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बरेली,वाईबीएनसंवाददाता
दो दिन पहले 24 मार्च को बरेली के बिथरी चैनपुर इलाके के गांव रजऊ परसपुर के पास गैस सिलेंडर लदे ट्रक में आग लगी। ट्रक के केबिन से उठी लपट उसमें लदे सिलेंडरों से होकर गोदाम तक जा पहुंची। कुछ ही सेकेंड में महालक्ष्मी गैस एजेंसी के गोदाम से आग के गुबार उठने लगे। आग की लपटों के बीच करीब एक घंटे तक धमाके होते रहे, जिससे पूरा इलाका दहल गया। लोगों को ऐसा लगा मानों ज्वालामुखी फट रहा हो। गैस सिलेंडर फटने के बाद उनके टुकड़े करीब एक किमी दूर तक जा गिरे। गनीमत यह रही कि बस्ती गोदाम से दूर थी, जिससे कोई जनहानि नहीं हुई। इस घटना की याद आने पर अब भी लोग सिहर उठते हैं।
बरेली जिले में हैं 90 गैस एजेंसियां, जिनमें 35 शहर में हैं
बरेली जिले में करीब 90 गैस एजेंसियां हैं, जिनमें से शहर में लगभग 35 एजेंसी होंगी। शहर में अधिकांश गैस एजेंसियों के गोदाम बस्ती के बीच हैं। शहर में कई जगह रोड किनारे या खुले मैदान में ढेर लगाकर सिलेंडर सप्लाई किए जा रहे हैं। ऐसे में आग लगी तो पूरा इलाका तबाह हो जाएगा। इसकी चिंता न गैस एजेंसी संचालकों कर रहे और न ही जिम्मेदार अधिकारी।
सुभाषनगर इलाके में खुले मैदान में रखे जाते हैं दर्जनों सिलेंडर
सुभाषनगर इलाके के शांति बिहार में एक खुले मैदान पर एक गैस एजेंसी के दर्जनों की संख्या में सिलेंडर रहते हैं, जहां से रिक्शा-ठेला वाले घरों में सप्लाई करते हैं। लोग खुद भी भरा हुआ सिलेंडर ले जाते हैं। गर्मी शुरू हो चुकी है। यदि कोई चिंगारी आकर सिंडरों के बीच गिरी या किसी दूसरी वजह से आग लगी तो सैकड़ों लोगों की जान जा सकती है। बताते हैं कि इसी तरह करगैना में रोड पर ट्रक खड़ा करके सिलेंडर सप्लाई किए जाते हैं। इस्लामियां कॉलेज के पास मैदान में सिलेंडरों का ढेर लगा रहता है। उधर, प्रेमनगर इलाके के लल्ला मार्केट में ट्रक खड़ा करके सिलेंडर सप्लाई किए जाते हैं।
आबादी के बीच हैं कई गैस गोदाम, हर समय रहता है खतरा
हार्टमन पुल के पास स्थित एक गैस एजेंसी का गोदाम आबादी से घिरा हुआ है। यहां से होकर हजारों लोग आते जाते हैं। गोदाम के पास स्कूल और बरातघर है। वहीं अशरफ खां चौकी के पास भी एक एजेंसी का गोदाम है। यहां भी भीड़ रहती है। मिनी बाईपास के पास एक गैस एजेंसी का गोदाम आबादी के बीच है। कांधरपुर क्षेत्र में आईटीबीपी के पास गैस गोदाम बना है। इनके अलावाभी कई एजेंसियों के गोदाम बस्ती के बीच है। कुछ गोदाम ऐसे भी हैं, जो पहले शहर से बाहर थे, लेकिन अब उनके आसपास भी बस्ती हो गई।
गोदाम बाहर नहीं जा सकते: रंजना सोलंकी
बरेली एलपीजी एसोसिएशन की पूर्व अध्यक्ष रंजना सोलंकी का कहना है कि गैस गोदाम बाहर नहीं जा सकते। रजऊ परसपुर में जो घटना हुई उसमें गोदाम मालिक की कोई गलती नहीं है। पहले गोदाम बस्ती से बाहर थे, लेकिन अब बस्ती के बीच आ गए। सभी जगह शहरीकरण हो रहा है तो गोदाम कहां जाएंगे। खुले मैदान में रखकर या रोड किनारे गाड़ी खड़ी करके सिलेंडरों की सप्लाई करना गलत है। गैस गोदामों में सुरक्षा के मानक बढ़ाए जा सकते हैं। फायर वाले पांच किलो के दो सिलेंडरों की जगह बढ़ाकर 10 किलो वाले पांच सिलेंडर कर दिए जाएं। यदि गोदाम ज्यादा दूर होगा तो जरूरत पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी जल्दी नहीं पहुंचेगी। जैसा की रजऊ परसपुर की घटना वाले दिन हुआ। ट्रकों में फायर बॉल का प्रयोग होना जरूरी है। कंपनी और प्रशासन दोनों इसका संज्ञान लें, और सरकार द्वारा इसे पूरे देश में लागू किया जाए।
गैस गोदाम एजेंसियों अब हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं: सीएफओ
बरेली के सीएफओ चंद्रमोहन शर्मा का कहना है कि गैस एजेंसियां अब यूपी सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं। यह अलग बात है कि कोई हादसा होने पर स्थानीय प्रशासन को ही भागना पड़ता है। कई गैस एजेंसियों के गोदाम बस्तियों के बीच हैं। खुले में रखकर भी गैस सिलेंडर सप्लाई किए जाते हैं। इसकी रिपोर्ट बनकार भेजी जाएगी।
बस्ती से बाहर होंगे गैस गोदाम, मालिकों को भेजे जाएंगे नोटिस: डीएसओ
जिला पूर्ति अधिकारी नीरज सिंह ने बताया कि अधिकांश गैस एजेंसियों की एनओसी लेने के समय उनके गोदाम बाहर थे, जो अब बस्ती के बीच आ गए हैं। बस्तियों के बीच बने गैस गोदाम बाहर किए जाएंगे। इसके लिए संबंधित गैस एजेंसियों के मालिकों को नोटिस भेजे जाएंगे। साथ ही इसकी रिपोर्ट शासन और ऑयल कंपनियों को भेजी जाएगी।