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BiharElection2025: बिहार में NDA की सुनामी, क्या रहे पांच बड़े कारण?

बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ऐतिहासिक जीत। मोदी-नीतीश फैक्टर, सोशल इंजीनियरिंग, महिला वोट और सुशासन मॉडल ने बनाए नए चुनावी रिकॉर्ड।

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Dhiraj Dhillon
BJP

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 202 सीटों पर कब्जा किया, जो पिछले तीन चुनावों का रिकॉर्ड तोड़ता है। इससे पहले 2010 में भाजपा-जदयू गठबंधन को 206 सीटें मिली थीं। 243 सदस्यीय विधानसभा में महागठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया।
इस चुनाव का सबसे बड़ा परिणाम भाजपा का राज्य में सबसे बड़ा दल बनकर उभरना है। भाजपा ने 89 सीटें जीतीं, जबकि जदयू ने 85 सीटों पर जीत हासिल की। चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) को 19, हम (एस) को 6 में से 5 और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम को 6 में से 4 सीटें मिलीं।

1. बेहतर सीट बंटवारा और लगातार निगरानी ने बढ़ाई ताकत

एनडीए ने चुनाव से काफी पहले ही सीटों का सौहार्दपूर्ण बंटवारा किया। भाजपा-जदयू ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा, जबकि लोजपा (रामविलास), हम (एस) और आरएलएम को उनकी जमीनी ताकत के अनुसार सीटें दी गईं।गृह मंत्री अमित शाह ने पूरे चुनाव पर नजर रखी, बागियों को मनाया और नाराज नेताओं को साथ लाया। इससे गठबंधन मजबूत संदेश देने में सफल रहा।

2. ‘जंगल राज’ की यादों ने महागठबंधन को किया कमजोर

भाजपा ने राजद शासन (1990–2005) के ‘जंगल राज’ का मुद्दा जोरदार उठाया।उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा के काफिले पर हमले जैसी घटनाओं ने इस नैरेटिव को और मजबूत किया।एनडीए ने खुद को गुंडाराज की वापसी के खिलाफ एकमात्र विकल्प के रूप में पेश किया, जिससे बड़ा वोट बैंक उसके साथ जुड़ा।

3. सोशल इंजीनियरिंग: ईबीसी-महादलित समीकरण ने दिलाई बढ़त

बिहार की राजनीति एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण पर टिकी रही है, लेकिन एनडीए ने इस बार ईबीसी और महादलित समुदायों पर फोकस कर बाजी पलट दी।भाजपा ने सवर्ण वोट बेस मजबूत रखा, जबकि जदयू ने कुर्मी और अति-पिछड़ा वर्ग में गहरी पकड़ बनाए रखी।लोजपा (रामविलास), हम (एस) और आरएलएम ने दलित-पिछड़ा वोट बैंक को एनडीए के पक्ष में संगठित किया।महागठबंधन की सोशल इंजीनियरिंग इस बार कामयाब नहीं रही।

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4. 10,000 रुपये की पहली किस्त ने बदल दिया चुनावी गणित

सीएम नीतीश कुमार की “महिला रोजगार योजना” की पहली किस्त- 10,000 रुपये - 1.21 करोड़ से अधिक महिलाओं के खातों में पहुंची। इसके बाद महिला वोटरों का झुकाव बड़े स्तर पर एनडीए के पक्ष में गया।कई जिलों में महिलाओं का मतदान पुरुषों से 10–20% ज्यादा रहा, जिसने चुनावी नतीजों को निर्णायक रूप से प्रभावित किया।

5. मोदी-नीतीश फैक्टर और ‘डबल इंजन’ पर भरोसा

पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार की जोड़ी ने सुशासन और स्थिरता का संदेश मजबूती से पहुंचाया।नीतीश की उम्र और स्वास्थ्य पर विपक्ष के हमलों का असर उलटा पड़ा और मतदाताओं ने उन पर फिर भरोसा जताया।“बिहार का मतलब नीतीश कुमार” और “टाइगर अभी जिंदा है” जैसे नारे जनता के बीच लोकप्रिय हुए।विपक्षी गठबंधन की अंदरूनी खींचतान और दोस्ताना मुकाबलों ने भी एनडीए को बढ़त दिलाई।

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