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बिहार चुनाव में बंपर मतदान किसके लिए 'गुड न्यूज'? क्या कहता है वोटिंग ट्रेंड्स? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 121 सीटों पर अप्रत्याशित बंपर वोटिंग ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। यह उछाल 2020 के मतदान प्रतिशत से कहीं ज्यादा है। चुनावी जानकारों के मुताबिक, इस बढ़ी हुई वोटिंग के पीछे महिलाओं और युवाओं की लंबी कतारें हो सकती हैं, लेकिन वह कौन सी बात है जो युवाओं और महिलाओं जबरदस्त जोश भर दिया है। बंपर वोटिंग का 'महा-सस्पेंस' आखिर किसके लिए खुलेंगे जीत के दरवाजे?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में मतदाताओं का उत्साह देखने लायक रहा। दोपहर 3 बजे तक ही 53.77% मतदान दर्ज किया गया, जो पिछले चुनाव से कहीं अधिक है। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह बिहार की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है।
सवाल यह है कि यह बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत NDA गठबंधन के लिए 'खुशखबरी' है या फिर महागठबंधन के लिए? चुनावी इतिहास बताता है कि अक्सर अधिक मतदान को सत्ता विरोधी लहर से जोड़कर देखा जाता है। ऐसा लगता है कि यह बंपर वोटिंग किसी लहर से ज़्यादा सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों में बढ़े हुए उत्साह का परिणाम है। '10 हजार वाली स्कीम' ने क्या भरा महिलाओं में जोश?
बिहार में महिलाओं की पोलिंग बूथ पर लगी लंबी कतारें सबसे बड़ा राजनीतिक संकेत दे रही हैं। विश्लेषकों का मानना है कि इसके पीछे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वह '10 हजार रुपये की स्कीम' है, जिसने करीब डेढ़ करोड़ महिलाओं को सीधे तौर पर आर्थिक लाभ पहुंचाया है।
चुनावी विश्लेषक अमिताभ पाठक के अनुसार, "बिहार में प्रति व्यक्ति आय करीब साढ़े पांच हजार है। ऐसे में डेढ़ करोड़ महिलाओं जो कि महिला वोटरों का लगभग 40 फीसदी हैं के हाथ में 10 हजार रुपये सीधे देना एक बड़ा मनोवैज्ञानिक और चुनावी दांव है। यह स्कीम एनडीए के कोर महिला वोटरों में केवल वोटिंग के लिए जोश ही नहीं भर रही, बल्कि उन्हें पोलिंग बूथ तक खींच कर भी ला रही है।" इस योजना का असर साढ़े चार करोड़ से अधिक वोटरों प्रति परिवार चार सदस्य मानने पर पर पड़ सकता है।
तो वहीं दूसरी ओर एक और चुनावी विश्लेषक राजकुमार झा का कहना है कि पहले चरण में युवाओं और महिलाओं की जो लंबी लंबी लाइनें पोलिंग बूथों पर लगी हैं वह महागठबंधन की हर घर सरकारी नौकरी और माईबहन योजना के वादे का असर है। वैसे भी नीतीश कुमार की सरकार इस बार एंटी इनकंबैंसी का शिकार हो सकती है। कुल मिलाकर जैसे भी दोनों गठबंधनों ने युवाओं और महिलाओं पर फोकस किया है, नतीजतन बंपर वोटिंग है। यह बहुत अच्छा संकेत लोकतंत्र के लिए है।
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कहीं ऐसा तो नहीं इस बार भी हो रहा...
साल 2020 के पिछले चुनाव में भी जहां महिलाओं ने बंपर वोटिंग की थी 167 सीटों पर, वहां NDA ने 99 सीटों पर जीत हासिल की थी। पुरुष वोटिंग का गणित वहीं, जिन 26-27 सीटों पर पुरुषों का मतदान अधिक हुआ था, वहां एनडीए पिछड़ गई थी। यह पैटर्न साफ बताता है कि महिला वोटर NDA की 'साइलेंट और कोर' पावर हैं। महिलाएं क्यों हैं 'नीतीश कुमार' की सबसे बड़ी समर्थक?
वरिष्ठ चुनावी जानकार संदीप श्रीवास्तव कहते हैं कि विपक्ष, खासकर तेजस्वी और प्रियंका गांधी का इस स्कीम पर लगातार हमला करना ही बताता है कि विपक्षी खेमे में बेचैनी है। नीतीश कुमार का महिलाओं के बीच एक पुराना और मजबूत राजनीतिक आधार रहा है कानून व्यवस्था में सुधार 2005-2010 के बीच कानून व्यवस्था को दुरुस्त करना। साइकिल योजना छात्राओं को साइकिल देकर शिक्षा से जोड़ना। शराबबंदी इस एक फैसले ने ग्रामीण महिलाओं के बीच उनकी लोकप्रियता को चरम पर पहुंचा दिया।
संदीप श्रीवास्तव के मुताबिक, "बिहार के संदर्भ में देखें तो महिला वोटरों में नीतीश कुमार की लोकप्रियता पीएम मोदी से भी ज्यादा नजर आती है, जो अन्य राज्यों में नहीं दिखता। यह लगातार चला आ रहा विश्वास है।" क्या PM मोदी की 'किसान स्कीम' जैसा हो सकता है असर?
चुनावी पंडितों का भी कहना है कि 10 हजार की स्कीम का असर वैसा ही हो सकता है, जैसा पीएम मोदी की किसानों के लिए 6 हजार रुपये की योजना का हुआ था, जिसने किसान आंदोलन के उबाल को शांत कर दिया था। सुरक्षित माहौल नीतीश सरकार ने महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने में सफलता हासिल की है।
बंपर वोटिंग का 'सीक्रेट कोड' बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत, विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं की लंबी कतारें, इस बार सत्ता विरोधी लहर नहीं, बल्कि सरकारी योजनाओं और महागठबंधन के वादों के पक्ष में लहर का संकेत दे रही हैं।
यह पैटर्न सीधे तौर पर सकता है। यदि यही रुझान दूसरे चरण में भी कायम रहा, तो यह बिहार चुनाव का सबसे बड़ा 'गेम चेंजर' साबित हो सकती है। इसके अलावा, यह भी एक पहलू है कि वोटिंग डेटा के रियल टाइम डिस्प्ले से भी मतदान प्रतिशत बढ़ा हुआ दिख सकता है, जिसकी मांग विपक्ष कर रहा था। लेकिन महिला और युवा वोटरों का रुझान कहानी को साफ कर रहा है।
अब तो 11 नवंबर को दूसरे चरण की वोटिंग और 14 नवंबर को मतगणना में सब कुछ साफ हो जाएगा।
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