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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
समाजवादी पार्टी से जुड़े अधिवक्ता लवलेश पाठक भाजपा की योगी सरकार में सरकारी कोर्ट बनने के लिए जी तोड़ कोशिश में लगे हैं। उनको सरकारी कोर्ट बनाने के लिए सत्तारुढ़ दल के कुछ नेताओं के अलावा भाजपा के एक स्थानीय जनप्रतिनिधि ने भी की है। यह वही लवलेश पाठक हैं, जिन्होंने सांसद रहने के दौरान योगी आदित्यनाथ को जेल भेजने के लिए कोर्ट में उनके एक बयान को लेकर जेल भेजने के लिए अर्जी दायर की थी। हालांकि उस समय वह अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी थी। अब उन्हीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में लवलेश पाठक सरकारी कोर्ट बनने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। बरेली प्रशासन की ओर से भी बिना सच्चाई जाने लवलेश पाठक को सरकारी कोर्ट बनाने की संस्तुति लखनऊ भेजी गई है।
विवादों में घिरे अधिवक्ता लवलेश पाठक की राजनीति में तिगड़मबाज़ी
बरेली कचहरी के तिगड़मी अधिवक्ता लवलेश पाठक की छवि राजनीतिक क्षेत्र में काफी विवादित रही है। वह कभी सपा के बड़े नेताओं के साथ अपने फोटो खिंचवाकर अपनी आईडी से सोशल मीडिया पर डालने के शौकीन थे। जबसे भाजपा सरकार उत्तर प्रदेश में बनी तो अपनी फेसबुक पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के फोटो भी डालने लगे। डेढ़ दशक पहले जब योगी आदित्यनाथ सांसद थे। तब उनके एक बयान के खिलाफ अधिवक्ता लवलेश पाठक ने कोर्ट में अर्जी दायर की थी। उस अर्जी में ऐसे विवादित बयानों से दंगा भड़कने की आशंका जताकर तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ को जेल भेजने की मांग कोर्ट से की गई थी। हालांकि उस समय लवलेश पाठक की यह अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी थी। उस समय उत्तर प्रदेश में सपा सरकार थी। तो लवलेश पाठक समाजवादी पार्टी के नेताओं के नजदीक दिखते थे।
वक्त बदला। सत्ता बदली। सांसद योगी आदित्यनाथ जब यूपी के सीएम बन गए तो लवलेश पाठक की विचारधारा भी बदल गई। वह अब उन भाजपाईयों से भी ज्यादा पक्के हो गए, जो आरएसएस कैडर से निकलकर पार्टी में पहुंचे। अब लवलेश पाठक ने ब्राम्हण होने का फायदा उठाकर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के फोटो डालने शुरू कर दिए। सूत्रों के अनुसार भाजपा के नगर निगम से जुड़े एक स्थानीय जनप्रतिनिधि की सिफारिश पर लवलेश पाठक का नाम प्रशासन ने डीजीसी बनने वाली सूची में चौथे नंबर पर शासन को भेजा है।
मगर, इसके साथ ही अधिवक्ता के विरोधियों और भाजपा कैडर से जुड़े लोगों ने लवलेश पाठक के सपा से जुड़े रहकर तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कोर्ट में दायर हुई उस समय की एप्पलीकेशन भी इसी के साथ लखनऊ सचिवालय भेज दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सीएम योगी को सपा सरकार मे जेल भेजने की कोशिश करने वाले अधिवक्ता लवलेश पाठक उन्हीं योगी के सीएम रहते हुए डीजीसी बन पाते हैं या नहीं। हालांकि उन पर लंबे आरोपों का पुलंदा सीएम योगी के नाम से लखनऊ भेजा जा चुका है।
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