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बिहार चुनाव 2025 में Gen Z की दस्तक: मैथिली ठाकुर ने रचा इतिहास, युवा उम्मीदवारों ने बदल दिए सियासत के समीकरण

बिहार चुनाव 2025 में Gen Z उम्मीदवारों ने पहली बार बड़ी भूमिका निभाई। मैथिली ठाकुर ने सबसे कम उम्र की महिला विधायक बनकर इतिहास रचा, जबकि कई युवा उम्मीदवारों ने दिग्गजों को कड़ी चुनौती दी। पढ़ें पूरा विश्लेषण।

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YBN Bihar Desk
Bihar Election Gen Z candidates

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 सिर्फ राजनीतिक परिणामों के कारण चर्चा में नहीं रहा, बल्कि इस बार पहली बार बड़ी संख्या में Gen Z उम्मीदवारों ने मैदान में उतरकर चुनाव को नई दिशा दी। नेपाल और लद्दाख में युवा आंदोलनों के बाद अब बिहार में भी यह पीढ़ी राजनीति में अपनी भूमिका तय करने के लिए आगे आई। कई युवा उम्मीदवारों ने दिग्गजों को टक्कर दी, कुछ ने ऐतिहासिक जीत हासिल की तो कुछ कम अंतर से बाहर हो गए। इस चुनाव में युवा ऊर्जा, सोशल मीडिया प्रभाव और पारंपरिक राजनीति के टकराव ने बिहार की सियासत का परिदृश्य बदल दिया।

सबसे ज्यादा सुर्खियाँ बटोरीं 25 वर्षीय लोकप्रिय गायिका मैथिली ठाकुर ने, जिन्होंने दरभंगा की अलीनगर सीट से जीतकर बिहार की सबसे कम उम्र की महिला विधायक बनने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। डिजिटल दुनिया में पले इस नए दौर की प्रतिनिधि मैथिली ने शुरू में विरोध का सामना किया, लेकिन प्रचार के दौरान उनके समर्थन में भारी जनसमर्थन खड़ा हो गया। उन्हें 84,915 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी RJD के उम्मीदवार 11,730 वोटों से पीछे रह गए। 

Gen Z उम्मीदवारों के लिए यह चुनाव मिश्रित परिणाम लेकर आया। रवीना कुशवाहा और शिवानी शुक्ला जैसे युवा चेहरे, जिनकी पारिवारिक पहचान काफी मजबूत थी, चुनाव जीतने में सफल नहीं हुए। रवीना को विभूतिनगर सीट पर कड़ी चुनौती मिली और शुरुआती बढ़त के बाद भी वह हार गईं। वहीं शिवानी शुक्ला, जिन्हें बाहुबली पिता मुन्ना शुक्ला का राजनीतिक प्रभाव साथ मिलने की उम्मीद थी, बड़ी हार का सामना करना पड़ा।

सबसे रोमांचक मुकाबला भोजपुर की संदेश सीट पर देखने को मिला। 28 वर्षीय दीपू यादव, जिनके परिवार का इस सीट पर वर्षों से वर्चस्व रहा था, केवल 27 वोटों से चुनाव हार गए। यह इस चुनाव का सबसे छोटा अंतर था, जिसने बिहार की राजनीति में मुकाबले की तीव्रता को भी दिखा दिया।

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29 वर्ष की उम्र वाले उम्मीदवारों के लिए यह चुनाव खास अच्छा नहीं रहा और प्रमुख दलों के सभी उम्मीदवार हार गए। इनमें अस्थावां से राजद के रवि रंजन, सीपीआईएमएल के भोरे से धनंजय कुमार और फतुहा से एलजेपीआर की रुपा कुमारी शामिल रही।  लेकिन इसके विपरीत 30 वर्ष के तीन युवा उम्मीदवारों ने शानदार जीत दर्ज की। इनमें सकरा से जदयू के आदित्य कुमार, गायघाट से जदयू की कोमल और शाहपुर से भाजपा के राकेश रंजन शामिल रहे।

2025 का बिहार चुनाव इस मायने में ऐतिहासिक रहा कि इसने राजनीति में युवाओं के लिए नए अवसर खोले। सोशल मीडिया प्रभाव, युवा नेतृत्व और बदलती जनभावनाओं ने इस बार परंपरागत राजनीतिक समीकरणों को चुनौती दी और नया माहौल बनाया। मैथिली ठाकुर की सफलता आने वाले वर्षों में और युवाओं को राजनीति के क्षेत्र में प्रेरित करेगी। यह साफ है कि बिहार में Gen Z की राजनीतिक यात्रा अभी शुरू हुई है और अगले चुनावों में उनका प्रभाव और अधिक बढ़ेगा।

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