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युवक हो गए बुजुर्ग, गांव की चकबंदी आज भी जवां

हपुरा जागीर और सहजना गांव के युवक खेतों की चकबंदी झेलते-झेलते बुजुर्ग हो गए, लेकिन उनके खेतों की चकबंदी आज भी जवां है। खेतों के चक आज तक फाइनल नहीं हो पाए हैं।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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रहपुरा जागीर और सहजना गांव के युवक खेतों की चकबंदी झेलते-झेलते बुजुर्ग हो गए, लेकिन उनके खेतों की चकबंदी आज भी जवां है। खेतों के चक आज तक फाइनल नहीं हो पाए हैं। चकों का रकबा पूरा कराने के चक्कर में वह आर्थिक रूप से भी टूट चुके हैं। गांव के घरों में गरीबी बढ़ी है। इनके गांवों में आज से नहीं बल्कि 45 साल से चकबंदी चल रही है, जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है। इसी तरह अन्य कई गांव हैं, जहां चकबंदी शुरू हुए एक लंबा अरसा बीत गया।
एसओएसी न्यायालय के सामने कई बुजुर्ग बैठे थे। पूछने पर एक ने अपना नाम बुद्धसेन और निवासी मीरगंज के रहपुरा जागीरा गांव बताया। इसी तरह बुजुर्ग सेवाराम, गंगा सहाय समेत कई बुजुर्ग मौजूद थे। बताया, वह जब 35-36 साल के थे तब उनके गांव में चकबंदी शुरू हुई थी, आज भी पैमाइश हो रही है। बुद्धसेन ने बताया कि उनका मुकदमा चकबंदी अधिकारी प्रथम के यहां उस समय से चल रहा है, जब यह दफ्तर सुभाषनगर में हुआ करता था। बताया, 60 रुपये भाड़ा खर्च कर पेशी पर आते हैं। पहले इनका मामला 1991 में एसओएसी के यहां था। कुछ यही कहानी सेवाराम और गंगा सहाय ने भी साझा की। बताया कि जब वह जवान थे, तब गांव में चकबंदी शुरू हुई थी और आज उनको बुढ़ापा आ गया है पर उनके खेतों की चकबंदी आज भी जवां है। भू-स्वामियों ने चकबंदी विवादित होने का कारण चकों की कम मालियत लगाकर अधिक कीमत के चक देना रहा है। कुछ मामले ऐसे हैं, जिनमें किसानों के चक बनाए गए, लेकिन उनको कब्जा नहीं दिलाया गया। अब वे चकबंदी न्यायालय की दौड़ लगा रहे हैं।

वर्षों से चकबंदी में फंसे गांव

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फरीदपुर तहसील के फैजनगर, भोजपुर पट्टी कटरा, मगरासा, डगरौली, गिरधरपुर जयदेवराम, नगरिया कला, खजुरिया शिवपुरी, मल्हपुर गांव चकबंदी के चक्रव्यूह में 10 साल से भी अधिक समय से फंसे हैं। वर्तमान में जिले के 81 गांवों में चकबंदी चल रही है। इसमें रहपुरा जागीर गांव में कुल 680 गाटों पर 367 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले चकों की चकबंदी उलझी है। सहजना गांव के चकों के अभी अंतिम अभिलेख बन रहे हैं। करीब 45 साल हो गए, इन दोनों गांवों में चकबंदी ही चल रही है। रहपुरा जागीर में कब्जा परिवर्तन का काम चल रहा है। इसके अलावा शेष 19 गांवों में पिछले 10 वर्षों से चकबंदी चल रही है। एसओसी पवन कुमार सिंह ने बताया कि रहपुरा जागीर और सहजना गांव की चकबंदी शुरू से ही विवादों में फंस गई थी। यहां के किसान चकबंदी से संतुष्ट नहीं हुए और वह हाईकोर्ट चल गए थे। इन गांवों की चकबंदी पर हाईकोर्ट ने स्टे कर दिया था। प्रभावी पैरवी के बाद स्टे खारिज कराया जा सका है। अब हम लोग इन दोनों गांवों में इसी सितंबर-अक्टूबर महीने तक चकबंदी पूरी कर लेंगे।

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