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चुनाव आयोग के नए निर्देश से मचा हड़कंप, क्या है 'साइलेंस पीरियड'?

बिहार चुनाव 2025 में ECI सख्त मतदान से 48 घंटे पहले 'साइलेंस पीरियड' लागू। चुनावी चर्चा, प्रचार, एग्जिट पोल के प्रसारण पर पूर्ण बैन रहेगा। धारा 126 का उल्लंघन करने पर 2 साल तक जेल, जुर्माना या दोनों। जानें, ECI का क्यों है इतना कड़ा रुख?

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Ajit Kumar Pandey
चुनाव आयोग के नए निर्देश से मचा हड़कंप, क्या है 'साइलेंस पीरियड'? | यंग भारत न्यूज

चुनाव आयोग के नए निर्देश से मचा हड़कंप, क्या है 'साइलेंस पीरियड'? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर भारतीय निर्वाचन आयोग ECI ने बेहद सख्त रुख अपनाया है। मतदान से 48 घंटे पहले शुरू होने वाले 'साइलेंस पीरियड' के दौरान किसी भी चुनावी सामग्री, चर्चा या एग्जिट पोल का प्रसारण पूरी तरह प्रतिबंधित है। नियम तोड़ने पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126 के तहत 2 साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता है। यह सख्ती शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने के लिए है, ताकि मतदाता बिना किसी दबाव के अपना निर्णय ले सकें। क्या है ECI का नया कड़ा निर्देश? क्यों लागू होता है 'साइलेंस पीरियड'? 

बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही चुनाव आयोग ECI ने अपनी कमर कस ली है। इस बार आयोग ने साफ कर दिया है कि चुनावी माहौल में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आयोग का सबसे बड़ा फोकस 'साइलेंस पीरियड' Silence Period पर है, जिसे लेकर सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। 

यह 'साइलेंस पीरियड' दरअसल मतदान खत्म होने से ठीक 48 घंटे पहले शुरू होता है। बिहार में मतदान दो चरणों में 6 नवंबर और 11 नवंबर, 2025 को होने हैं। इसका मतलब है कि इन तारीखों से 48 घंटे पहले से ही चुनावी प्रचार का शोर थम जाएगा। 

क्या है इस साइलेंस पीरियड का मकसद? आयोग के अनुसार, यह अवधि मतदाताओं को एक शांत माहौल देने के लिए है। एक मतदाता को बिना किसी आखिरी मिनट के प्रचार, दबाव या बाहरी शोर के, शांति और एकाग्रता से यह सोचने का मौका मिलना चाहिए कि वे किसे वोट दें। यह वह समय है जब वोटर उम्मीदवारों के पिछले वादों और कार्यों का आत्म-चिंतन कर सकते हैं। यह लोकतंत्र की सबसे शुद्ध प्रक्रिया को सुनिश्चित करने का प्रयास है। 

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चुनाव आयोग के नए निर्देश से मचा हड़कंप, क्या है 'साइलेंस पीरियड'? | यंग भारत न्यूज
चुनाव आयोग के नए निर्देश से मचा हड़कंप, क्या है 'साइलेंस पीरियड'? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

'साइलेंस पीरियड' में क्या-क्या करना है मना? 

ECI ने साफ किया है कि इन 48 घंटों के दौरान किसी भी माध्यम से "चुनावी सामग्री" Election Matter का प्रदर्शन, प्रसारण या प्रकाशन पूरी तरह से बंद रहेगा। 

जनसभाएं और जुलूस: किसी भी तरह की चुनावी सभा या जुलूस की अनुमति नहीं होगी। 

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मीडिया कवरेज: टेलीविजन, रेडियो, केबल नेटवर्क या सोशल मीडिया पर भी चुनावी चर्चा या विश्लेषण नहीं किया जा सकेगा। 

प्रचार सामग्री: किसी भी तरह के विज्ञापन, पोस्टर या प्रचार सामग्री का प्रदर्शन सख्त मना है। 

एग्जिट पोल पर पूर्ण प्रतिबंध: एग्जिट पोल के नतीजों का प्रसारण या प्रकाशन पूरी तरह से वर्जित है। 

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सावधान: एग्जिट पोल पर है 'दोहरी' रोक 

चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल पर सिर्फ 'साइलेंस पीरियड' में ही नहीं, बल्कि एक व्यापक अवधि के लिए प्रतिबंध लगाया है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126क के तहत 6 नवंबर 2025 को सुबह 7:00 बजे से लेकर 11 नवंबर 2025 को शाम 6:30 बजे के बीच एग्जिट पोल आयोजित करने या उनके परिणामों को प्रकाशित या प्रसारित करने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। यानी, जब तक दूसरे चरण का मतदान खत्म नहीं हो जाता है, तब तक किसी भी हालत में एग्जिट पोल के नतीजे बाहर नहीं आ सकते। यह इसलिए किया जाता है ताकि पहले चरण के नतीजों का अनुमान दूसरे चरण के मतदाताओं को प्रभावित न करे। 

नियम तोड़ने पर 2 साल की जेल या जुर्माना 

ECI इतना सख्त क्यों? ECI ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर गंभीर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126ख का उल्लंघन करने पर दो वर्ष तक का कारावास जेल जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। यह सख्ती बताती है कि आयोग निष्पक्ष चुनाव कराने को लेकर कितना गंभीर है। यह सिर्फ एक कानूनी चेतावनी नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की पवित्रता बनाए रखने का एक गंभीर संदेश है। 

चुनाव आयोग ने विशेष रूप से टीवी चैनलों, रेडियो और डिजिटल मीडिया को निर्देश दिए हैं कि वे इन 48 घंटों के दौरान चुनाव को प्रभावित करने वाला कोई कार्यक्रम, डिबेट या एग्जिट पोल से संबंधित कोई भी सवाल-जवाब न करें। 

आखिरी मिनट के प्रचार पर लगाम 

अक्सर देखा जाता है कि राजनीतिक दल अंतिम 48 घंटों में सोशल मीडिया या गुप्त माध्यमों से प्रचार करने की कोशिश करते हैं। ECI की ये चेतावनी अब डिजिटल और प्रिंट मीडिया दोनों के लिए एक बड़ी लक्ष्मण रेखा है। आयोग सुनिश्चित करना चाहता है कि अंतिम समय में कोई भी प्रलोभन या भावनात्मक अपील मतदाता के स्वतंत्र निर्णय को न बदल सके। 

आपके लिए समझना क्यों जरूरी है? 

एक नागरिक के तौर पर आपको यह जानना जरूरी है कि आपके मतदान के ठीक पहले क्या माहौल होना चाहिए। अगर आप अपने आसपास किसी को भी इस अवधि के दौरान नियमों का उल्लंघन करते देखते हैं, तो आप इसकी सूचना चुनाव आयोग को दे सकते हैं। 

निष्पक्ष चुनाव केवल आयोग की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हम सब की है। बिहार का यह चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है और ECI के ये सख्त निर्देश यह सुनिश्चित करते हैं कि चुनाव प्रक्रिया में किसी भी तरह का 'अवांछित शोर' न हो और हर मतदाता 'शांति' और 'एकाग्रता' के साथ अपने मत का प्रयोग कर सके। 

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