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बिहार चुनाव 2025 : पहले चरण का रण - तेजस्वी बचाएंगे किला या नीतीश जीतेंगे जंग?

बिहार चुनाव के पहले चरण की 121 सीटों पर 6 नवंबर को वोटिंग है। तेजस्वी को किला बचाना है, तो नीतीश को गद्दी। 16 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है। RJD को NDA से ज्यादा सीटें जीतनी होंगी। JDU के लिए क्या है बड़ी चुनौती?

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Ajit Kumar Pandey
बिहार चुनाव 2025 : पहले चरण का रण - तेजस्वी बचाएंगे किला या नीतीश जीतेंगे जंग? | यंग भारत न्यूज

बिहार चुनाव 2025 : पहले चरण का रण - तेजस्वी बचाएंगे किला या नीतीश जीतेंगे जंग? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार दोनों के लिए निर्णायक है। 121 सीटों पर हो रहे इस महासंग्राम में जहां आरजेडी को अपना किला बचाए रखना है, तो वहीं 20 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जमे नीतीश कुमार को वापसी का भरोसा दिलाना है। इस चरण में 16 मंत्रियों, जिनमें 5 जेडीयू और 11 बीजेपी कोटे के हैं, उनकी किस्मत दांव पर है। पहले फेज के चुनावी नतीजे ही राज्य की सत्ता का भविष्य तय करेंगे। कौन बचाएगा अपनी 'कुर्सी', कौन करेगा वापसी? 

बिहार की सियासत में 'पहला चरण' हमेशा से ही निर्णायक रहा है, लेकिन इस बार का महासंग्राम कुछ ज्यादा ही व्यक्तिगत और चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर 3 करोड़ 75 लाख से अधिक मतदाता 1314 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 6 नवंबर को करेंगे। यह सिर्फ सीटों का चुनाव नहीं है, बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और महागठबंधन के सीएम पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव के राजनीतिक भविष्य की पटकथा भी है। 

नीतीश के लिए 'वापसी' का चैलेंज- तेजस्वी के लिए 'किला' बचाने की जंग 

नीतीश कुमार पिछले दो दशकों से बिहार की राजनीति का केंद्र रहे हैं। सत्ता में लंबे समय तक रहने के कारण उनके खिलाफ कथित सत्ता विरोधी लहर भी मानी जा रही है। बीजेपी के कम सीटें जीतने की स्थिति में उनका सीएम बनना आसान नहीं होगा, इसलिए यह चुनाव उनके लिए अपनी कुर्सी और राजनीतिक प्रासंगिकता को बचाए रखने का सबसे बड़ा चैलेंज है। तो वहीं, महागठबंधन की कमान संभाल रहे युवा नेता तेजस्वी यादव के सामने अपने "गढ़" को बचाए रखने की चुनौती है। 

पिछले चुनाव में सारण और भोजपुर बेल्ट में आरजेडी ने अच्छा प्रदर्शन कर मुकाबले को मुख्यधारा में ला दिया था। इस बार सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने के लिए तेजस्वी को पहले चरण में एनडीए से ज्यादा सीटें जीतनी होंगी, खासकर अपने राघोपुर सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने के साथ-साथ सहयोगी दलों को भी जिताने की जिम्मेदारी है। 

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16 मंत्रियों की अग्निपरीक्षा, जेडीयू के 5 दिग्गज दांव पर 

यह चरण इतना अहम है कि इसमें खुद नीतीश सरकार के 16 मंत्रियों की सियासी भविष्य का फैसला होना है। इसमें जेडीयू के 5 और बीजेपी कोटे के 11 मंत्री शामिल हैं, जिनकी किस्मत ईवीएम में कैद होगी। 

पार्टीमंत्री जेडीयू कोटे केप्रमुख सीटें
जेडीयूविजय कुमार चौधरी जल संसाधनसराय रंजन
जेडीयूश्रवण कुमार ग्रामीण विकासनालंदा
जेडीयूमदन सहनी समाज कल्याणबहादुरपुर
जेडीयूमहेश्वर हजारी सूचना एवं जनसंपर्ककल्याणपुर
जेडीयूरत्नेश सदा मंत्रीसोनबरसा 


