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नफरत को कम करने वाले ही असली देशभक्त :दरगाह प्रमुख

रमजान में आपसी सौहार्द को बढावा दें,ग़रीबों की मदद करें। जकात व सदके का एहतिमाम करें। जुमे के दिन एहतियात और सतर्कता बरते। रमजान में जुमे के दिन होली भी है। होली के त्योहार के मद्देनजर दरगाह प्रमुख ने अवाम के लिए अपने पैगाम में एडवायजरी जारी की है।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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बरेली। रमजान में जुमे के दिन होली भी है। होली के त्योहार के मद्देनजर दरगाह प्रमुख ने अवाम के लिए अपने पैगाम में  एडवायजरी जारी की है। 

शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन सतर्क

माहे रमजान,रोजे,तरावीह, तकमीले कुरआन की महफिलों  की धूमधाम और चहल-पहल के बीच खास जुमे के दिन होली जैसे रंगों के त्योहार के पड़ जाने की वजह से शासन प्रशासन ही नहीं बल्कि आवाम भी चिन्तित है। पुलिस प्रशासन चाक व चौबंद नजर आ रहे हैं। मजहबी शख्सियात भी फिक्रमंद हैं। ऐसे में सुन्नी सूफी खानकाही बरेलवी विचारधारा के सबसे बड़े भारतीय केंद्र मरकज़े अहले सुन्नत दरगाह आला हजरत बरेली शरीफ की बुजुर्ग हस्ती दरगाह प्रमुख हज़रत अल्लामा सुब्हान रजा खान सुब्हानी मियॉ ने कौम के नाम अपने  पैगाम मे एक एडवायजरी जारी करते हुए कहा कि रमजान का महीना हर मोमिन के लिए इज्जत व एहतिराम और बरकत वाला है। इसमे हर ईमान वाला बन्दा ज्यादा से ज्यादा नोकियां कमाने की कोशिश करता है। एक दूसरे की मदद करने की ललक रखता है और लड़ाई झगड़े और बुराईयों से दूर रहने का प्रयास करता है। यह बाबरकत वक्त हम सब को गरीबों की मदद करने और बेसहारा लोगों को ईद की खुशियाँ मनाने का मौका देने की तालीम देता है।

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रंग खेलने वाले स्थानों पर बिना जरूरत जाने से परहेज करने की सलाह

उन्होनें कहा कि हर मुस्लिम की जिम्मेदारी है कि वह अपनी हिफाजत के साथ पाक व साफ कपडों में रहकर अल्लाह की इबादत करे। इस साल चूंकि रमज़ान के महीने और जुमे के दिन होली का त्योहार भी है। होली का रंग खेलने का वक्त भी सुबह से दोपहर का है। इसलिए अपने लिबास,नमाज के कपडों वगैरह की पाकी,हिफाजत और सफाई का खयाल रखते हुए रंग खेलने वाले रास्तों और जगहों पर बिला जरूरत शरअई जाने से परहेज करें और महफूज जगहों पर रह कर अपनी इबादत मे वक्त गुजारें। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में अपने तय शुदा वक्त पर ही नमाज़ अदा करे। जहां मिली जुली आबादी हो और मस्जिद के रास्तों में रंग खेला जा रहा हो। ऐसे हालात में अपनी सहूलियत के हिसाब से जहाॅ जरुरत समझें। अहले मोहल्ला और अहले मस्जिद उलमा से मशवरा करके जुमे के तयशुदा वक्त में रद्दोबदल कर लें।

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