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बरेली,वाईबीएनसंवाददाता
ताजुश्शरिया हजरत मुफ्ती अख्तर रजा खां उर्फ अजहरी मियां के सातवें उर्स के मौके पर ग्रांड मुफ्ती हाउस में "ताजुश्शरिया और हमारी जिम्मेदारीयां" के मुद्दे पर एक विचार गोष्टी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि हज़रत ताजुश्शरिया की शख्सियत बड़ी महत्वपूर्ण थी। लोगों ने जिंदगी में उनकी एहमियत को नहीं समझा। उन्होंने दो दर्जन से ज्यादा उर्दू में पुस्तकें लिखी। इतनी ही किताबें उन्होंने अरबी भाषा में लिखी। उनके कारनामों में सबसे बड़ा कारनामा ये हैं कि उन्होंने अरब दुनिया में आला हजरत के मिशन का प्रचार व प्रसार किया। मगर, कुछ दिनों से ये देखा जा रहा है कि बहुत छोटे-छोटे मामलात में उलझने की वजह से ताजुश्शरिया के मिशन का काम रुक गया है।
उनके मिशन को आगे बढ़ाना बहुत जरूरी... मौलाना शहाबुद्दीन
मौलाना मुजाहिद हुसैन कादरी ने कहा कि ताजुश्शरिया भारत के रूहानी सिलसिले के सबसे बड़े पीर थे। उनके जरिए कादरी,बरकाती, रजवी रोहानी परम्पराओं ने खुब परवान चढ़ा। वो जिस क्षेत्र में जाते थे, हजारों की तादाद में लोग मुरिद हो जाते थे। मौलाना अली इलाहाबादी ने कहा कि उनके इतने खलीफा है,जितने किसी पीर के मुरीद हुआ करतें हैं। उन्होंने अपने नाना मुफ्ती ए आजम हिंद की दी गई जिम्मेदारीयों को अच्छें से निभाया।
एम एस ओ के अध्यक्ष डॉ सुजात अली कादरी ने कहा कि ताजुश्शरिया बहुत सारी खुबियों की वजह से जाने जाते थे। इसमें सबसे बड़ी खूबी उनकी हक और सच्ची बात कहना थी। उन्होंने शरियत से हटे हुए किसी भी व्यक्ति को देखा , चाहे कोई अपना हो या पराया। उसको फौरन शरियत का हुक्म बताया, और गलत रास्ते पर न चलने की हिदायत की। ये खूबी आज के उलमा में नहीं पाई जाती है। उन्होंने शरियत के मामले में कभी किसी की परवाह नहीं की।
हाजी नाजीम बेग ने कहा कि हज़रत ताजुश्शरिया के नुरानी चेहरा देखने के बाद इमान ताजा हो जाता था। आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी की दुआ पर गोष्टी सम्पन्न हुई। मुख्य रूप से मौलाना हामीद नुरानी, मुफ्ती हाशीम रजा खां, मौलाना अफसार हबीबी, मुफ्ती अब्दुल वाहिद, हाफिज ताहिर फरीदी, आरीफ अंसारी, अब्दुल हसीब खां, रोमान अंसारी, मुन्ना कुरैशी, शहनवाज वारसी, ज़ोहेब अंसारी उपस्थित थे।