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योग वैश्विक समरसता और मानसिक स्वास्थ्य की कुंजी : कुलपति प्रो. के.पी. सिंह

महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय, बरेली में आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय संबंध निदेशालय की तरफ से एक भव्य अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता। महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय, बरेली में आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय संबंध निदेशालय की तरफ से एक भव्य अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.पी. सिंह ने किया।

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संगोष्ठी के संयोजक, अंतर्राष्ट्रीय संबंध निदेशक प्रो. एस.एस. बेदी ने अपने स्वागत भाषण में योग के वैश्विक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि योग आज न केवल भारत की संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि यह विश्व को जोड़ने वाला एक आध्यात्मिक सेतु भी बन चुका है। उन्होंने “वन हेल्थ, वन नेशन, वन वेलनेस” की अवधारणा पर आधारित एक पावरपॉइंट प्रस्तुति के माध्यम से विभिन्न योगासनों के मानसिक और शारीरिक लाभों को विस्तार से समझाया।

डायरेक्टर ऑफ इंटरनेशनल रिलेशन्स प्रो. एस.एस. बेदी ने सभी अंतर्राष्ट्रीय अतिथियों का हार्दिक स्वागत करते हुए उन्हें भारत की धरती पर योग से जुड़ने के लिए धन्यवाद दिया। इस अवसर पर विश्व के कई देशों के प्रतिनिधियों और शिक्षाविदों ने सहभागिता की।

विशेष अतिथियों में फॉर वेस्टर्न यूनिवर्सिटी (नेपाल) के कुलपति, फिलोमैथ यूनिवर्सिटी (नाइजीरिया) के कुलपति प्रो. गयलिच, गेडू कॉलेज (भूटान) के डॉ. ल्हातो जाम्बा, मिसिसिपी वैली स्टेट यूनिवर्सिटी (अमेरिका) की इंटरनेशनल रिलेशन्स की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, वेस्टर्न यूनिवर्सिटी (नेपाल) के निदेशक तथा वीएसबी टेक्निकल यूनिवर्सिटी ओस्ट्रावा (चेक गणराज्य) के शोध वैज्ञानिक शामिल रहे।

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एशियन गेम्स 2025 के स्वर्ण पदक विजेता प्रवीण पाठक ने मंच पर उन्नत योग का प्रदर्शन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी ऊर्जा, लय और शुद्धता ने उपस्थितजनों को प्रेरणा से भर दिया।

 

संगोष्ठी में प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं ने भी अपने विचार साझा किए

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डॉ. हेमराज पंत ने विश्वविद्यालय द्वारा योग को पाठ्यक्रम में शामिल करने की पहल की सराहना की। डॉ. मीन सिंह ने योग को “व्यक्तिगत चेतना और वैश्विक चेतना के बीच सामंजस्य” बताते हुए इसे आत्मा और मन के बीच संतुलन का सशक्त साधन बताया।

नेपाल के डॉ. आर.वी. कांड ने कहा कि “आज के तनावपूर्ण जीवन में योग ही एकमात्र मार्ग है जो चिंता और अवसाद जैसे मानसिक विकारों से राहत दिला सकता है।”

मुख्य अतिथि प्रो. गयलिच (नाइजीरिया) ने कहा, “यह एक प्रेरक वैश्विक पहल है। वर्तमान में ‘जेन ज़ी’ पीढ़ी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही है, और योग इन चुनौतियों के समाधान का सबसे प्रभावी माध्यम बन सकता है।”

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अपने उद्घाटन संबोधन में कुलपति प्रो. के.पी. सिंह ने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पहल, भारत की ओर से विश्व को दिया गया एक अमूल्य उपहार है। योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि मानसिक शांति और वैश्विक समरसता का मार्ग है। यह यम, नियम, आसन, प्राणायाम, ध्यान और समाधि के माध्यम से सम्पूर्ण मानवता को जोड़ता है।”

उन्होंने यह भी कहा कि “योग आज 190 से अधिक देशों में प्रचलित है और यह किसी भी धर्म या सीमा से परे एक समरस अभ्यास है।” साथ ही यह भी उल्लेख किया कि हार्वर्ड जैसे शीर्ष शोध संस्थानों ने यह सिद्ध किया है कि योग मधुमेह, रक्तचाप, चिंता और अवसाद जैसे रोगों में अत्यंत प्रभावी है। उन्होंने कहा, “आंतरिक शांति ही बाह्य शांति की ओर ले जाती है।”

कार्यक्रम का संचालन डॉ. पूजा यादव द्वारा किया गया। योग प्रशिक्षक सैतवान और सुश्री प्रियंका द्वारा योग छात्राओं का योग प्रदर्शन प्रस्तुत किया गया 

इस सफल आयोजन के संचालन और व्यवस्थाओं में प्रो. यतेन्द्र कुमार (मुख्य कार्यकारी अधिकारी, आरआईएफ), अंतर्राष्ट्रीय संबंध निदेशालय के प्रो. उपेंद्र,विश्वविद्यालय के कुलसचिव संजीव कुमार सिंह, डॉ. भोला खान, डॉ. अतुल कटियार, तथा खेल विभाग के डॉ. विजय सिंघल, डॉ. अजीत, डॉ. नीरज, डॉ. इरम नायम, डॉ. इंदरप्रीत और तपन वर्मा, रामप्रीत की प्रमुख भूमिका रही।

धन्यवाद ज्ञापन प्रो. तुलिका द्वारा प्रस्तुत किया गया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी संकायाध्यक्ष, निदेशक एवं वरिष्ठ प्राध्यापकगण उपस्थित रहे, जिनमें प्रो. आलोक श्रीवास्तव, प्रो. संतोष अरोरा, प्रो. ए.के. सिंह, प्रो. पी.बी. सिंह, डॉ. ज्योति पांडेय, प्रो. उपेंद्र सहित अनेक गणमान्यजन सम्मिलित रहे। शासन के निर्देशानुसार कुलसचिव संजीव कुमार सिंह के मार्गदर्शन में “योग संगम” के अंतर्गत विद्यार्थियों के लिए निबंध लेखन, स्लोगन लेखन, आशुभाषण प्रतियोगिता, योग अभ्यास, वृक्षारोपण तथा “योग फॉर वेलनेस” विषयक संगोष्ठी जैसी विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की जा रही हैं। इसके अतिरिक्त 21 जून को विश्वविद्यालय परिसर एवं संबद्ध महाविद्यालयों में सामूहिक योगाभ्यास एवं सूर्य नमस्कार का आयोजन भी किया जाएगा।

यह अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी न केवल योग के शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक लाभों को वैश्विक मंच पर रेखांकित करने में सफल रही, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय पटल पर प्रस्तुत करने की दिशा में एक प्रेरणास्पद प्रयास सिद्ध हुई।

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