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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीति का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। तेजस्वी यादव के “ऑपरेशन भूमिहार” ने जेडीयू खेमे में हलचल मचा दी है। आरजेडी ने मगध क्षेत्र में भूमिहार वोट बैंक को साधने की दिशा में बड़ा दांव खेला, जिसके जवाब में जेडीयू अब रक्षात्मक नहीं बल्कि आक्रामक मुद्रा में नजर आ रही है। पार्टी ने उसी नेता को शामिल करने का फैसला किया है, जिसकी एंट्री पर दो महीने पहले खुद रोक लगा दी गई थी। यह नेता हैं जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार, जो शनिवार को जेडीयू में औपचारिक रूप से शामिल होंगे।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, जेडीयू के शीर्ष नेता जैसे केंद्रीय मंत्री ललन सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, मंत्री विजय चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा इस मौके पर मौजूद रहेंगे। दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे।
दो महीने पहले, यानी 4 सितंबर 2025 को अरुण कुमार की जेडीयू में एंट्री तय थी। कार्यक्रम तक घोषित हो चुका था, लेकिन आखिरी समय में पार्टी ने मिलन समारोह रद्द कर दिया। बताया गया कि उस वक्त ललन सिंह की नाराजगी के चलते अरुण कुमार को शामिल करने से पीछे हटना पड़ा था। लेकिन तेजस्वी यादव की नई रणनीति ने जेडीयू को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया।
तेजस्वी यादव ने मगध क्षेत्र में भूमिहारों के प्रभावशाली नेता जगदीश शर्मा के बेटे राहुल कुमार को आरजेडी में शामिल कर अपनी रणनीति साफ कर दी है। उन्होंने भाकपा (माले) की सीटिंग सीट “घोसी” को अपने कोटे में लेकर राहुल कुमार को वहीं से टिकट देने का फैसला किया है। यह कदम सीधे तौर पर भूमिहार वोटरों को आरजेडी के पाले में खींचने का प्रयास माना जा रहा है।
जेडीयू के लिए यह घटनाक्रम बड़ा झटका था क्योंकि मगध क्षेत्र में जगदीश शर्मा जैसे भूमिहार नेता की बराबरी करने वाला चेहरा उसके पास नहीं था। ऐसे में पार्टी ने तुरंत बैठक बुलाई और अरुण कुमार को शामिल कराने का निर्णय लिया। अरुण कुमार न केवल जहानाबाद के पूर्व सांसद हैं, बल्कि भूमिहार समाज में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।
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