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दुधवा के दो हाथी पकड़ेंगे बाघ को...लोकेशन का पता लगाने के लिए एमपी से मंगाए गए ड्रोन

ग्रामीणों के आक्रोश को देख विभाग बाघ को पकड़ने के प्रयास तेज किए हैं। दुधवा के ट्रेंड दो हाथियों को बाघ को पकड़ने के लिए बुलाया गया। इसके अलावा लोकेशन का सटीक पता लगाने के लिए लगातार तीन घंटे तक उड़ने वाले ड्रोन को भी मध्यप्रदेश से मंगवाया गया।

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Sudhakar Shukla
बाघ

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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

ग्रामीणों के आक्रोश को देख विभाग बाघ को पकड़ने के प्रयास तेज किए हैं। दुधवा के ट्रेंड दो हाथियों को बाघ को पकड़ने के लिए बुलाया गया। इसके अलावा लोकेशन का सटीक पता लगाने के लिए लगातार तीन घंटे तक उड़ने वाले ड्रोन को भी मध्यप्रदेश से मंगवाया गया। अन्य संसाधनों में भी विभाग ने इजाफा किया है। हालांकि शाम तक बाघ की कोई लोकेशन नहीं मिल सकी है। 
न्यूरिया थाना क्षेत्र में नौ जून से बाघ की दहशत शुरू हुई थी। माला रेंज के जंगल से निकले बाघ ने खेत में गन्ने की फसल में सिंचाई कर रहे किसान मुकेश कुमार को मार दिया था। इस घटना के बाद से बाघ लगातार जंगल से बाहर डेरा जमाय रहा। 15 किलोमीटर दायरे में बाघ की चहलकदमी देखी गई।

उत्तराखंड की सीमा तक बाघ ने दहशत फैलाई। लंबे समय बाद बाघ फिर पुराने रास्ते पर लौटा और 14 जुलाई को फुलहर गांव में सुबह के समय खेत पर पहुंचे किसान दयाराम को मार डाला।  विभाग ने अनुमति लेकर बाघ को पकड़ने के प्रयास शुरू किए थे। पांच टीमें लगाने के साथ थर्मल ड्रोन से बाघ पर नजर रखी जा रही थी। फुलहर गांव के बाहरी हिस्से को जाल लगाकर सुरक्षित भी किया गया था, लेकिन दो दिन बीतने के बाद भी विभाग बाघ को पकड़ने में सफल नहीं हो सका। 
इधर बृहस्पतिवार को बाघ ने फुलहर गांव से पांच किमी दूर पहुंचकर सहजनिया गांव में महिला मीना को घायल कर दिया। इसके बाद बाघ फिर वापस लौटा और फुलहर गांव से सटे मंडरिया गांव की सीमा में पहुंचकर पहले किशोर निलेश को घायल किया। इसके बाद महिला कृष्णादेवी को मार दिया। लगातार तीन लोगों पर हमले की घटना के बाद वन विभाग के हाथ-पैर फूल गए। ग्रामीणों के आक्रोश का भी सामना करना पड़ा। बाघ को पकड़ने के प्रयास तेज किए गए। संसाधनों को बढ़ाने पर जोर दिया गया। इसके लिए बाघ पर नजर रखने के लिए मध्यप्रदेश से ड्रोन मंगवाया गया। यह ड्रोन लगातार तीन घंटे तक उड़ान भर सकता है। 

बाघ को पकड़ने में अनुभवी हैं दुधवा के हाथी

मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं की स्थिति पर बाघ की लोकेशन ट्रेस करने के लिए वैसे तो पीटीआर के पास भी अपने चार हाथी हैं, लेकिन वह अभी ट्रेंड नहीं हो सके हैं। इसके लिए अफसराें की ओर से दुधवा के दो हाथियों की मदद लेने का निर्णय लिया गया है। दुधवा के हाथी बाघ को पकड़ने के दौरान अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। पूर्व में कई आपरेशन में दुधवा के हाथियों की मदद ली जा चुकी है। 

बाघ की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए उसे पकड़ने विभाग के लिए चुनौती बन गया। ऐसे में विभाग के जनपदीय अधिकारियों ने आला अफसरों को पूरी स्थिति से अवगत कराया। शासन तक अपडेट दी गई। इसके बाद अभियान को ठोस करने के लिए संसाधनों को बढ़ाने के साथ ही बाघ को पकड़ने में सफलता पाने के लिए दुधवा के ट्रेंकुलाइज एक्सपर्ट डॉ. दया को भी बुलाया गया। डॉ. दया देर शाम को पीलीभीत पहुंचे।

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