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समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव वर्ष 2027 में अपनी पार्टी की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। इसके लिए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पूरी शिद्दत से जुटा भी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का सबसे ज्यादा फोकस प्रदेश की उन 108 विधासभा की कमजोर सीटों पर है, जहां लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी बहुत कम वोटों से सीट हारी थी। इनमें बरेली शहर, कैंट और मीरगंज विधानसभा प्रमुख रूप से हैं।
सपा 2027 के विधानसभा चुनाव में उन कमजोर 108 सीटों पर जीत हासिल करने की कोशिश में हैं। जिन पर कभी नहीं जीती। या फिर एक या दो बार ही पार्टी को जीत हासिल हुई। इसके इन विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रभारी भी नियुक्त किए हैं। बरेली में शहर विधानसभा के चुनाव प्रभारी अमरोहा के पूर्व जिलाध्यक्ष निर्मोज यादव, बरेली कैंट विधानसभा के प्रभारी लखीमपुर के पूर्व जिलाध्यक्ष अनुराग सिंह पटेल और मीरगंज के प्रभारी संभल जिले के पूर्व जिलाध्यक्ष फिरोज खान बनाए गए हैं।
शहर विधानसभा सीट सपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती
समाजवादी पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बरेली की शहर विधानसभा सीट जीतने को लेकर है। इसकी वजह यह कि शहर विधानसभा भाजपा का गढ़ माना जाता है। प्रदेश में सपा और बसपा की सरकार रहने के दौरान बरेली शहर विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा रहा था। इसके पीछे अन्य कई वजह भी मानी जाती हैं। शहर में हिंदू-मुस्लिम वोटों का अंतर भी एक खास वजह है।
जिलाध्यक्ष को हजम नहीं कर पाए पुराने सपाई
वर्तमान में बरेली की बात करें तो समाजवादी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के अंदर मचे घमासान को शांत करना है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक सपा दो गुटों में बंट गई है। एक गुट सपा जिलाध्यक्ष शिवचरन कश्यप का है तो वहीं दूसरा गुटा पार्टी के पुराने और दिग्गज नेताओं हैं। सूत्रों का कहना है कि यादव नेता कश्यप बिरादरी के शिवचरन कश्यप को हजम नहीं का पा रहे हैं। यादव लॉबी के अधिकांश नेता जिलाध्यक्ष भी अपनी बिरादरी का चाहते हैं। उनको आशंका है कि इस बार पीडीए के समीकरण के चलते विधानसभा चुनाव में यादव बिरादरी को टिकट कम से कम मिलेंगे। कम से कम संगठन पर तो कब्जा बना रहे। इसी मुहिम के तहत जिलाध्यक्ष बदलने की अफवाहें आए दिन उड़ती रहती हैं। वर्तमान जिला अध्यक्ष शिवचरण कश्यप का कहना है कि उनको हटाने की अब तक 87 बार अभाव बढ़ाई जा चुकी है, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी का उन पर विश्वास है इसलिए स्थानी नेता उनको हटाने में सफल नहीं हो पाए।
ढाई साल से कार्यालय नहीं पहुंचे जिला महासचिव, ब्हाट्सएप ग्रुप से आउट
पार्टी सूत्रों के अनुसार आपसी गुटबंदी के चलते समाजवादी पार्टी की हर महीने होने वाली मासिक बैठक में कई पुराने और दिक्कज नेता नजर रहीं आते हैं। सपा के जिला महासचिव संजीव यादव पिछले ढाई साल से पार्टी कार्यालय नहीं आए। न ही जिलाध्यक्ष के साथ किसी बैठक में हिस्सा लिया। इसी के चलते दो दिन पहले उन्हें समाजवादी पार्टी के ब्हाट्सएप ग्रुप से बाहर का रास्ता दिया गया। इसे लेकर सपा नेताओं का गुट जिलाध्यक्ष से खफा है।
चुनाव प्रभारी के सामने आई सपा नेताओं की खींचतान
सपा के बरेली के चुनाव प्रभारी निर्मोज यादव ने सोमवार को बरेली में रहकर शहर विधानसभा क्षेत्र में कई बैठकें कीं। इस दौरान उन्होंने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। फिर संगठन को लेकर स्थानीय नेताओं से चर्चा भी की। बरेली में पार्टी नेताओं के बीच मचा घमासान चुनाव प्रभारी निर्मोज यादव के सामने भी उभरकर आया। यह बात उन्होंने एंग भारत से खास बातचीत में मूक रूप से स्वीकार भी की। हालांकि उन्होंने दावा किया कि चुनाव तक सब ठीक हो जाएगा। वह अपनी रिपोर्ट बनाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष को देंगे।
सपा जिलाध्यक्ष बोले-यह कोई मामला नहीं है
जिला महासचिव को पार्टी के ब्हाट्सएप ग्रुप से हटाने के मामले में समाजवादी पाटी के जिलाध्यक्ष शिवचरन कश्यप का कहना है कि वह कोई ऐसा मामला नहीं है। अभी तो पीडीए पंचायतों की बात चल रही है। संगठन को मजबूत करने और लोगों को सपा से जोड़ने की बात चल रही है। उधर, सपा जिला महासचिव संजीव यादव का कहना है कि वह इस मामले में कुछ भी कहना नहीं चाहते। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि उनको पार्टी के व्हाट्सएप ग्रुप से बाहर कर दिया गया है।