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Photograph: (Google)
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में आज उन सात सीटों पर सबसे तीव्र मुकाबला देखने को मिल रहा है जो राज्य की राजनीति में गहरे प्रतीक बन चुकी हैं। ये सिर्फ क्षेत्रीय लड़ाई नहीं, बल्कि नेताओं की प्रतिष्ठा, शक्तियों का पुनर्समायोजन और गठबंधन-दल की दिशा तय करने वाला रण हैं। इन सीटों पर वोटिंग के साथ ही यह देखा जा रहा है कि जनता किस चेहरे को कितना समर्थन देती है।
सबसे चर्चित मुकाबला तेजस्वी यादव का
सबसे चर्चित मुकाबला तेजस्वी यादव का है। राघोपुर सीट पर वह तीसरी बार जीत की तैयारी में हैं लेकिन भाजपा के सतीश कुमार सीधे चुनौती दे रहे हैं। राजद का गढ़ मानी गई यह सीट सबकी नजर में है। वहीं उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के लिए तारापुर सीट में मुकाबला आसान नहीं है। उनका सामना राजद के अरुण शाह से है। यह क्रम अन्य सीटों पर भी जारी है। जैसे कि तेज प्रताप यादव की महुआ सीट पर उनकी नई पार्टी का भविष्य दांव पर है और अलीनगर में भाजपा की नई युवा चेहरे मैथिली ठाकुर के सामने पुराने राजद के बिनोद मिश्रा खड़े हैं।
वीआईपी सीटों पर परिणाम बताएंगे गठबंधन कितने मजबूत
मोकामा में बाहुबली कहे जाने वाले अनंत कुमार सिंह की जदयू में वापसी और प्रतिद्वंद्वी राजद की वीणा देवी की चुनौती इस बहस को जन्म दे रही है कि कितनी बड़ी भूमिका स्थानीय बाहुबल-प्रभाव का है और कितना बदलाव के लिए जनता तैयार है। लखीसराय में भाजपा के विजय कुमार सिन्हा जन सुराज पार्टी के सूरज कुमार के बीच टक्कर, तथा पटना साहिब में कांग्रेस-भाजपा की प्रतिष्ठा युद्ध भी राज्य-राजनीति के मायने खोल रही है। इन वीआईपी सीटों पर परिणाम सिर्फ सीटों का अंतर नहीं बताएंगे बल्कि यह संकेत देंगे कि गठबंधन कितने मजबूत हैं, नए दल कितनी स्वीकार्यता बना रहे हैं, और जनता ने किन कारकों को प्राथमिकता दी है - चेहरे, काम या भरोसे।
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