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आरा की सड़कों पर जब प्रशांत किशोर "बिहार बदलाव यात्रा" में चल रहे थे, तब वोटर लिस्ट पुनरीक्षण को लेकर चुनाव आयोग के फैसले पर वे जमकर बरसे। प्रशांत किशोर ने कहा कि चुनाव आयोग को अपना काम करना चाहिए, लेकिन अगर वह किसी प्रकार की लापरवाही करेगा तो वे निश्चित रूप से सवाल खड़े करेंगे क्योंकि लोकतंत्र में अंतिम ताकत जनता के हाथ में है।
आगामी विधानसभा चुनाव के एजेंडे को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि चुनावी सर्वे में मुख्यमंत्री पद के लिए उनके उम्मीदवार को नीतीश कुमार से बेहतर बताया जाना बिहार की जनता की सार्वजनिक जीत है। उन्होंने साफ कहा कि इस चुनाव में नीतीश कुमार, लालू यादव और नरेंद्र मोदी तीनों हारेंगे। बिहार की जनता इस बार इन तीनों को हराएगी।
तेज प्रताप–तेजस्वी विवाद से जनता का क्या लेना-देना?
तेज प्रताप यादव के बयान—“दूसरा लालू मैं ही हूँ”—पर प्रशांत किशोर ने कहा कि यह व्यक्तिगत झगड़ा जनता के मुद्दे से कितना भी सम्बन्धित नहीं है। आम लोग यह जानना चाहते हैं कि उनके बच्चों का पलायन कब रुकेगा और उन्हें रोज़गार कब मिलेगा। यह मुद्दा ही बिहार की राजनीति का केंद्र है।
अशोक चौधरी पर फिर कसा तंज
प्रशांत किशोर ने मंत्री अशोक चौधरी के अचानक असिस्टेंट प्रोफेसर बनने पर भी सवाल उठाए। 56 वर्ष की आयु में बिना परीक्षा के यह पद प्राप्त करने को उन्होंने ‘फायदे का सौदा’ बताया। किशोर ने कहा कि लोग तो क्लर्क या शिक्षक बनने के लिए समय लगाकर परीक्षा दे रहे हैं, वहीं अशोक चौधरी को बिना मेहनत पद मिल गया।