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एक महीने पहले कर्बला की ज़ियारत के इरादे से निकले तीर्थयात्री अब अपनी जान की सलामती की गुहार लगाते वीडियो संदेश भेज रहे हैं। ईरान-इज़राइल के बीच बढ़ते युद्ध ने हालात इतने खराब कर दिए हैं कि बरेली के छह सहित उत्तर प्रदेश के 16 तीर्थयात्री अब बम धमाकों और दवाओं की किल्लत के बीच घिर चुके हैं।
बरेली के गढ़ईया मोहल्ले के रहने वाले हैं छह तीर्थयात्री
बरेली के किला क्षेत्र के गढ़ईया मोहल्ले से कर्बला की यात्रा पर निकले छह तीर्थयात्री इस वक्त ईरान में फंसे हुए हैं। उनके साथ यूपी के अन्य जिलों के 10 से अधिक श्रद्धालु भी हैं। युद्ध की भयावहता ने सबका जीना मुहाल कर दिया है। तीर्थयात्रियों के मुताबिक उनके आसपास लगातार बम धमाके हो रहे हैं, जिससे मानसिक तनाव के साथ-साथ शारीरिक स्थिति भी बिगड़ती जा रही है। दवा और डॉक्टर मिलना मुश्किल हो गया है। जत्थे में कई लोग बीमार हैं और बेसहारा हालत में जीने को मजबूर हैं।
तीर्थ यात्रियों ने की प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से भावुक अपील
फंसे हुए तीर्थयात्रियों ने ईरान से ही एक वीडियो जारी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि उन्हें और बाकी सभी भारतीयों को जल्द से जल्द सुरक्षित भारत वापस लाया जाए। वीडियो में नौशाद परवीन और सलीम हैदर ने हाथ जोड़कर भावुक स्वर में कहा, “हमें यहां से निकालिए। हमारी तबीयत खराब हो रही है। हम बहुत डरे हुए हैं। कृपया हमें बचा लीजिए।”
परिजन बोले- हम दुआ के अलावा कुछ कर नहीं पा रहे
बरेली के किला क्षेत्र निवासी शहजाद बानो की बहन और बहनोई इन्हीं में शामिल हैं। उन्होंने बताया कि उनके परिजनों से संपर्क बना हुआ है, लेकिन हर बार बात डर, घबराहट और असहायता से भरी होती है। उन्होंने कहा, “हम कुछ कर नहीं पा रहे। हर पल बस दुआ कर रहे हैं कि वो किसी तरह सुरक्षित लौट आएं।”
तीर्थयात्रियों के जत्थे में बुजुर्ग और बीमार लोग भी शामिल
कमाल हैदर, जो रिश्ते में नौशाद परवीन के भाई हैं, ने बताया कि जत्थे में बुजुर्ग और बीमार लोग भी हैं, जिन्हें न दवा मिल रही और न डॉक्टर। धमाकों की आवाजें लगातार सुनाई देती हैं, जिससे लोगों में दहशत का माहौल है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा कि हमारे अपनों को सकुशल स्वदेश लाने के लिए तत्काल रेस्क्यू अभियान चलाया जाए।
हर पल बढ़ती जा रही परिजनों की चिंता
बरेली सहित पूरे यूपी में इन तीर्थयात्रियों के परिवारों की चिंता गहराती जा रही है। हर गुजरता दिन उम्मीद और बेचैनी के बीच बीत रहा है। परिवार वालों की एक ही गुहार है कि हमारे अपने सही-सलामत लौट आएं।