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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
कमाई का लालच, आर्थिक मजबूरी, प्रशासन का लचर रवैया या कानून की जानकारी का अभाव। वजह चाहे जो भी हो, लेकिन कुछ लोग नाबालिगों से ई-रिक्शा चलवा रहे हैं। इतना ही नहीं कुछ नाबालिग तो ई-रिक्शा में स्कूली बच्चों लाते-ले जाते हैं। दूसरे मानक से अधिक बच्चे बैठाए जाते हैं। इससे स्कूल जाते आते समय इन मासूमों की जिंदगी खतरे में रहती है।
हाल ही में कलेक्ट्रेट में अभिभावक संघ और स्कूल प्रशासन के साथ हुई बैठक में डीएम-एसएसपी ने कहा था कि कोई भी स्कूल वाहन बिना परमिट के नहीं चलेगा। फिर भी ई-रिक्शा में स्कूल के बच्चे ढोएजा रहे हैं। यह अलग बात है कि कुछ अभिभावक किराया कम देने के चक्कर में बच्चों की सुरक्षा की अनदेखी करते हैं। मगर प्रशासन और स्कूल प्रबंधन को बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।
विभागीय जानकारी के अनुसार बरेली जिले में 447 स्कूली वाहन पंजीकृत हैं, जबकि सड़कों पर स्कूली बच्चों के ले जाने वाले वाहनों की संख्या हजारों में है। ई-रिक्शा चालक नियमों को ताक रखकर बच्चों को ढोते हैं। ई-रिक्शा और ऑटों में चालक अपने दाएं और वाएं दोनों तरफ बच्चों को बैठाते हैं। इससे हादसे का खतरा रहता है। बुधवार दोपहर करीब दो बजे एक ई-रिक्शा में चालक ने अपने बराबर में तीन बच्चों को बैठा रखा था। खुद सीट पर लटककर जा रहा था, जिससे उसे स्टेयरिंग संभलना मुश्किल था।
एआरटीओ प्रवर्तन दिनेश सिंह का कहना है कि किसी भी नाबालिग का वाहन चलाना गलत है। ई-रिक्शा के सत्यापन को चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। जिले में अब तक 120 नाबालिग ई-रिक्शा चलाते पकड़े गए, जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई। यदि कोई नाबालिग ई-रिक्शा में स्कूल के बच्चों को ले जाता है तो एकदम गलत है। उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इंडिपेंडेंट स्कूल ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के सचिव एचके सिंह का कहना है कि विद्यालयों में ई-रिक्शा और ऑटो पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हैं। अक्सर प्रशासन द्वारा स्कूली वाहनों के खिलाफ अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन कार्रवाई नाममात्र की होती है। अगर विद्यालय परिवहन सुरक्षा समितियां जो प्रत्येक विद्यालय स्तर पर कार्यरत हैं इस ओर ध्यान दें तो काफी हद तक हादसों को रोका जा सकता है