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आरएसएस का लक्ष्य मजबूत राष्ट्र और संगठित हिंदू समाज

आरएसएस का पहला और आखिरी लक्ष्य संगठित हिंदू समाज और मजबूत राष्ट्र निर्माण करना है। प्रत्येक स्वयं सेवक इसी काम में तन, मन और धन से लगा है।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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आरएसएस का पहला और आखिरी लक्ष्य संगठित हिंदू समाज और मजबूत राष्ट्र निर्माण करना है। प्रत्येक स्वयं सेवक इसी काम में तन, मन और धन से लगा है। यह शताब्दी संघ की है। इसलिए हम सबको अपने देश को विश्व गुरु बनाने के लिए प्राण पण से जुट जाना चाहिए। 
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की जय नारायण सरस्वती विद्या मंदिर में हुई संगठनात्मक बैठक में भारत की महान स्वतंत्रता सेनानी महारानी अबक्का के जन्म की 500 वीं वर्ष गांठ मनाने का निर्णय लिया गया। महारानी अबक्का के बारे में सनातन समाज को अवगत कराने के लिए जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा। संघ के विभाग के प्रचारक ने कहा कि विश्व की समृदि्ध के लिए संगठित और समरस हिंदू समाज अति आवश्यक है। अन्य मुख्य वक्ताओं ने कहा कि देश को प्रत्येक नागरिक को संगठित हिंदू समाज को मजबूत बनाने के लिए काम करना चाहिए।

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स्वयं सेवकों के बीच में आरएसएस की बंगलौर की में हुई प्रतिनिधि सभा की बैठक 2025 का प्रस्ताव भी पढ़कर सुनाया गया। जिसमें दत्तात्रेय होसबोले ने कहा था कि बंगलादेश के हिंदू समाज के साथ समस्त भारतीयों को एकजुटता के साथ खड़े रहने की जरूरत है। बंगलादेश में कट्टरपंथी सनातन और हिंदुओं पर अत्याचार करके उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का हनन कर रहे हैं। विश्व को उनके खिलाफ खड़ा होना चाहिए। स्वयं सेवकों ने एकमत से राष्ट्र और सनातन धर्म को मजबूत बनाने का संकल्प लिया। इससे पहले स्वयं सेवकों ने ध्वज प्रणाम करके कार्यक्रम का प्रारंभ किया।

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