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किस अधिकारी ने किया सहकारी बैंक में 1.31 करोड़ का घोटाला...जानिये कौन है वह

जिला सहकारी बैंक की फरीदपुर शाखा में 1.31 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। इसमें शाखा प्रबंधक गौरव वर्मा व तत्कालीन शाखा प्रबंधक मुकेश कुमार गंगवार, कैशियर चंद्र प्रकाश व दीपक पांडेय को निलंबित कर दिया गया है।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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जिला सहकारी बैंक की फरीदपुर शाखा में 1.31 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है। इसमें दो शाखा प्रबंधक समेत चार के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने को तहरीर दी गई है। साथ ही चारों आरोपियों को निलंबित भी कर दिया गया है। मामला शाहजहांपुर के किसान की त्रुटिवश बैंक शाखा में आई सम्मान निधि की किस्त प्रकरण की जांच के दौरान सामने आया है। घोटाले के खुलासे से सहकारी बैंक स्टाफ में खलबली मची है।

शाहजहांपुर के एक किसान ने जानकारी दी थी

जांच में घोटाले की पुष्टि होने के बाद जिला सहकारी बैंक के उप महाप्रबंधक सर्वेंद्र सिंह चौहान ने पांच जुलाई की तारीख में फरीदपुर थाने में तहरीर दी है। इसमें उन्होंने शाखा प्रबंधक गौरव वर्मा व तत्कालीन शाखा प्रबंधक मुकेश कुमार गंगवार, कैशियर चंद्र प्रकाश व दीपक पांडेय को नामजद किया है। उन्होंने प्रभारी निरीक्षक को बताया है कि इन आरोपियों ने संगठित होकर अपने पदीय शक्तियों का दुरुपयोग कर 1.31 करोड़ 6,069 रुपये का गबन किया है। उप महाप्रबंधक ने यह भी बताया है कि महीने भर पहले शाहजहांपुर के एक किसान ने उन्हें जानकारी दी थी कि उसकी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की धनराशि त्रुटिवश जिला सहकारी बैंक सायंकालीन शाखा फरीदपुर में ट्रांसफर हो गई है। जिस पर उन्होंने 15 मई को फरीदपुर शाखा का निरीक्षण किया था, जहां उन्हें 21 ऐसे विवादित खाते मिले जिनमें एक बड़ी धनराशि के गबन का संदेह हुआ था। फिर उन्होंने प्रकरण की विस्तृत जांच को 23 मई को आदेश जारी किए थे। 

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उप महाप्रबंधक के मुताबिक, जांच में पाया गया कि शाखा पर कार्यरत रहे दोनोें प्रबंधक मुकेश व गौरव के साथ ही कैशियर चंद्र प्रकाश एवं दीपक पांडेय ने 1.31 करोड़ से अधिक धनराशि का गबन कर लिया है। जिस पर इन चारों को निलंबित किया गया है। अब इनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के लिए थाना प्रभारी को तहरीर दी है। प्रभारी निरीक्षक राधेश्याम ने बताया कि जिला सहकारी बैंक के उप महाप्रबंधक ने जो भी तहरीर दी है, मुझे नहीं मिली है। जब मिलेगी तो एफआईआर दर्ज करने से पहले अनुमति के लिए सीओ के माध्यम से एसएसपी को भेजेंगे। उसके बाद जैसे आदेश मिलेंगे, उसी क्रम में कार्रवाई करेंगे। 

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