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नहीं लांघती थी द्वार तक कभी, वो बेटियां चांद के पार जाने लगीं....

पंडित राधे रमण वेलफेयर ट्रस्ट बरेली की ओर से खुशहाली सभागार में कवयित्री सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मलेन में बतौर अतिथि उप निदेशक सूचना श्रीमति नीतू कनौजिया और पूर्व आईएमए अध्यक्ष डॉ विनोद पागरानी थे।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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पंडित राधे रमण वेलफेयर ट्रस्ट बरेली की ओर से खुशहाली सभागार में कवयित्री सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मलेन में बतौर अतिथि उप निदेशक सूचना श्रीमति नीतू कनौजिया और पूर्व आईएमए अध्यक्ष डॉ विनोद पागरानी थे। मुरादाबाद की लेखिका समाजसेवी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ प्रीती माहौर को सौम्या सम्मान 2025 प्रदत्त किया गया। कवयित्री सम्मेलन में बहेड़ी से सीमा मौर्य, पीलीभीत से नेहा मिश्रा, रश्मि रेशु,पूरनपुर से गीता राठौर,बरेली से वंदना  मिश्रा "शरद" ने काव्य पाठ किया। कवित्रियों ने हास्य, करुण और शृंगार की कविताएं सुनाकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। सम्मेलन का संयोजन ट्रस्ट के अध्यक्ष अंकुश शर्मा व सबरंग स्टूडियो के निदेशक करुणानिधि गुप्ता और  संचालन कवि रोहित राकेश ने किया। 

कवियत्री सम्मलेन का शुभारम्भ माँ सरस्तवी के चित्र पर संस्था संरक्षक श्रीमती रमा देवी ने द्वीप प्रज्वल्लन करके किया।पीलीभीत से आई कवयित्री रश्मि रेशु ने अपनी रचना का प्रस्तुतीकरण किया, जो श्रोताओं को खूब भाया। उन्होंने सुनाया-

तुम जो चाहो तो बुरा वक़्त भी टल सकता है,
हर एक इंसान मोहब्बत में संभल सकता है,
भले किस्मत का लिखा कोई नहीं टाल सके,
अपनी तकदीर को तू खुद ही बदल सकता है।

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बरेली की कवयित्री वंदना शरद ने अपनी प्रस्तुति के दौरान समां बांध दिया। उनकी प्रमुख लाइन इस प्रकार थी।

स्वतंत्रता के हवनकुंड से एक चिंगारी लाई हूँ,
शत शत नमन करो वीरों को याद दिलाने आई हूँ।
लहू मिला है इस माटी में ,थोङी सी रज मैं लाई हूँ,
शीश लगा लो माटी को ,थोङी सी माटी लाई हूँ।। 

बहेड़ी की कवयित्री सीमा मौर्या "शैली" ने अपनी प्रस्तुति से बेटियों की पीड़ा को प्रस्तुत किया तो उनकी लाइन कुछ इस प्रकार रहीं - 

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हर जगह जींस में आज आने लगीं
खर्च मां - बाप का अब उठाने लगीं
लाँघती थीं नहीं द्वार तक जो कभी
बेटियाँ   चांद  के   पार  जाने  लगीं

नेहा मिश्रा ने श्रृंगार के रस बिखेरते हुए लोगों के दिलों में उतरने का प्रयास किया

साथ चलने की कभी कसमे नहीं खाना तुम
चल सको साथ मेरे साथ में तो आना तुम
मेरी राहे यदि दुश्वार नज़र आये तो
है इजाज़त ये तुम्हें, छोड़कर चले जाना तुम
पूरनपुर की गीता राठौर ने कवयित्री सम्मलेन के दौरान जहाँ अतिथियों को अपनी तरफ आकर्षित किया तो अपनी रचनाओं से सभी का ध्यान भी खींचा। उन्होंने प्रभु राम का वंदन किया - 
करूं श्री राम का वंदन, नमन प्रभु को हमारा है
ये धरती राम की पावन,जहां गंगा की धारा है 
दया, करुणा,सत्य, साहस, प्रेम, आदर्श, मर्यादा 
दिया संदेश जन जन को,उन्ही का मर्म सारा है।

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कवयित्री सम्मलेन में सौम्या सम्मान से सम्मानित कवयित्री समाजसेविका डॉ प्रीती माहौर ने महिला अपराध और महिलाओं की वेदना को दर्शाया तो साथ ही उन्होंने समाज में फैली कुरीति दहेज़ प्रथा पर भी चोट करते हुए कविता पाठ किया।  सभागार में मौजूद महिलाओं के साथ श्रोताओं को खूब भाया। 

मंचासीन अतिथि डॉ विनोद पागरानी और उप निदेशक सूचना श्रीमती नीतू कनौजिया ने डॉ प्रीती माहौर को सौम्या सम्मान प्रदत्त किया तो संस्था अध्यक्ष अंकुश शर्मा द्वारा सम्मान पत्र प्रदान किया गया और करुणा निधि गुप्ता ने स्मृति चिन्ह देकर उनको सम्मानित किया। इस दौरान संस्था की तरफ से नकद 2100 की राशि भी सम्मान स्वरुप प्रदान की गई। 

मंचासीन अतिथि उप निदेशक सूचना नीतू कनौजिया ने l कवयित्रियों की प्रस्तुतियों को सराहा। उन्होंने बेटिओं को आगे बढ़ाने का आवाहन करते हुए संस्था के कार्यों की सराहना की। इसी क्रम में पूर्व आईएमए अध्यक्ष डॉ विनोद पागरानी ने भी संस्था के कार्यों को सराहा। साथ ही कवयित्री सम्मलेन में प्रस्तुत की गई कविताओं की सराहना की गई। साथ ही इस तरह के सांस्कृतिक आयोजनों को निरंतर सहयोग प्रदान करने की बात को भी कहा। 

विशिष्ट अतिथि डॉ दिनेश चंद्र शर्मा पूर्व प्रचारक ने सभी कवयित्रियों को साधुवाद प्रदान किया और उनका मनोबल बढ़ाया। उन्होंने आशीर्वचन के दौरान आयोजकों को भी इस तरह के साहित्यिक आयोजन के लिए बधाई भी दी। 

कवयित्री सम्मलेन के अंतिम दौर में पत्रकारों को भी सम्मानित किया गया। जिसमें संत प्रसाद शर्मा, त्रिभुवन सागर, तकी रजा, सनी बाबू, हरिओम बाजपेयी, सरताज हुसैन, अरविन्द कुमार, राजकुमार मौर्य, राहुल श्रीवास्तव, परमानन्द राजपूत, प्रदीप कुमार सक्सेना, सचिन भारतीय, निर्भय सक्सेना, कमल सक्सेना, उमेश त्रिगुणायत आदि शामिल रहे। आयोजन के अंत में संस्था अध्यक्ष अंकुश शर्मा ने संस्था के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला तो सबरंग स्टूडियो के निदेशक करुणा निधि गुप्ता ने अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए इस प्रकार की साहित्यिक गतिविधियों को निरंतर जारी रखने की बात कही। आयोजन को सफल बनाने में आरती गुप्ता, महिमा गुप्ता, रेशु गुप्ता, दर्शिका गुप्ता,  विशाल गुप्ता, सोमेश शर्मा, दिव्या शर्मा, श्रेया शर्मा, सौम्या शर्मा, अजय शर्मा, रमा देवी, रमेश चंद्र मिश्रा, गरिमा मिश्रा, शिवम् मिश्रा, महेश पाल, संतोष ने अहम् भूमिका निभाई।

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