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सीडीआर से पकड़ा कमीशनखोरी का खेल...अब जाना पड़ेगा जेल

उत्तराखंड के हृदय रोगी को बिना डॉक्टर पैनल व संसाधनों के भर्ती कर जान लेने वाले राधिका अस्पताल प्रबंधन पर एफआईआर के बाद शिकंजा कस गया है। दरअसल अस्पताल के खिलाफ पीड़ित की शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पहले ही जांच कर प्रारंभिक दोष तय कर दिया था,

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

उत्तराखंड के हृदय रोगी को बिना डॉक्टर पैनल व संसाधनों के भर्ती कर जान लेने वाले राधिका अस्पताल प्रबंधन पर एफआईआर के बाद शिकंजा कस गया है। दरअसल अस्पताल के खिलाफ पीड़ित की शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पहले ही जांच कर प्रारंभिक दोष तय कर दिया था, अब पुलिस का चार्जशीट लगाना लगभग तय माना जा रहा है।
बरेली में निजी अस्पताल, लैब और एंबुलेंस चालकों के बीच कमीशनखोरी का खेल बरसों पुराना है। ऐसे ही मामले में रुद्रपुर निवासी उमेश कुमार ने इज्जत नगर थाने में राधिका अस्पताल के डॉक्टर व स्टाफ पर रिपोर्ट कराई है। नियम बंदिशों के दौर में किसी निजी अस्पताल पर रिपोर्ट कराना इतना आसान नहीं है। इसलिए पीड़ित की शिकायत को गंभीरता से लेकर पुलिस व स्वास्थ्य विभाग दोनों के स्तर पर लंबी जांच प्रक्रिया चली। स्वास्थ्य विभाग की ओर से सीएमओ डॉ. विश्राम सिंह ने मामले को गंभीरता से लेकर जांच एसीएमओ डॉ. राकेश को सौंपी। इसमें उन्होंने स्थलीय जांच से लेकर अस्पताल संचालक डॉ. प्रतीक गंगवार व स्टाफ के बयान दर्ज किए। इसमें इस तथ्य की पुष्टि हुई कि अस्पताल में कोई हृदय रोग विशेषज्ञ या संबंधित बीमारी का इलाज था ही नहीं। 
साथ ही एसपी सिटी की जांच में सीडीआर (कॉल डिटेल रिपोर्ट) ने एंबुलेंस चालक व अस्पताल स्टाफ की मिलीभगत की पोल खोल दी। प्राथमिक जांच में कमीशनखोरी के भी साक्ष्य मिल गए। अब विस्तृत जांच में अस्पताल संचालक, आरोपी डॉ. विवेक व एंबुलेंस चालक के बयान दर्ज कर नक्शा नजरी बनाया जाएगा। चूंकि मामला पुराना था, इसलिए इसे आईपीसी की धाराओं में ही दर्ज किया गया है।

- उमेश ने 2023 में पिता भोला प्रसाद की मौत का जिम्मेदार राधिका अस्पताल के डॉक्टर विवेक, अस्पताल स्टाफ व एंबुलेंस चालक फूल सिंह को ठहराया है। आरोप है कि हार्ट अटैक पड़ने पर वह पिता को रामपुर के अस्पताल लाए थे। वहां से पिता को भोजीपुरा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया लेकिन एंबुलेंस चालक फूल सिंह ने कमीशन के लालच में उनके पिता को इज्जतनगर के मिनी बाईपास स्थित राधिका अस्पताल में भर्ती करा दिया, वहां इलाज के अभाव में पिता की मौत हो गई।



विवेक गुप्ता किस रोग का करता है इलाज, होगी जांच


2023 में जब एंबुलेंस चालक फूल सिंह मरीज भोला प्रसाद को राधिका अस्पताल लेकर पहुंचा तो वहां डॉक्टर विवेक गुप्ता मिला था। विवेक गुप्ता ह्रदय रोग विशेषज्ञ नहीं था फिर भी उसने मामूली समस्या बताकर भोलाप्रसाद का इलाज शुरु कर दिया। यदि वह उसी वक्त मेडिकल कॉलेज ले जाने की सलाह देता तो भोला प्रसाद को बचाया जा सकता था। हालांकि विवेक ने मामूली दिक्कत बताकर लापरवाही से इलाज शुरु कर दिया। अब पुलिस विवेक की डिग्री की जांच कर सकती है। उसके पास इलाज करने के लिए कौन सी योग्यता है, इसको भी जांच में शामिल किया जाएगा। विवेक गुप्ता और फूल सिंह के बीच कितनी बार बात हुई, इसकी पड़ताल भी की जा रही है।

 राधिका अस्पताल प्रकरण में काफी साक्ष्य पुलिस एकत्र कर चुकी है। कुछ चीजें विवेचना में साफ होनी हैं। अस्पताल संचालक से लेकर हर जिम्मेदार शख्स के बयान पुलिस दर्ज करेगी। - मानुष पारीक, एसपी सिटी

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