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न्यूरिया क्षेत्र के 15 गांवों में पिछले 45 दिनों से आतंक का पर्याय बनी बाघिन को आखिरकार बृहस्पतिवार की शाम बेहोश कर पकड़ लिया गया। एक डाॅट में बाघिन बेहोश हो गई। दूसरी हल्की डोज देने के बाद बाघिन को पिंजरे में कैद किया गया। इंसानों पर हमला कर दहशत फैलाने वाली इस बाघिन को काबू में करने के लिए आठ दिन तक लगातार 20 टीमें जुटी रहीं। जैसे ही बाघिन पिंजरे में कैद हुई, गांवों में सुकून लौट आया और वन विभाग ने भी राहत की सांस ली।
न्यूरिया क्षेत्र में नौ जून से बाघिन की दहशत थी। जंगल से दूरी बनाए बाघिन न्यूरिया क्षेत्र के मेवातपुर, टाह, सजैना, मंडरिया, फुलहर, महेशपुर, डंडिया से लेकर उत्तराखंड की सीमा तक चहलकदमी कर रही थी। गन्ने के खेतों में डेरा जमाए बाघिन का लगातार आबादी क्षेत्र की ओर रुख को देख वन विभाग ने उसे पकड़ने के लिए अनुमति ली थी, लेकिन विभाग उसे नहीं पकड़ सका था। फिर 14 से 17 जुलाई के बीच बाघिन के चार इंसानों पर ताबड़तोड़ हमले की घटनाओं ने ग्रामीणों के साथ विभागीय अफसरों की नींद भी उड़ा दी थी। इसके बाद पकड़ने के प्रयास तेज किए गए थे। जिले के अलावा मंडल स्तर के दो अफसरों ने मोर्चा संभाला। क्षेत्र की स्थित देख निगरानी का दायरा बढ़ाया गया। संसाधनों में इजाफा कर बाघिन की लोकेशन जानने के प्रयास किए, लेकिन गन्ने को अपना घर बनाए बाघिन विभाग की पकड़ से दूरी बनाए थी।
बृहस्पतिवार को डंडिया गांव में देखे जाने के बाद अफसर गंभीर हुए। वन संरक्षक पीपी सिंह, प्रभारी फील्ड डायरेक्टर रमेश चंद्रा, डीएफओ मनीष सिंह और डीएफओ भरत कुमार डीके के साथ मौके पर पहुंचे। ट्रेंकुलाइज एक्सपर्ट ने क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति देखी। ड्रोन से बाघिन की मौजूदगी देखने के बाद उसको पकड़ने की योजना बनाई गई। अनुभवी अफसर और एक्सपर्ट की मौजूदगी में घेराबंदी कर दिन भर बाघिन से दूरी बनाई गई। शाम होते ही टीमें अलर्ट हुई। फिर बाघिन को बेहोश कर पिंजरे में कैद किया गया।
डंडिया गांव में जिस इलाके में बाघिन की मौजूदगी थी। उस दायरे में गन्ने के साथ खकरा नदी का किनारा था। नदी के क्षेत्र में नरकुल भी काफी दायरे में खड़ा था। ऐसे में बाघिन को सफलता पूर्वक पकड़ना विभाग के लिए चुनौती भरा था। मंडल स्तरीय अनुभवी अफसरों और कानपुर से पहुंचे ट्रेंकुलाइज एक्सपर्ट नासिर ने योजना बनाकर रेस्क्यू शुरू किया। एक ही डाॅट में बाघिन को बेहोश कर दिया। हालांकि एहतियात के लिए डॉ. दक्ष गंगवार ने दूसरी हल्की डाॅट भी मारी।
बाघिन की मौजूदगी दिखने के बाद उसके पकड़ने की योजना बनाई गई। किसी तरह की दिक्कतें सामने न आए, इसके लिए वन अफसरों ने ग्रामीणों को रोकने के लिए पुलिस का सहयोग लिया। एसपी के निर्देश पर न्यूरिया के अलावा सुनगढ़ी व कोतवाली से भी फोर्स गांव पहुंचा। गांव में अलग-अलग हिस्सों में पुलिस तैनात की गई। इसके बाद पुलिस फोर्स ने ग्रामीणों को बाघिन की मौजूदगी वाले स्थान से पांच सौ मीटर दूर ही रोका गया।
बाघिन को देखने के लिए बेचैन रहे ग्रामीण
दिनभर गन्ने के खेत में डेरा जमाए बाघिन के शाम को बेहोश कर पकड़े जाने की भनक लगते ही डंडिया गांव में ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। ग्रामीण बाघिन को एक झलक देखने के लिए बेचैन दिखाई दिए। कुछ देर बाद रेस्क्यू वाहन से ले जाई गई बाघिन को पिंजरे में कैद देख ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।
बाघिन की मौजूदगी देखे जाने के बाद एक किलोमीटर दायरे में घेराबंदी की गई थी। आला अफसर और एक्सपर्ट की मौजूदगी में योजना बनाकर बाघिन को पकड़ने के प्रयास किए गए। एक डॉट में बाघिन को सफलता पूर्वक बेहोश किया गया। एहतियात के तौर में दूसरी हल्की डॉट भी दी गई। रेस्क्यू करने के बाद बाघिन को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा है। मेडिकल टीम बाघिन के स्वास्थ्य का परीक्षण करेगी। हालांकि बाघिन स्वास्थ्य है। - मनीष सिंह, डीएफओ, पीटीआर