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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Election 2025) से पहले राजनीति गर्माने लगी है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव कृष्णा अल्लावरू ने आज पटना में चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोला। दोनों नेताओं ने आयोग की हालिया गतिविधियों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ और संदेहास्पद बताया।
पटना एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत में गहलोत ने कहा कि बिहार में वोटर लिस्ट का अचानक पुनरीक्षण करना और बिना किसी सार्वजनिक चर्चा के नई शर्तें लागू करना चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि "दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में रह रहे बिहारी कामगार अब कहां से जन्मतिथि के दस्तावेज लाएं? आयोग को जवाब देना चाहिए कि ये प्रक्रिया अचानक क्यों शुरू की गई।"
गहलोत के मुताबिक, यह फैसला राजनीतिक सहमति के बिना लिया गया है और इससे आम जनता में भ्रम फैल रहा है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इस विषय पर आज महागठबंधन की बैठक में गहन चर्चा की जाएगी, ताकि सामूहिक निर्णय लिया जा सके।
इसी सिलसिले में बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू भी पटना पहुंचे और उन्होंने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि यह पुनरीक्षण प्रक्रिया गरीब, पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समुदायों के वोट हटाने की रणनीति है। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा कि यह सीधा लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है और कांग्रेस इसका पुरजोर विरोध करती है।
बिहार की राजनीति में इस घटनाक्रम ने एक नया मोड़ ला दिया है क्योंकि आज पटना में ही महागठबंधन की घोषणापत्र समिति की अहम बैठक भी हुई, जिसमें विकास, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर रणनीति तय की गई।
जब कांग्रेस नेताओं से पूछा गया कि क्या तेजस्वी यादव महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा होंगे, तो गहलोत और अल्लावरू दोनों ने इस पर चुप्पी साध ली।