निविदां कैसे स्वीकार हो गई।
भ्रष्टाचार उजागर, कोर्ट ने निगम की संपत्ति से वसूली के दिए आदेश
इससे पहली नजर में भ्रष्टाचार परिलिक्षित होता है। कोर्ट ने भंडारण निगम को इस फैसले के 30 दिन के भीतर 96 लाख 87 हजार 600 रूप्ए की दस गुना क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया । क्षतिपूर्ति न देने पर यह धनराशि निगम की संपत्ति से वसूलने का आदेश भी कोर्ट ने दिया। कोर्ट ने जिलाधिकारी को आदेश दिया कि उपश्रमायुक्त बरेली के बार बार आदेश देने के बावजूद मजदूरों को पहचान प़त्र उपलब्ध न कराने के जिम्मेदार अधिकारियो अथवा कर्मचारियों के खिलाफ जांच कर उन्हे दंडित करने की कार्यवाही करें और इन लोगों की सम्पत्ति से श्रमिको को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की वसूली करें।