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उप्र राज्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति (एससी-एसटी) आयोग की पांच सदस्यीय समिति की मंडलीय समीक्षा बैठक में अधिकांश अधिकारी गैर हाजिर रहे। आयोग के अध्यक्ष बार-बार अधिकारियों की पुकार लगा रहे थे और वह गैर हाजिर थे। ऐसे लापरवाहों के विरुद्ध कार्रवाई की बात पर उन्होंने ये कहकर पल्ला झाड़ा कि ध्यान नहीं रहा, बैठक लगा दी। इस समय कांवड़ यात्रा चल रही है, जो सरकार की प्राथमिकता में है।
दरअसल, शनिवार दोपहर में आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत विभिन्न योजनाओं में एससी-एसटी वर्ग की सहभागिता जानने आए थे। उन्होंने मंडल के सभी जिलों के अधिकारियों को समीक्षा बैठक के लिए सर्किट हाउस में बुलाया था, जहां कई अधिकारी नहीं पहुंचे। इस मामले पर आयोग के अध्यक्ष रावत ने कहा कि कांवड़ यात्रा का ध्यान नहीं रहा और बैठक लगा दी। बताया कि मुख्यमंत्री ने कह रखा कि कांवड़ यात्रा तक कोई अधिकारी जिला नहीं छोड़ेगा। अध्यक्ष ने ये भी कहा कि समीक्षा बैठक में आने से महत्वपूर्ण कांवड़ यात्रा की व्यवस्था देखना है, इसलिए उन्होंने अधिकारियों की गैर हाजिर पर अधिक जोर नहीं दिया।
उन्होंने ये भी कहा कि बरेली मंडल में बैठक की सूचना अधिकारियों को शुक्रवार दोपहर में भेजी थी। वैसे किसी भी बैठक की सूचना दो-तीन दिन पहले दी जाती है। यही कारण रहा कि उनकी समीक्षा बैठक में कई अधिकारी नहीं आए। अध्यक्ष ने कहा कि अब वह आगे से ध्यान रखेंगे और कांवड़ यात्रा तक उन मंडलों में बैठक करेंगे, जहां कांवड़ का प्रभाव कम है या नहीं है। मंगलवार को वह लखनऊ मंडल में समीक्षा बैठक कर रहे हैं। इसकी सूचना भी उन्होंने संबंधित जिलों में भेजवा दी है।
आधी-अधूरी बैठक कर लौटी आयोग की टीम
बैठक में आयोग के अध्यक्ष के साथ ही लखनऊ से रमेश तूफानी, नीरज गौतम भी आई थीं। आयोग के सदस्य के रूप में उमेश कठेरिया व संजय सिंह भी मंच पर थे। इनकी बैठक में बरेली जिला प्रशासन का भी कोई अधिकारी नहीं था, यहां तक सदर तहसील के अधिकारी भी नहीं थे। पीओ डूडा भी गैर हाजिर थे। ऐसे में मंडलीय समीक्षा बैठक में आयोग की टीम कई महत्वपूर्ण जानकारी से बेखबर ही रही और वापस लौट गई।