बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने अब स्पष्ट कर दिया है कि वह तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन (Mahagathbandhan) से अलग होकर चुनाव मैदान में उतर सकता है। अब तक गठबंधन में उपेक्षा और सीट बंटवारे में अनदेखी से खफा होकर झामुमो नेतृत्व ने 12 से 15 सीमावर्ती सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की योजना बना ली है।
गठबंधन में क्यों बढ़ी खटास?
झामुमो को अब तक बिहार चुनाव के लिए महागठबंधन की बनी 21 सदस्यीय समन्वय समिति में जगह नहीं मिली। अप्रैल 2025 में हुई तीन महत्वपूर्ण बैठकों से भी JMM को बाहर रखा गया। झारखंड चुनाव 2024 में JMM ने RJD को उदारता से 6 सीटें दी थीं, परंतु बिहार में उसकी उपेक्षा की गई। इसके अलावा JMM अब खुद को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में विस्तार देना चाहता है और बिहार पहला पड़ाव बन सकता है।
किन सीटों पर है JMM की नजर?
बिहार की सीमावर्ती 12 से 15 सीटें JMM के चुनावी रडार पर हैं। इनमें विशेष रूप से झारखंड से सटे चकाई, जमुई, बांका, कटोरिया जैसी सीटें शामिल हैं, जहां JMM का सामाजिक और जातिगत आधार पहले से मौजूद है।
2010 में चकाई सीट से JMM उम्मीदवार सुमित कुमार सिंह ने जीत दर्ज की थी। वर्तमान में वे स्वतंत्र विधायक और बिहार सरकार में मंत्री हैं, जिससे JMM को क्षेत्र में मजबूती का भरोसा है।
JMM के महासचिव विनोद पांडेय ने मीडिया को बताया कि पार्टी ने अपने महाधिवेशन 2025 में झारखंड के अलावा बिहार, बंगाल, असम, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में संगठन विस्तार का निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि हमने बिहार के सीमावर्ती जिलों में संगठनात्मक ढांचा तैयार कर लिया है। समन्वय की कोशिशें जारी हैं, पर अपमान सहन नहीं होगा। जरूरत पड़ी तो JMM अकेले चुनाव लड़ेगा।
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