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बरेली, वाईबीएन संवाददाता। फरीदपुर तहसील के रुरिया गांव में संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की स्थापित की जा रही प्रतिमा को प्रशासन द्वारा हटाए जाने के विरोध में ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है। इस मामले की जानकारी लेने के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) के जिलाध्यक्ष शिव चरन कश्यप आज पार्टी के नेताओं के साथ गांव पहुंचे और ग्रामीणों से पूरे मामले की जानकारी ली।
जिलाध्यक्ष शिवचरण कश्यप ने इस घटना को 'प्रशासन की दलित विरोधी मानसिकता' का परिचायक बताया। उन्होंने कहा, "अंबेडकर पार्क में बाबा साहब की प्रतिमा न लगने देना प्रशासन की दलित विरोधी मानसिकता को उजागर करता है। यह संविधान निर्माता का नहीं, संविधान का अपमान है।" उन्होंने चेतावनी दी कि समाजवादी पार्टी इसके खिलाफ सड़कों पर संघर्ष करेगी और जिला प्रशासन से तत्काल प्रतिमा की स्थापना सुनिश्चित करने की मांग की, अन्यथा 'जनांदोलन' को बाध्य होंगे।
पूर्व विधायक विजय पाल सिंह ने भी प्रशासन के इस कदम की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, "यह सरकार संविधान और बाबा साहब से डरती है, इसलिए अंबेडकर पार्क में प्रतिमा लगाने से रोक रही है।" विजय पाल सिंह ने बाबा साहब की प्रतिमा को केवल एक मूर्ति नहीं, बल्कि "हमारी चेतना और आत्म-सम्मान की प्रतीक" बताया। उन्होंने कहा कि "हम यह अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। लोकतंत्र में हर नागरिक को सम्मानपूर्वक स्मृति-स्थल बनाने का अधिकार है, यह अधिकार छीना नहीं जा सकता।"
जिला उपाध्यक्ष रविंद्र यादव ने प्रशासन के इस कदम को 'सामाजिक न्याय पर चोट' करार दिया। उन्होंने कहा, "यह केवल दलित समाज नहीं, पूरे बहुजन और संविधान प्रेमी समाज का अपमान है।" रविंद्र यादव ने प्रशासन से तत्काल अनुमति देने की मांग की और चेतावनी दी कि अगर यह मांग नहीं मानी गई तो जिले भर में प्रदर्शन होगा। उन्होंने दोहराया कि "समाजवादी पार्टी सामाजिक समरसता और न्याय के पक्ष में अडिग खड़ी है।"
अंबेडकर वाहिनी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोनकर ने भी इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, "बाबा साहब की प्रतिमा को अंबेडकर पार्क में न लगाना साफ दर्शाता है कि वर्तमान शासन बाबा साहब के विचारों से डरता है।" सोनकर ने इसे बाबा साहब के करोड़ों अनुयायियों का अपमान बताया और कहा कि अंबेडकर वाहिनी इसका पुरजोर विरोध करेगी और जरूरत पड़ी तो राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन छेड़ा जाएगा।
इस दौरान फरीदपुर विधानसभा अध्यक्ष बलराम यादव, श्रमिक सभा के अध्यक्ष यशवीर यादव, नमीशरण यादव, संजीव कश्यप सहित कई अन्य लोग मौजूद रहे। यह घटना बरेली में एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक विवाद का रूप ले सकती है।