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जायरीनों को कंपोजिट विद्यालय में ठहराने का विरोध करते हुए विश्व हिंदू परिषद
बरेली, वाईबीएनसंवाददाता।
उर्स-ए-रजवी में देश-विदेश से आने वाले जायरीनों को सरकारी कंपोजिट विद्यालय में ठहराने पर विश्व हिंदू परिषद ने विरोध जताया है। विहिप नेताओं का कहना है कि हर वर्ष होने वाले उर्स में आने वाले जायरीन शहर के कई सरकारी कंपोजिट विद्यालयों में रुकते हैं। फिर वह रात में वहां पर मांस का सेवन करते हैं। उससे उर्स के बाद विद्यालय की साफ सफाई में बहुत समस्या आती है। शहर में आपसी सौहाद्र का वातावरण भी खराब होता है। इसको लेकर विश्व हिंदू परिषद नेताओं ने प्रशासनिक अफसरों को ज्ञापन सौंपकर कंपोजिट विद्यालयों में जायरीनों के ठहरने का विरोध जताया।
ज्ञापन में विश्व हिंदू परिषद नेताओं ने कहा कि इस बार पहले सरकारी कंपोजिट विद्यालय को सरकारी आदेशानुसार जायरीन के लिए प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी गई। इस आशय का जिला शिक्षा अधिकारी बरेली का एक पत्र भी जारी हुआ था। लेकिन अगले दिन मुस्लिम समाज के दबाव में,विद्यालय में जायरीनों के रुकने को पुरानी परंपरा बताकर दूसरा पत्र जारी करके जायरीनों के लिए विद्यालय खोलने की अनुमति दे दी गई। विहिप की ओर से कहा गया कि बहुसंख्यक हिंदू समाज के लिए विद्यालय शिक्षा का मंदिर हैं। हिंदू समाज के बच्चे मां सरस्वती का आशीर्वाद लेने विद्यालय जाते हैं। उर्स के बाद विद्यालयों में मांस की हड्डियां फेंककर बहुत गंदगी कर दी जाती है। सावन के महीने में करोड़ों कांवड़िया सड़कों पर सोते हैं। कई बार कांवड़ियों के साथ दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं। लेकिन, फिर कही भी सरकारी विद्यालय खोलकर उन्हें नहीं ठहराया जाता। फिर जायरीनों के लिए सरकारी विद्यालय खोलने की ये अलग व्यवस्था किसलिए की गईं।
क्या हिंदू-मुसलमानों के लिए अलग-अलग कानून
विश्व हिंदू परिषद ने ज्ञापन में सवाल उठाया कि क्या देश में हिंदू और मुसलमानों के लिए दो अलग अलग कानून लागू हैं। प्रशासन पर सवाल उठाते हुए विहिप नेताओं ने कहा कि उपरोक्त परिस्थिति को देखते हुए परिषद मुखरता के साथ प्रशासन से आग्रह करता है कि किसी भी सरकारी विद्यालय में जायरीनों के ठहरने की अनुमति न दी जाए। यदि कहीं ऐसा होता भी है तो ये सुनिश्चित किया जाए कि विद्यालय में किसी भी प्रकार की कोई गंदगी न होने पाए। कंपोजिट सरकारी विद्यालयों में मांसाहारी भोजन न बनाया जाए। किसी भी सरकारी स्कूल में मांस का सेवन न किया जाए। न ही विद्यालय परिसर में हड्डियां फेंकने की अनुमति दी जाए। बहुसंख्यक हिंदू समाज की भावनाएं आहत न हों। अगली वर्ष के लिए पहले से ही इसकी व्यवस्था बना ली जाए। उर्स के आयोजकों से लिखित में ले लिया जाए कि आगे से किसी भी सरकारी विद्यालय का प्रयोग उर्स के लिए नहीं होने दिया जाएगा। इनका अनुपालन न करने की स्थिति में उर्स के आयोजकों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए । ऐसा न होने पर विश्व हिंदू परिषद अपने नेतृत्व के दिशा निर्देश पर आंदोलन के लिए बाध्य होगा ।