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बरेली,वाईबीएनसंवाददाता
भए प्रगट कृपाला परम दयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि मनहारी अदभुत रूप बिचारी॥
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी।
भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी॥
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना बेद पुरान भनंता॥
करुना सुखसागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता॥
ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै॥
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥
माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसु लीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा॥
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते प परहिं भवकूपा॥
नौवीं तिथि मधुमास पुनीता, सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता।
मध्य दिवस अति सीत न घामा, पावन काल लोक विश्रामा॥
अर्थात चैत्र मास की नौवीं तिथि थी। न अधिक सर्दी थी। न ही धूप। दिन का मध्य था। कर्क लगन और पुनर्वसु नक्षत्र था।
जब अयोध्या में चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ के घर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम अवतरित हुए। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के अवतरण दिवस बरेली के दो सौ से अधिक मंदिरों में धूमधाम से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने पहले अपने घर में भगवान राम के बाल रुप की पूजा-अर्चना आरती की।
उनको भोग लगाया। फिर मंदिरों में जाकर भगवान राम, लक्ष्मण, सीता, भरत, शत्रुघ्न के अलावा पवन पुत्र हनुमान जी की पूजा-अर्चना की। साथ ही प्रसाद वितरण किया।
राम नवमी पर शहर से गांव तक छाई भक्ति की बयार
मंदिरों के बाहर भंडारे भी चले। सुबह से शाम तक भंडारे में पहुंचकर श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। शहर के त्रिवटीनाथ, अलखनाथ, मढीनाथ, घोपेश्वरनाथ, पशुपतिनाथ समेत नाथ मंदिरों के अलावा सिविल लाइंस, पीलीभीत बाईपास, कुतुबखाना, बड़ा बाजार, साहूकारा, किला, कर्मचारी नगर, बाईपास, सीबीगंज, सौ फुटा रोड, पुराना शहर समेत आंवला, फरीदपुर, नवाबगंज, बहेड़ी, भोजीपुरा, फतेहगंज पश्चिमी, फतेहगंज पूर्वी, देवचरा, रामनगर समेत छोटे कस्बों और गांवों में भी मर्यादा पुरुषोत्तम का अवतरण दिवस धूमधाम से मनाया गया।
भक्तों ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के बाल रूप की पूजा अर्चना कर उनको प्रसाद का भोग लगाया। फिर आरती करने के बाद प्रसाद वितरण किया। शहर और ग्रामीण क्षेत्र के छोटे-बड़े 200 से अधिक मंदिरों में नवरात्र व्रत पर कन्या पूजन और भंडारे के आयोजन हुए।