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करखेड़ी में ऐसा क्या हुआ कि घरों में नहीं जले चूल्हे

सड़क हादसे में चार लोगों की मौत से करखेड़ी गांव में मातम पसर है। शुक्रवार सुबह गांव से चार अर्थियां उठीं तो हर किसी की आंख नम हो गई।शव यात्रा में आस पास के कई गावों के लोग शामिल हुए।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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दर्दनाक हादसे में एक ही बिरादरी के चार लोगों की मौत से करखेड़ी गांव में मातम पसर हुआ है। शुक्रवार सुबह एक साथ कंधे पर चार अर्थियां उठीं तो हर किसी की आंख नम हो गई। शव यात्रा में आस पास के गावों के बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। घरों में चूल्हे तक नहीं जले हैं। परिजनों ने गमगीन माहौल में गांव की श्मशान भूमि में एक साथ चारों शवों का दाह संस्कार किया गया।
वजीरगंज थानाक्षेत्र में गांव अलउआ के पास बगरैन-करखेड़ी मार्ग पर बृहस्पतिवार देर शाम दो बाइकों की जोरदार भिड़ंत हो गई थी। जिसमें बिसौली कोतवाली क्षेत्र के गांव करखेड़ी निवासी अतर सिंह (40) पुत्र विजेंद्र मीणा, उनके रिश्ते के बाबा बच्चू सिंह(60) और दूसरी बाइक पर सवार संजय (28) पुत्र बच्चू व सोमपाल सिंह (55) पुत्र जागन सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि अशोक(28) पुत्र भेदेव गंभीर रुप से घायल हो गए थे। देर रात ही पुलिस ने चारों शवों का पोस्टमॉर्टम कराया। शुक्रवार तड़के चारों शव गांव पहुंचे। इससे पहले ही अंतिम संस्कार की तैयारियां पूरी की जा चुकी थी।

रिश्तेदार व ग्रामीण तैयारियों में जुटे हुए थे। काली प्लास्टिक में लिपटे चारों शव देखते ही परिजनों में चीत्कार मच गई। परिजन अपने-अपने के शव से लिपटकर रोने बिलखने लगे। महिलाएं दहाड़े मारकर बेसुध होने लगी। सुबह करीब नौ बजे एक साथ उठीं चार अर्थियों को देख ग्रामीण अपने आंसू नहीं रोक पाए। शव यात्रा में आस पास के गांवों के लोग भारी संख्या में पहुंचे। गांव के ही श्मशान भूमि पर एक साथ चारों शवों का गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। इस हादसे से पूरे गांव मातम पसरा हुआ है। घरों में विलाप की चीखें गूंज रही है। परिजनों को ढांढस बांधने वालों का तांता जुटा हुआ है। क्षेत्र के नेताओं ने घर पहुंचकर परिवार को शोक संवेदना व्यक्त की हैं।

किसी के बेटे तो किसी के भतीजे ने दी चिता को मुखाग्नि

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हादसे में जान गंवाने वाले सोमपाल को छोड़कर अतर सिंह, बच्चू सिंह व संजय के बच्चे छोटे है। इनकी मौत से बच्चों की परवारिश का संकट खड़ा हो गया है। सोमपाल की चिता को उनके बेटे बाबूलाल ने मुखाग्नि दी। जबकि बच्चू का बेटा छोटा होने के कारण उनकी चिता को भतीजे बृजेश ने मुखाग्नि दी।

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