बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। सोमवार सुबह लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हुई अहम मुलाकात ने सियासी हलकों में खलबली मचा दी है।
सूत्रों के मुताबिक, यह सीएम हाउस में हुई बंद कमरे की बैठक महज एक शिष्टाचार भेंट नहीं थी, बल्कि एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे और चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए थी। चिराग को इस बार गठबंधन में “सम्मानजनक हिस्सेदारी” की उम्मीद है, जो उन्हें 2020 में नीतीश विरोध के बाद भी 2024 की वापसी के आधार पर मिल सकती है।
चिराग और नीतीश: विरोध से सहयोग तक का सफर
- 2020 में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की JDU के खिलाफ मोर्चा खोला, जिससे गठबंधन को नुकसान हुआ।
- 2024 के लोकसभा चुनाव में दोनों नेताओं ने NDA के तहत एकजुटता दिखाई, जहां LJP ने सभी 5 आवंटित सीटें जीत लीं।
- अब 2025 के चुनाव में, यही साझेदारी NDA के “Mission 225+” की नींव बन सकती है।
मुलाकात में किन मुद्दों पर चर्चा हुई?
- सीट शेयरिंग फार्मूला:
NDA में 243 सीटों का बंटवारा बड़ा मुद्दा है।
- BJP और JDU चाहते हैं बड़ी हिस्सेदारी,
- लेकिन चिराग पासवान की LJP भी दलित और युवा वोट बैंक के आधार पर ज्यादा सीटों की मांग कर रही है।
- जातिगत समीकरण और कैंडिडेट चयन:
- पासवान समुदाय की पकड़ और चिराग की युवा छवि NDA को मदद कर सकती है।
- नीतीश का अनुभव और प्रशासनिक छवि गठबंधन को संतुलित बनाता है।
- PM Modi की जातीय जनगणना नीति की सराहना:
- चिराग ने इसे अपने पिता रामविलास पासवान के सपनों की पूर्ति बताया।
- इससे OBC-Dalit वोटरों में चिराग की पकड़ और मज़बूत हो सकती है।
- मुख्यमंत्री पद की आकांक्षा पर स्थिति स्पष्ट:
- चिराग ने फिर कहा कि “मुझे मुख्यमंत्री बनने की कोई लालसा नहीं है। मैं नीतीश जी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को तैयार हूं।”
- यह बयान गठबंधन के भीतर भरोसे और स्थिरता का संकेत है।
क्यों अहम है यह मुलाकात?
यह मुलाकात NDA की आंतरिक राजनीति में एकता और विश्वास को दर्शाती है। महागठबंधन (राजद, कांग्रेस, वाम दल) के लिए यह एक बड़ी रणनीतिक चुनौती है। NDA यदि जातिगत गणित, सीट बंटवारा और क्षेत्रीय समीकरणों को सही ढंग से सुलझा लेता है, तो यह गठबंधन बिहार में 2025 का किंगमेकर साबित हो सकता है।
NDA का मिशन 225+: क्या है तैयारी?
BJP-जेडीयू-एलजेपी-हम पार्टी के साथ NDA अब लगभग सभी जातीय समूहों को कवर करता है। चिराग की अगुवाई में दलित-युवा वोट, नीतीश की अगुवाई में OBC और महिला वोट, BJP की संगठनात्मक ताकत और मोदी फैक्टर — यह सभी मिलकर NDA को 225 सीटों के लक्ष्य के करीब ले जा सकते हैं।