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बरेली,वाईबीएनसंवाददाता
बरेली। सिविल लाइन मस्जिद नोमहला शरीफ़ स्थित दरगाह नासिर मियाँ रहमतुल्लाह अलेह पर 120वें उर्स के तीन दिवसीय कार्यक्रम के आखिरी दौर में सुबह से ही अकीदतमंदों का दरगाह परिसर में तांता लगा रहा। दूरदराज़ से आये अकीदतमंदों में दरगाह पर हाज़री देकर गुलपोशी चादरपोशी कर मन्नते मुरादे माँगी। जिन अकीदतमंदों की मुरादे पूरी हुई, उन्होंने चाँदी के चिराग़ रोशन कर पेश किये।
महफ़िल-ए-समां में सूफियाना कलामों की गूंज
हज़रत शाने अली कमाल मियाँ साबरी नासरी ने बताया कि शाम 4 बजे से महफ़िल समां की महफ़िल सजाई गई। फ़नकारों ने अपने कलामों के जरिये बुज़ुर्गों की सूफियाना और रूहानियत शख्सियत को बयां किया। इसी कड़ी में मुख्य कुल शरीफ़ की रस्म दरगाह के सज्जादानशीन हज़रत ख़्वाजा सुल्तान अहमद नासरी साबरी की ज़ेरे सरपरस्ती में शुरू हुई। नियाज़ नज़्र के बाद खुसूसी में देश दुनिया आवाम की खुशहाली, तरक़्क़ी, सलामती,कामयाबी,बीमारो को शिफ़ा,बेरोज़गारों को रोज़गार,अमन चैन भाईचारे के साथ हर जाइज़ ज़रूरतमंद की दुआओं को अल्लाह पाक बुज़ुर्गों के सदके में कुबूल फरमाये।आमीन।सलातो सलाम पेश किया गया,उर्स के ज़ेरे निगरा हज़रत सलमान अहमद नासरी, हज़रत ख़्वाजा शयान अहमद नासरी, ख़्वाजा वसीम अहमद आदि सहित अकीदतमंद मग़रिब में सामुहिक रोज़ा इफ्तारी दस्तरख्वान में मौजूद रहे।
दरगाह पर नमाज़-ए-तरावीह के बाद ग़ुस्ल शरीफ की रस्म अदायगी
इस मौके पर ई.अनीस अहमद खां के साथ समाजसेवी पम्मी खां वारसी को सम्मानित किया गया।बाद नमाज़ ए तरावीह दरगाह पर ग़ुस्ल शरीफ की रस्म अदायगी की गई।उर्स की व्यवस्था देख रहे हज़रत शाने अली कमाल मियाँ साबरी नासरी,सूफी वसीम मियाँ साबरी ने सभी से शिरकत करने की दावत दी है।,इस मौके पर समाजसेवी पम्मी खां वारसी के साथ उर्स की देखरेख में शाहिद रज़ा नूरी,सरवत नासरी,फहीम यार खान,मोहम्मद शाहिद कुरैशी नासरी साबरी,अकील पहलवान, बब्बू नासरी,यासिर,अलीम सुल्तानी,आमिर सुल्तानी,सलीम साबरी, सलमान सुल्तानी,शमशाद साबरी, साबिर सुल्तानी,रिज़वान साबरी नन्ना मियाँ, शेख हरिम अहमद नासरी,फहीम साबरी,नसीम साबरी,मेराज साबरी, अतीक साबरी, इमरान साबरी आदि लगे रहे।
आला हजरत और नासिर मियाँ ने सुन्नियत का परचम लहराया
दरगाह के हज़रत शाने अली कमाल मियाँ साबरी नासरी ने बताया कि इमाम अहमद रज़ा खां फ़ाज़िले बरेलवी आला हजरत का हज़रत ख़्वाजा मौलाना मोहम्मद शफ़ी उर्फ़ हज़रत नासिर मियाँ रहमतुल्लाह अलेह का इल्मी और रूहानियत का रिश्ता है। आला हजरत ने ही आपके ग़ुस्ल के साथ नमाज़े जनाज़ा और तदफिन के आखिरी लम्हे तक साथ रहे।