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इज्जतनगर थाना क्षेत्र निवासी आईवीआरआई के रिटायर्ड वैज्ञानिक से 1.29 लाख रुपये की ठगी के मामले में साइबर क्राइम थाना पुलिस ने मिर्जापुर में दबिश देकर छात्र दीपू पांडेय और बैग फैक्टरी के कर्मचारी शुभम यादव को गिरफ्तार कर लिया।
17 जून को आईवीआरआई के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक शुकदेव नंदी को साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट किया था। ठगों ने खुद को बंगलुरु पुलिस और सीबीआई का अधिकारी बताकर वैज्ञानिक के नाम वाले फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल मानव तस्करी में इस्तेमाल करने का डर दिखाया। ठगों ने डर दिखाकर उनसे एक करोड़ 29 लाख रुपये तीन खातों में ट्रांसफर करा लिए। यह रकम बाद में 125 खातों में ट्रांसफर कर क्रिप्टो करेंसी में बदल दी गई। पुलिस ने गिरोह के चार सदस्य लखनऊ से पकड़े थे। अब साइबर थाना प्रभारी दिनेश शर्मा के नेतृत्व में पुलिस टीम ने मिर्जापुर जिले के थाना जमालपुर निवासी दीपू पांडेय और शंभू यादव को गिरफ्तार कर लिया। दोनों से एक आईफोन, तीन डेबिट कार्ड और एक मोबाइल बरामद किया गया है।
डिजिटल अरेस्ट के दौरान वैज्ञानिक के खातों से ट्रांसफर की गई एक करोड़ 29 लाख की रकम को साइबर ठग ठिकाने लगा चुके हैं। ठगों ने रकम 125 खातों में ट्रांसफर की। इसके बाद रकम क्रिप्टो करेंसी में बदलकर दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में बैठे साथियों के क्रिप्टो वॉलेट में भेज दी। रकम बरामदगी को लेकर साइबर टीम काम तो कर रही है लेकिन जानकार बताते हैं कि क्रिप्टो करेंसी में बदलने के बाद रकम वापसी मुश्किल से हो पाती है।
दीपू ने किराये पर दिया था शुभम का खाता
गिरोह के सदस्य कमीशन पर लोगों का खाता लेकर उसमें ठगी की रकम ट्रांसफर कराते हैं, उसमें से रकम अन्य खातों में ट्रांसफर कर लेते हैं। साइबर थाना प्रभारी ने बताया कि लखनऊ के एक खाते में ठगी की सर्वाधिक रकम 1.10 करोड़ गई थी। उस खाते से एक खाते में तीन लाख रुपये भेजे गए थे। जांच में वह खाता मिर्जापुर की एक जंबो बैग फैक्टरी में काम करने वाले शुभम का मिला। शुभम की गिरफ्तारी के बाद पता लगा कि उसके दोस्त दीपू ने शुभम के नाम से खाता खुलवाकर उसका डेबिट कार्ड, चेकबुक आदि राजस्थान के एक व्यक्ति को दे रखी थी। इस ठगी की तीन लाख रकम उसी व्यक्ति ने उसी दिन निकालकर क्रिप्टो करेंसी में बदलकर विदेश भिजवा दी। उसने कमीशन के तौर पर दीपू को 13 हजार रुपये भेजे थे, दीपू ने इनमें से दस हजार रोककर तीन हजार खाते के मालिक शुभम को दे दिए। पुलिस ने इन्हें स्थानीय सीजेएम कोर्ट में पेश किया जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया।
वैज्ञानिक को डिजिटल अरेस्ट करने के मामले में पुलिस ने अब तक गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है। माना जा रहा है कि गिरफ्तार होने वाले ठगों की संख्या बढ़ सकती है। ठगी करने वाले अंतरराज्यीय साइबर ठगी गिरोह पर लगाम लगाने के लिए पुलिस का रवैया सख्त है। एसएसपी अनुराग आर्य ने पहले गिरफ्तार हुए चार आरोपियों पर संगठित अपराध करने की धारा 111 अलग से लगवा दी थी। पुलिस गिरोह के सदस्यों का पंजीकरण कर सकती है। इसके बाद इनकी संपत्ति चिह्नित कर जब्त की जा सकती है।