इसके अलावा, बीजेपी के 11 मंत्रियों में प्रमुख रूप से उप-मुख्यमंत्रियों- सम्राट चौधरी तारापुर और विजय सिन्हा लखीसराय का इम्तिहान भी इसी चरण में है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे, उद्योग मंत्री नितिन नवीन, और राजस्व मंत्री संजय सरावगी जैसे कद्दावर चेहरे भी मैदान में हैं। 

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बिहार चुनाव 2025 : पहले चरण का रण - तेजस्वी बचाएंगे किला या नीतीश जीतेंगे जंग? | यंग भारत न्यूज
बिहार चुनाव 2025 : पहले चरण का रण - तेजस्वी बचाएंगे किला या नीतीश जीतेंगे जंग? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

पहले चरण का गुणा-गणित: एनडीए बनाम महागठबंधन 

पहले चरण में मिथिलांचल, कोसी, मुंगेर डिवीजन और भोजपुर बेल्ट की 121 सीटों पर चुनाव है। कुल उम्मीदवार इस फेज में 1314 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 122 महिला प्रत्याशी शामिल हैं। 

वोटिंग 6 नवंबर को: 3 करोड़ 75 लाख 13 हजार 302 मतदाता किस्मत का फैसला करेंगे। 

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पार्टियों का दांवगठबंधन पार्टीलड़ी जा रही सीटें लगभग
महागठबंधनआरजेडी72
महागठबंधनकांग्रेस24
महागठबंधनCPI माले, CPI, CPM, VIP25
एनडीएजेडीयू57
एनडीएबीजेपी48
एनडीएLJP रामविलास, RLM, HAM16

पिछले विधानसभा चुनाव में इन 121 सीटों में से आरजेडी ने अकेले 42 और बीजेपी ने 32 सीटों पर जीत का परचम फहराया था, जबकि जेडीयू के खाते में सिर्फ 23 सीटें आई थीं। इससे समझा जा सकता है कि आरजेडी को अपना गढ़ बचाने की चुनौती है, तो जेडीयू के सामने अपना जनाधार दोबारा पाने का संघर्ष है। 

सीधी लड़ाई और फ्रेंडली फाइट 

पहले चरण में कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय है, लेकिन मुख्य लड़ाई एनडीए और महागठबंधन के बीच ही है। 

जेडीयू vs आरजेडी: जेडीयू की 57 सीटों में से 38 पर आरजेडी से सीधी टक्कर है। 

जेडीयू vs कांग्रेस/लेफ्ट: 13 सीटों पर जेडीयू का मुकाबला कांग्रेस से है और 7 सीटों पर सीपीआई माले से फाइट है। 

आरजेडी vs बीजेपी: 23 सीटों पर आरजेडी और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है। 

कांग्रेस vs बीजेपी: सिर्फ 13 सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई है। इसके अलावा, चिराग पासवान की एलजेपी आर 10 सीटों पर आरजेडी से और मुकेश सहनी की वीआईपी 4 सीटों पर बीजेपी से मुकाबला कर रही है, जो एनडीए के लिए आंतरिक चुनौती बन सकती है।

उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम के दोनों उम्मीदवार आरजेडी प्रत्याशी से मुकाबला कर रहे हैं। 

नीतीश-तेजस्वी की डगर अब क्यों मुश्किल? 

इस बार का चुनाव 2020 से अलग है। नीतीश के लिए उन्हें महागठबंधन के साथ-साथ जन सुराज प्रशांत किशोर का समूह से भी मुकाबला करना पड़ रहा है, जिसने पहले चरण की 119 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। तेजस्वी के लिए पिछली बार सहयोगी दलों के पिछड़ेपन से तेजस्वी सत्ता की दहलीज तक पहुंचकर भी सीएम नहीं बन पाए थे। इस बार चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा जैसे पुराने सहयोगी अब एनडीए के साथ हैं, जिससे तेजस्वी की राह और कठिन हो गई है। 

पहले चरण का यह रण सिर्फ सीटों की गिनती नहीं, बल्कि बिहार के अगले दशक की राजनीति की दिशा तय करेगा। जीत दोनों के लिए जरूरी है- एक को कुर्सी बनाए रखने के लिए, तो दूसरे को सिंहासन तक पहुंचने के लिए। 

6 नवंबर के वोट से ही 16 मंत्रियों सहित दोनों प्रमुख नेताओं का भविष्य तय होगा। 

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